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Yaha To Wahi Hai   

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Author Sudha
Features
  • ISBN : 8188140864
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Sudha
  • 8188140864
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 100
  • Hard Cover

Description

यह तो वही है—सुधा
“वह अभी तक बैठी ही हुई है?” थानेदार ने पूछा।
“कौन, वह पगली?”
“सुनो, वह पागल नहीं है।” थानेदार गंभीर होकर बोला।
“बिलकुल सिरफिरी है। उसका दिमाग एकदम खिसका हुआ है।”
“जानते हो, परसों से ही उसने कुछ खाया नहीं है।”
“खाने को कुछ दे-दिलाकर भगाना चाहिए इस आफत को।”
“वह भीख लेगी?”
“देंगे, तो क्यों नहीं लेगी?”
“कहती है कि बड़े बाप की बेटी है, ससुर भी नामी श्रेष्‍ठी था।”
“तो यह क्यों मारी-मारी फिर रही है?”
“अपने पति के बारे में पूछती फिर रही है।”
“तो बता दीजिए उसे कि...कुछ कहकर टाल दीजिए।”
“मैं कहूँ? क्यों? और तुम किस काम के लिए हो?”
“सर, आपका कहना ही ठीक होगा।”
“यह मेरा काम नहीं है।”
“तो मुझमें भी इतनी हिंमत नहीं है कि उससे झूठ बोलूँ।”
“एक औरत से झूठ नहीं बोल सकते? किस बूते पर सिपाही की नौकरी करने आए हो? उँह...झूठ नहीं बोल सकते तो किसी आश्रम में चले जाओ!” थानेदार कुढ़कर बोला।
—इसी पुस्तक से इससे बढ़कर दु:ख की बात क्या हो सकती है कि हजारों वर्षों से जड़ जमाकर बैठी अंधी और अपराध-मित्र न्याय-व्यवस्था अभी भी ज्यों-की-त्यों बनी हुई है। भारतीय सामाजिक एवं न्याय व्यवस्था पर करारी चोट करता हुआ प्रभावशाली उपन्यास यह तो वही है।

The Author

Sudha

जन्म : 21 नवंबर, 1933 को।
चार सौ से अधिक कहानियाँ, लघु कथाएँ आदि विविध रचनाएँ प्रकाशित/ प्रसारित।
प्रकाशन : 9 कथा-संग्रह के साथ-साथ ‘बेटे-बेटियाँ’, ‘पद-चिह्न’ (लघुकथाएँ); ‘लछमिनियाँ की बेटी’ (उपन्यास); ‘सूरज ढकते काले मेघ’, ‘कातर धूप’, ‘सही आदमी’ (बाल साहित्य); ‘प्यारे बच्चे तुम्हें सुनाऊँ’ (कविताएँ); ‘सरल हिंदी लेख’; इसके अलावा ‘ध्यान तंत्र के आलोक में’ (Meditations from the Tantras by Paramhans Satyanand) (अनुवाद)। (Reminiscences and सृतिपाता—बँगला लेखक—श्री नलिनीकांत गुप्‍त) ‘कहानियाँ’ (बाद की)। लेखन के लिए राष्‍ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कृत। देश-विदेश में अनुकांक्षित भ्रमण, संस्कृति तथा लोक-संगीत से संबद्धता, शिक्षा तंत्र में तैंतीस वर्षों तक कर्माजीव, श्री अरविंदाश्रम हेतु पांडिचेरी में निवास।

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