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Sudhir Tailang Ke Teer   

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Author Sudhir Tailang
Features
  • ISBN : 9789386001993
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more

More Information

  • Sudhir Tailang
  • 9789386001993
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 176
  • Hard Cover

Description

आज मुझे सुधीर तैलंगके ‘प्रथम हिंदी कार्टून-संग्रह’ को प्रस्तावित करते हुए बेहद खुशी हो रही है! सुधीरजी के कार्टून दस वर्ष की बाल्यावस्था से ही राष्ट्रीय अखबारों में छपने लगे थे। 1983 में नवभारत टाइम्स में कार्य शुरू करने तक 5000 कार्टून छप चुके थे। पाँच वर्ष बाद 1989 में हिंदुस्तान टाइम्स में भी अंग्रेजी में कार्टून छपने के साथ-साथ अनुवादित कार्टून हिंदी हिंदुस्तान में भी रोजाना छपते रहे। दो शब्दों में पुस्तक परिचय दूँ तो यह उनके राजनीतिक व समसामयिक विषयों पर तटस्थ लेकिन मारक क्षमता रखनेवाले कुछ चर्चित कार्टूनों का सफरनामा है, जो आपको सिर्फ मुसकराने के लिए ही नहीं, समाचारों के अतीत में जाकर उस समय के इतिहास को उकेरने के लिए विवश कर देंगे।
उनका कहना था—‘कार्टून किसी भी भाषा में बनाइए, यदि वह असरकार है तो उसका असर पड़ेगा ही। हिंदी का बढ़िया कार्टून अंग्रेजी में घटिया नहीं हो जाएगा। सवाल तो स्वयं को रोज सुधारने और माँजने का है। मैं हर रोज सोचता हूँ कि आज से बेहतर कार्टून बनाऊँ, यह मेरी रोज की जिद है।
‘कई बार मुझे लगता है, यह देश कार्टूनिस्टों के लिए ही आविष्कृत किया गया था। आजादी की लड़ाई में हजारों लोगों ने इसलिए कुरबानी दी थी कि एक दिन हमारे देश के सारे नेता मिलकर कार्टूनिस्ट नाम के जीव की सेवा करेंगे, न कि जनता की। मैं मानता हूँ कि सारे नेता आज पूरे वक्त कार्टूनिस्ट के लिए ही काम कर रहे हैं।’ 
प्रस्तुति—विभा (चौधरी) तैलंग

 

The Author

Sudhir Tailang

प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग ने भारत में राजनीतिक कार्टून बनाने की परंपरा को समृद्ध किया, उसे नई ऊँचाई दी। उनकी कूची सत्ता के गलियारों में विचरनेवाले राजनीतिज्ञों पर एक प्रकार का नियंत्रण रखती थी। उनकी तीक्ष्ण और मारक व्यंग्य-क्षमता आमजन की समस्याओं को बड़ी प्रमुखता से उकेरती थी। नैशनल टी.वी. के जाने-पहचाने चेहरे सुधीरजी ने अनेक टी.वी. शो होस्ट किए; देश भर में अपने कार्टूनों की सफल प्रदर्शनियाँ लगाईं। उन्होंने अनेक युवा कार्टूनिस्टों को प्रेरित किया और कार्टून-कला के प्रति उनमें नया उत्साह पैदा किया।
सामाजिक सरोकारों के प्रति हमेशा सजग रहे सुधीरजी ने सन् 2002 में भुज में आए भूकंप व सन् 2004 में आई सुनामी के समय इन प्राकृतिक विभीषिकाओं के पीड़ितों की विषम स्थितियों को कार्टूनों के माध्यम से समाज के समक्ष प्रस्तुत किया। अनेक अवसरों पर उन्होंने अपने बनाए कार्टून और कैरीकेचर बेचकर जुटाए धन को समाजोपयोगी कार्यों में लगाया।
अपने चमकते-दमकते दीर्घ कॉरियर में सुधीरजी को अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित किया गया। सन् 2004 में वे ‘पद्मश्री’ से अलंकृत हुए। उन्होंने विश्व के अनेक देशों में लैक्चर दिए, वर्कशॉप आयोजित कीं और अपने कार्टूनों की प्रदर्शनियाँ लगाईं।
स्मृतिशेष :  6 फरवरी, 2016।

 

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