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Mahamanav Sardar   

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Author Dinkar Joshi
Features
  • ISBN : 9789350485842
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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More Information

  • Dinkar Joshi
  • 9789350485842
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 336
  • Hard Cover

Description

सरदार जब भोजन के पश्‍चात् विश्राम कर रहे थे तब अचानक घनश्यामदास बिड़ला आ पहुँचे। विश्राम के बाद सरदार बैठक कक्ष में आए तब घनश्यामदासजी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। कल गांधीजी के साथ उनकी जो मुलाकात निश्चित हुई थी, उसके बारे में सरदार बिड़लाजी को जानकारी देना चाहते थे। पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएँ घटित हुई थीं, उनकी वैसे तो बिड़लाजी को जानकारी थी ही। बापू के उपवास समाप्त हो गए, उसके विषय में जब बिड़लाजी ने राहत की भावना व्यक्त की तब सरदार ने कहा—
‘‘बिड़लाजी, इस उपवास से सांप्रदायिक तनाव शांत हो गया है, क्या ऐसा कोई मान सकता है।’’ इतना कहकर उन्होंने थोड़ी देर पहले ही उनके पास आए हुए निर्वासितों के समूह द्वारा वर्णित उनके अनुभव की बात बताई। ‘‘इन लोगों को हम शरणार्थियों के शिविर में पशुओं के समान बंद कर दें? विशेष रूप से जब यहाँ से पाकिस्तान चले गए मुसलमानों के मकान बंद पड़े हों और विशाल मसजिदें बिलकुल खाली हों तब ये निर्वासित कैसे शांत रह सकते हैं?’’
‘‘आप सही कह रहे हैं, सरदार!’’ बिड़लाजी ने कहा, ‘‘बापू के उपवास से किसी का हृदय परिवर्तन हुआ हो, ऐसा लगता तो नहीं।’’
‘‘क्योंकि उपवास के लिए यह बिलकुल गलत समय था।’’ सरदार ने कहा।
—इसी उपन्यास से
लौहपुरुष सरदार पटेल के जीवन के जाने-अनजाने प्रसंगों को उद्घाटित करता रोचक उपन्यास जो उस महामानव के अटल विश्वास और अद्‍भुत जिजीविषा का दिग्दर्शन कराता है।

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अनुक्रम  
इतिहास के ‘जो’ और ‘तो’ — Pgs. 7 कारोबारी एवं संविधान सभा की बैठक
सरदार पटेल : एक स्वप्न — Pgs. 15 20. महाजन, आप कहीं भी नहीं जाएँगे—यहाँ बैठिए — Pgs. 196
1. जवाहर ‘झूठे’ नहीं हैं, वे ‘गलत’ हैं — Pgs. 43 कश्मीर की पूर्वभूमिका—राजा हरि सिंह और शेख
विभाजन—गांधीजी का वक्तव्य—बनवारीलाल की कोठी, तायफावालों का आक्रमण—बारामूला पर हमला
सरदार का निवास—कोठी का बगीचा और बिजली के दीपक महाजन की दिल्ली मुलाकात—सरदार द्वारा व्यवस्था
श्रीप्रकाश की सरदार के साथ बातचीत—जवाहर Untrue सरदार द्वारा श्रीनगर मुलाकात
2. सरदार और श्री प्रकाश — Pgs. 51 21. कश्मीर, रियासती मंत्रालय से विदेश मंत्रालय में — Pgs. 205
श्रीप्रकाश की सरदार के साथ चर्चा, गुजरात विद्यापीठ कश्मीर की स्थिति—शेख का मनोगत—खुर्शीद श्रीनगर में
की स्थापना, सरदार प्राचार्य—तपोवर्धन तालीमी कश्मीर विषयक माउंटबेटन का रुख—सरदार और जवाहरलाल
पायलट—तपोवर्धन की मृत्यु के कश्मीर विषयक मतभेद—एक-दूसरे को खत—गोपालस्वामी
3. मैं महात्मा पटेल नहीं हूँ — Pgs. 57 को कश्मीर समस्या सौंपना—सरदार का इस्तीफा शंकर द्वारा
पाकिस्तान का कराची में दफन-1946, मौलाना आजाद का रुख रोक दिया जाना
कारोबारी में गांधीजी की अहिंसा विषयक प्रस्तुति 22. एक दिन जवाहरलाल पछताएँगे — Pgs. 213
गांधीजी का इस्तीफा—चुनाव पूँजी विषयक सरदार का रुख मृदुला साराभाई का सरदार के प्रति रुख
महात्मा पटेल नहीं—1918 में सरदार का गांधीजी के साथ मिलन सुशीला नैयर की शंकर को बापू से मिलने की बात
4. आजाद हिंद फौज और सरदार — Pgs. 64 मणिबहन, सरदार तथा शंकर की बापू से मुलाकात
आजाद हिंद फौज के सेनानी, कोर्ट मार्शल के विरुद्ध बचाव रेडियो से नेहरू का प्रसारण—सरदार का असम दौरा
समिति—जिन्ना और मुस्लिम लीग—खिलाफत और गांधीजी पूर्वोत्तर राज्यों का प्रजा विषयक भविष्य कथन
सरदार का खिलाफत विषयक अभिमत—नौ सेना का विप्लव लखनऊ की सभा में सरदार का व्याख्यान
सरदार का समझाना 23. 55 करोड़ रुपए की जमीनी हकीकत — Pgs. 221
5. दूसरे महात्मा — Pgs. 73 गोपीचंद भार्गव का सरदार को खत—जनरल थोराट की
गांधीजी और सरदार के बीच बढ़ते मतभेद, सरकार विषयक गलतफहमी सरदार से मुलाकात—55 करोड़ रुपए विषयक सरदार-नेहरू चर्चा
प्रमुख के रूप में सरदार के बदले मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा—55 करोड़ के बारे में सरदार,
जवाहरलाल—कारोबारी समिति की बैठक—दूसरे महात्मा बापू की बातचीत—माउंटबेटन और सरदार का तद्विषयक संवाद
6. सरदार का गांधीजी से मतभेद  — Pgs. 80 दिल्ली फैज बाजार की घटना—सरदार की अमृतसर-यात्रा
जिन्ना का मौलाना विषयक रुख—आगा खान का सरदार को फोन 24. सरदार के बिना जवाहर देश नहीं चला सकते — Pgs. 230
कैबिनेट मिशन—पेथिक लॉरेंस—कैबिनेट मिशन के बारे में गांधीजी सरदार-रामस्वामी अय्यर का मिलना—सरदार और नेहरू
सरदार संवाद—कारोबारी की बैठक से गांधीजी का त्याग की रामस्वामी के नाम विषयक चर्चा
राजकोट, वीरावाला का प्रसंग गांधीजी से मौलवियों का मिलना—मुसलमानों की रक्षा के बारे में
7. राजकोट सत्याग्रह  — Pgs. 89 सरदार और गांधीजी की बातचीत—अजमेर के मुख्य आयुक्त के
गिब्सन, वीरावाला—गांधीजी राजकोट में—गांधीजी के उपवास साथ की घटना—अजमेर के दंगों के बारे में सरदार-नेहरू चर्चा
वाइसराय को खत—सरदार का रुख मतभेद विषयक सरदार का बापू से खुलासा
8. गांधी का सत्य बनाम मौलाना — Pgs. 96 माउंटबेटन का तद्विषयक रुख
कैबिनेट मिशन का कारोबारी में स्वीकार—मणिबहन और सरदार के बीच गांधीजी विषयक संवाद 25. बापू का उपवास व उनका अवसान — Pgs. 238
सरदार का जिन्ना के विषय में मनोगत हिंसाचार के विरुद्ध बापू के उपवास—बिड़ला हाउस में मंत्रिमंडल
जवाहरलाल के निवेदन के कारण जिन्ना का विद्रोह की बैठक—सरदार की मुंबई यात्रा—गांधीजी की सुरक्षा विषयक
जिन्ना की धमकी—मौलाना आजाद का वायसराय को खत सरदार की उनसे चर्चा—बिड़लाजी के साथ सरदार का संवाद
गांधी के समक्ष मौलाना का इनकार बापू की हत्या से पूर्व सरदार से बातचीत—बापू की हत्या
9. वे रचनात्मक नहीं, विध्वंसकारी है  — Pgs. 103 26. मुझे! बापू के पास जाने से क्यों रोक दिया? — Pgs. 247
कलकत्ता, नोआखली के दंगे—मुस्लिम लीग, राज नहीं हत्या के प्रत्याधान—सरदार का इस्तीफा
तोड़-फोड़ करनेवाले—सरदार, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय जयप्रकाश का जुलूस—प्यारेलाल और सरदार की
मौलाना और जवाहर की सरदार से विनती—बैठक में मुलाकात के दौरान जवाहरलाल का आगमन
लीग के सदस्य अनुपस्थित—बिहार के दंगे—राजाओं के साथ सरदार को दिल का दौरा पड़ना
ब्रिटिश सरकार का करार—सरदार विभाजन के पक्ष में चर्चिल का निवेदन—सरदार का चर्चिल को उत्तर
10. विभाजन : देश को बचाने का एकमात्र उपाय — Pgs. 111 एंथनी द्वारा चर्चिल की प्रतिक्रिया
बस्तर राज्य की खदानें, निजाम—कोरफील्ड के साथ 27. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषय में सरदार और जवाहरलाल का मत — Pgs. 255
सरदार की मुलाकात—1941 में राजाजी का विभाजन को समर्थन आर.एस.एस. विषयक सरदार और जवाहर की चर्चा
विभाजन विषयक सरदार और नेहरू की चर्चा सरदार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से मुलाकात
11. पिता व पुत्री — Pgs. 118 बिड़ला हाउस तथा मणिभुवन पर अधिकार का सवाल
सरदार की मणिबहन को सूचना—मणिबहन की किशोरावस्था हैदराबाद की पूर्व भूमिका
सरदार के साथ मणिबहन का बसना—पिता-पुत्री संवाद हैदराबाद के प्रतिनिधिमंडल का सरदार से मिलना
गांधीजी के साथ मणिबहन का संवाद—मणिबहन का निर्णय 28. हैदराबाद की मुक्ति-ऑपरेशन पोलो — Pgs. 263
12. माउंटबेटन व चर्चिल — Pgs. 127 हैदराबाद के बारे में नेहरू, माउंटबेटन की सोच
एटली—माउंटबेटन मुलाकात—माउंटबेटन का चर्चिल सरदार की प्रतिक्रिया—निजाम के साथ समझौते के लिए
के साथ संवाद—गांधी-माउंटबेटन की चर्चा माउंटबेटन का अंतिम प्रयास—देहरादून में सरदार की सहमति
सरदार-माउंटबेटन की मुलाकात मोंकट को मसौदे के रद्द किए जाने विषयक सूचना
13. देशी रियासतों विषयक विचार-मंथन — Pgs. 135 नेहरू-सरदार के बीच सेना द्वारा कदम उठाने विषयक संवाद
सरदार की देशी रियासतों विषयक विचारणा—रियासती रॉय बुचर की सरदार से बातचीत—जिन्ना की मृत्यु
मंत्रालय के बारे में विचारणा—सरदार की गोपीचंद भार्गव ऑपरेशन पोलो की समाप्ति के विषय में प्रतिक्रिया
के साथ चर्चा—मंत्रिमंडल के विषय में सरदार और नेहरू का संवाद 29. जयपुर में हवाई दुर्घटना — Pgs. 271
निर्वासितों के बारे में सरदार तथा जवाहरलाल की चर्चा सरदार की हैदराबाद यात्रा—निजाम के साथ चर्चा
सरदार का नियोगी के साथ संवाद—माउंटबेटन और सरदार सरदार तथा नेहरू का अलग होने विषयक पत्र-व्यवहार
तथा जवाहरलाल की कश्मीर के बारे में बातचीत जयपुर जाते हुए हवाई जहाज की दुर्घटना
14. जेनेवा में विट्ठलभाई पटेल का वसीयतनामा — Pgs. 145 आई.सी.एस. अधिकारियों के पक्ष में सरदार का बचाव
बनवारीलाल की सरदार से मुलाकात—विट्ठलभाई की चीजों के 30. अब और कोई पाकिस्तान नहीं—एक ही काफी है — Pgs. 280
बारे में बातचीत—विट्ठलभाई विषयक पूर्व भूमिका पश्चिम बंगाल में निर्वासितों की स्थिति—जवाहर तथा सरदार का मंतव्य
विट्ठलभाई लंदन में—सुभाषचंद्र बोस और विट्ठलभाई का लियाकत-सरदार की मुलाकात—कलकत्ता में सरदार की सभा
संयुक्त निवेदन—विट्ठलभाई की बीमारी के अंतिम दिन लंदन से माउंटबेटन का खत—संविधान सभा में आरक्षित
उनकी वसीयत, उनकी मृत्यु, उनके अंतिम संस्कार बैठकों के लिए मुसलमानों की माँग—सरदार का उत्तर—संविधान में
15. विट्ठलभाई की वसीयत पर सरदार व सुभाष का मत — Pgs. 153 धर्म-प्रचार की धारा
समाजवादियों के प्रति सरदार का रुख—लखनऊ अधिवेशन 31. कश्मीर के विशेष दर्जे का मसौदा — Pgs. 289
हरिपुरा अधिवेशन—त्रिपुरी अधिवेशन—सुभाष बाबू का इस्तीफा कश्मीर के विशेष दर्जे का मसौदा—सरदार का रुख
विट्ठलभाई की वसीयत की प्रति, उसके बारे में सरदार के राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नियुक्ति विषयक मतभेद
साथ चर्चा—गांधीजी की अभिवृत्ति—न्यायालय का निर्णय नेहरू का रुख—चीन की नीति विषयक सरदार की चेतावनी
16. हम, तुम और सब एक साथ — Pgs. 161 32. नेहरू सरदार मतभेद में बढ़ोतरी — Pgs. 298
विलीनीकरण का आरंभ—राजाओं की सभा को संबोधन मथाई के साथ सरदार की आर्थिक स्थिति विषयक चर्चा
भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान—जोधपुर, बीकानेर और कांग्रेस प्रमुख बाबत सरदार व नेहरू का रुख
जैसलमेर के राजा— जिन्ना के साथ उनकी मुलाकात सरदार द्वारा शेख साहब के साले की बरखास्तगी
सरदार की तीनों राजाओं के साथ मुलाकात कांग्रेस प्रमुख के रूप में टंडन का चुनाव
भोपाल के नवाब की शाहजादी दिल्ली में—सरदार का रुख कारोबारी में रफी अहमद को लेने की खींचातानी
17. सरदार साहब! पहले रानी साहिबा को समझाइए — Pgs. 171 33. महायात्रा का अंतिम चरण — Pgs. 306
काठियावाड़—भावनगर के राजा—भावनगर में सरदार पर हमला सरदार का बिगड़ता स्वास्थ्य—अहमदाबाद में सरदार की
नवाबनगर के जाम साहब के लिए व्यवस्था वर्षगाँठ का उत्सव—मंत्रिमंडल की बैठक में चीन की
कर्नल हिम्मत सिंहजी—जाम साहब के साथ सरदार की मुलाकात धोखेबाजी विषयक चर्चा—सरदार के निवास-स्थान पर
18. कोचीन व त्रावणकोर — Pgs. 180 कारोबारी की बैठक—स्वातंत्र्य सैनिकों के मुआवजे का मुद्दा
वी.पी. मेनन की पसंदगी—वड़ोदरा के राजा के साथ का प्रसंग सरदार को मुंबई ले जाने का निर्णय
कोचीन की घटना (चिडि़यों की कथा)—कोचीन और त्रावणकोर 34. पूर्णाहुति — Pgs. 314
की मैत्री—मोरबी के राजा का प्रसंग गाडगिल के साथ सरदार का संवाद—नेहरू के साथ बातचीत
19. प्रिवी पर्सेस पर सरदार का जोर — Pgs. 189 मंत्रिमंडल के सदस्यों की मुलाकात—सरदार मुंबई में
जूनागढ़ का विलीनीकरण—जूनागढ़ विषयक जवाहरलाल का रुख नेहरू का सरदार के मंत्रालय विषयक निर्णय
सोमनाथ मंदिर का नवनिर्माण—टोकरी के सेब सरदार की विदाई—जवाहर की प्रतिक्रिया
सालियाने के लिए सरदार का समझाना  

The Author

Dinkar Joshi

जन्म : 30 जून, 1937 को भावनगर, गुजरात में।
श्री दिनकर जोशी का रचना-संसार काफी व्यापक है। तैतालीस उपन्यास, ग्यारह कहानी-संग्रह, दस संपादित पुस्तकें, ‘महाभारत’ व ‘रामायण’ विषयक नौ अध्ययन ग्रंथ और लेख, प्रसंग चित्र, अन्य अनूदित पुस्तकों सहित अब तक उनकी कुल एक सौ पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें गुजरात राज्य सरकार के पाँच पुरस्कार, गुजराती साहित्य परिषद् का ‘उमा स्नेह रश्मि पारितोषिक’ तथा गुजरात थियोसोफिकल सोसाइटी का ‘मैडम ब्लेवेट्स्की अवार्ड’ प्रदान किए गए हैं।
गांधीजी के पुत्र हरिलाल के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘प्रकाशनो पडछायो’ हिंदी तथा मराठी में अनूदित। श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित दो ग्रंथ—‘श्याम एक बार आपोने आंगणे’ (उपन्यास) हिंदी, मराठी, तेलुगु व बँगला भाषा में अनूदित; ‘कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्’ हिंदी भाषा में तथा द्रोणाचार्य के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘अमृतयात्रा’ हिंदी व मराठी में अनूदित हो चुका है। ‘35 अप 36 डाउन’ उपन्यास पर गुजराती में ‘राखना रमकडा’ फिल्म निर्मित।

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