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Author Subhah Mishra
Features
  • ISBN : 9789384343613
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Subhah Mishra
  • 9789384343613
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 152
  • Hard Cover

Description

प्रसिद्ध लेखक श्री सुभाष मिश्र के पास शिल्प और भाषा का सुंदर संयोजन है। वे व्यंग्य के लिए सुरक्षित शिल्प में व्यंग्य की भाषा से ऐसी आत्मीयता स्थापित नहीं करते जिसमें कहन पीछे छूट जाता है और लेखक की भाषा पर मुग्धता बची रह जाती है और ध्येय अलक्षित रह जाता है। सुभाष समाज और समय की जटिल और विद्रुप होती जा रही निम्नतर, लेकिन अतिपरिचित स्थितियों के बीच एक संतुलित व्यंग्य भाषा में कथ्य-ध्येय का परिचय स्पष्ट करते हैं। 
व्यंग्य लेखक को व्यंग्य को तल्ख बनाना होता है, उसको आक्रामक नहीं, इसी संतुलन में सुभाष मिश्र निष्णात हैं, जिससे कई बार वे भाषा में व्यंग्य की अपेक्षा एक तल्ख टिप्पणी करते नजर आते हैं, लेकिन उसकी सपाट बयानगी से बचते हैं। एक व्यंग्य लेखक से ज्यादा निर्भिकता और आक्रामकता की अपेक्षा के कारण व्यंग्य लेखक को रचना और अपेक्षा के द्वंद्व के बीच कथ्य की रक्षा भी करनी होती है। सुभाष मिश्र की व्यंग्य-निर्भिकता कथ्य और भाषा दोनों में प्रकट होती है। लेकिन वे चीजों और स्थितियों के सरलीकरण और निष्कर्षों पर पहुँचने की उतावली नहीं दिखाते हैं। वे खुद को और पाठक को उन विसंगतियों से पैदा हुई दुर्बलताओं  से बचते-बचाते हैं। 
सुभाष मिश्र की यह पुस्तक सामाजिक विसंगतियों, रूढि़यों और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ मामूली आदमी की ओर से एक प्रतिरोध बयान है। इसे उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता के आग्रह में देखना उचित होगा।
—भालचंद्र जोशी
(‘अपनी बात’ से)

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अनुक्रम

अपनी बात— Pgs. 7

1. सांप्रदायिकता के खिलाफ परसाई— Pgs. 13

2. धंधा धर्म का— Pgs. 20

3. हम न मरिहैं, मरिहैं जग सारा— Pgs. 23

4. साँपों पर टिकी सभ्यता— Pgs. 27

5. बुरा तो मानो कि होली है!— Pgs. 29

6. परिचय, प्रणय और सत्यानाश!— Pgs. 53

7. तलाश फिल्मों में दिखनेवाली आदर्श भौजी की— Pgs. 57

8. एक कुँवारे का दहेज-चिंतन— Pgs. 62

9. एक सामाजिक की मौत— Pgs. 65

10.  हिंदी हैं हम, वतन है, हिंदोस्ताँ हमारा— Pgs. 68

11. अपने शहर के रंग— Pgs. 70

12. सप्ताह की फिल्म— Pgs. 74

13. सावधान! सड़क बन रही है— Pgs. 78

14. मैंने फिर मकान बदला— Pgs. 80

15. खुल जा सिम-सिम— Pgs. 86

16. चौक की पान दुकान— Pgs. 88

17. कल्लू का प्रेम-प्रसंग— Pgs. 91

18. खुलना कस्बे में महाविद्यालय का— Pgs. 94

19.  एक अदद लड़की चाहिए शादी के लिए— Pgs. 96

20. चिंतन, शुभचिंतकों पर!— Pgs. 101

21. सत्यनारायण-कथा— Pgs. 104

22. नकारों का मोह— Pgs. 109

23. एक दुखिया की पाती प्रधानमंत्री के नाम— Pgs. 112

24. पथरी की बीमारी के बहाने— Pgs. 115

25. नए वर्ष की डायरी— Pgs. 119

26. सच का सामना झूठ के साथ— Pgs. 122

27.  एडवांस— Pgs. 150

The Author

Subhah Mishra

सुभाष मिश्र
जन्म : 10 नवंबर, 1958, वारासिवनी, जिला बालाघाट (म.प्र.)।
शिक्षा : हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं पत्रकारिता में स्नातक।
प्रकाशन : ‘एक बटे ग्यारह’ (व्यंग्य-संग्रह), ‘दूषित होने की चिंता’ (लेख-संग्रह), ‘मानवाधिकारों का मानवीय चेहरा’ पुस्तकें प्रकाशित। परसाई का लोक शिक्षण पुस्तिका का संपादन, शासकीय दायित्वों के निर्वहन के दौरान बहुत से महत्त्वपूर्ण प्रकाशन, साक्षरता न्यूज पेपर का संपादन। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक पद पर रहते हुए छत्तीसगढ़ की महान् विभूतियों के प्रेरक प्रसंगों पर आधारित 75 से अधिक चित्र-कथाओं का प्रकाशन। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की पत्रिका ‘पंचमन’ का संपादन। लेख एवं निबंध के दो संग्रह शीघ्र प्रकाश्य। पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।
कृतित्व : प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन-नाट्य संघ से जुड़ाव। इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य। मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह के संयोजक। हबीब तनवीर राष्ट्रीय नाट्य समारोह के संयोजक। छत्तीसगढ़ फिल्म एवं विजुअल आर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष।
संप्रति : वर्ष 2012 से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अपर आयुक्त। 
सपंर्क : बी-2/13, सिविल लाइंस, रायुपर (छत्तीसगढ़)।
संपर्क : mishra.subhash19@gmail.com, shubhashmishra.blogspot.com

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