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Kuchh Bola gaya, Kuchh Likha Gaya    

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Author Subhah Mishra
Features
  • ISBN : 9789384344641
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Subhah Mishra
  • 9789384344641
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 160
  • Hard Cover

Description

इस पुस्तक में संगृहीत निबंध दरअसल पारंपरिक निबंधों की संरचना से विद्रोह करते हैं, खासकर ललित निबंधों की मृतप्राय देह से प्रेत जगाने की कोशिश तो ये बिल्कुल ही नहीं हैं। इन निबंधों के सहारे न सिर्फ हमारे समाज, संस्कृति और पूरे समय की पड़ताल की जितनी कोशिश है, उतनी ही उसे नए संदर्भों में देखने-परखने की ललक भी है।
इस पुस्तक के अधिकांश निबंध आज के जीवन-यथार्थ को उसके समूचे अर्थ-संदर्भों में प्रकट करते हैं। साथ ही समय की जटिलता और उसकी व्याख्या की अनिवार्यता में संवाद की स्थिति भी निर्मित करने का ये विवेकपूर्ण साहस और प्रयास हैं।
1947 से लेकर आज तक सत्ता और उसके सलाहकारों की भूमिका में उतरे उतावले बुद्धिजीवियों ने इन सबको अप्रासंगिक घोषित करने के लिए भाषा के खिलवाड़ से संस्कृति को सत्ता का हिस्सा बनाने के लिए बहुत ही श्रम के साथ नए मुहावरे गढ़े। ये निबंध इन चालाकियों को भी अनावृत करते हैं। इन निबंधों को पढ़ना अपने समय से संवाद है।
—भालचंद्र जोशी

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अनुक्रम

भूमिका के दो शद की अनिवार्यता— Pgs. 7

पुरोवाक्— Pgs. 11

1. सा, साहित्य और संस्कृति— Pgs. 15

2. सहमति-असहमति के बीच— Pgs. 21

3. कला, साहित्य, संस्कृति और पुरखों के स्मरण का महापर्व— Pgs. 29

4. स्मृतियों के बहाने पूर्वजों का स्मरण— Pgs. 37

5. अँधेरे में की अर्द्धशती— Pgs. 43

6. या लुप्त हो जाएगा लोक— Pgs. 49

7. हमारे समय के महवपूर्ण कवि— Pgs. 54

8. माध्यम और साहित्य सृजन की चुनौतियाँ— Pgs. 66

9. मुतिबोध साहित्य पीठ की सार्थकता— Pgs. 74

10. समाज और रचनाधर्मिता— Pgs. 77

11. संस्कृति और पारदर्शिता— Pgs. 81

12. यथार्थ और उपन्यास : एक टिप्पणी— Pgs. 84

13. पत्रकारिता : एक संदर्भ— Pgs. 86

14. छासगढ़ का पाठ्यक्रम और हिंदी— Pgs. 89

15. बच्चों के साथ मानवीय व्यवहार : संदर्भ शिक्षा— Pgs. 96

16. शिक्षा, राजनीति और विकास के बदलते आयाम— Pgs. 99

17. शिक्षा का व्यवसायीकरण और गिरता शैक्षणिक स्तर— Pgs. 104

18. हमारा समय और उसमें बड़े होते बच्चे— Pgs. 107

19. जल्दी में आगे ही बढ़ते की वाहिश— Pgs. 112

20. मनुष्य को रोबोट बनाने का क्रम— Pgs. 116

21. सच के सामने मनुष्य— Pgs. 119

22. जीवन-कला का संबंध मन से— Pgs. 126

23. खुली बातचीत हो सेस संबंधी बीमारी/वर्जनाओं पर— Pgs. 129

24. किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है!— Pgs. 132

25. राष्ट्रीय पर्व : वास्तविक पर्व यों नहीं?— Pgs. 135

26. संवेदनशील प्रशासन— Pgs. 138

27. स्थापित लोग— Pgs. 142

28. बस्तर : चुनौतियाँ और संभावनाएँ— Pgs. 145

29. जर्नी ऑफ अमरीका— Pgs. 148

The Author

Subhah Mishra

सुभाष मिश्र
जन्म : 10 नवंबर, 1958, वारासिवनी, जिला बालाघाट (म.प्र.)।
शिक्षा : हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं पत्रकारिता में स्नातक।
प्रकाशन : ‘एक बटे ग्यारह’ (व्यंग्य-संग्रह), ‘दूषित होने की चिंता’ (लेख-संग्रह), ‘मानवाधिकारों का मानवीय चेहरा’ पुस्तकें प्रकाशित। परसाई का लोक शिक्षण पुस्तिका का संपादन, शासकीय दायित्वों के निर्वहन के दौरान बहुत से महत्त्वपूर्ण प्रकाशन, साक्षरता न्यूज पेपर का संपादन। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक पद पर रहते हुए छत्तीसगढ़ की महान् विभूतियों के प्रेरक प्रसंगों पर आधारित 75 से अधिक चित्र-कथाओं का प्रकाशन। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की पत्रिका ‘पंचमन’ का संपादन। लेख एवं निबंध के दो संग्रह शीघ्र प्रकाश्य। पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।
कृतित्व : प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन-नाट्य संघ से जुड़ाव। इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य। मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह के संयोजक। हबीब तनवीर राष्ट्रीय नाट्य समारोह के संयोजक। छत्तीसगढ़ फिल्म एवं विजुअल आर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष।
संप्रति : वर्ष 2012 से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अपर आयुक्त। 
सपंर्क : बी-2/13, सिविल लाइंस, रायुपर (छत्तीसगढ़)।
संपर्क : mishra.subhash19@gmail.com, shubhashmishra.blogspot.com

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