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Ek Sadhvi ki Charitra Katha   

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Author Sukhad Ram Pandey
Features
  • ISBN : 9789386054210
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Sukhad Ram Pandey
  • 9789386054210
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 152
  • Hard Cover

Description

• हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है।
• माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं, वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है, जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए।
• लगता है, रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है। चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओर चाँद, दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं।
(वर्तमान पुस्तक से संदर्भित)

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अनुक्रम  
प्राकथन — 7 दीपाली — 86
आमंत्रण — 9 रीना, शशि, मधुबाला और अवंतिका — 86
दवा की दावाग्नि — 15 हमारी लक्ष्मी-रश्मिजी — 87
मेरी जिंदगी — 16 दीपा की दृष्टि — 87
मेरी अम्माँ — 17 संसार-समुद्र को पी जानेवाले आधुनिक अगस्त्य — 87
मेरे बाबा — 19 बबली — 88
शैल जी — 20 मेरा वादा — 89
छोटी सी तमन्ना — 21 सूक्ष्म जगत् की यात्रा — 90
सुशीलाजी — 22 शरीर शव है — 91
मैं कौन हूँ — 22 संन्यास की अनिवार्यता — 93
मुन्नूजी — 23 जीतेजी मर जाना — 93
मेरी गुड़िया — 24 हमारे ठाकुर — 94
सरोजजी — 25 विवेकानंद केंद्र के अश्विनी — 95
पाशबद्ध जीव — 26 हिमाचल-दर्शन — 96
स्त्री — 27 शिवरामजी — 97
प्रेम-आत्मा का विज्ञान — 27 नित्य क्रांति का सृजन — 98
मेरी माँ — 28 मेरी जीवन यात्रा में तीर्थयात्राएँ — 98
मैं सदा रहूँगी — 29 शैलजी की शालीनता — 101
माँ की वाणी — 31 अँधेरे का सूर्य — 102
अमरकथा — 33 मेरे कितने संसार — 103
प्रफुल्ल महाराज — 34 संसार का मनोविज्ञान — 104
प्रभु महाराज — 34 दो समानांतर रेखाएँ : संसार का सत्य और सत्य का संसार — 104
मेरी बातें — 35 संसार का समाजशास्त्र — 105
मेरा पगला बेटा — 36 हबू — 105
मेरी बेटी — 37 सेवाभावी विक्रम — 106
मेरे पति और उनका परिवार — 37 एक थी सुरत्ना — 106
मेरी जिंदगी का अर्थ — 39 बाबाजी — 107
मेरा वैवाहिक जीवन — 40 घर से बाहर एक घर — 108
विरोधों के बीच सीधी राह — 41 एक अनौपचारिक संबंध — 109
श्री गुरुदेव ने मुझे ग्रहण किया — 43 जब बच्चों ने बड़ों को मिलाया — 110
अपनापन — 46 मनुष्य समाज का गौरव — 111
गुरुदेव की दृष्टि — 47 प्रकृति के सौंदर्य में मनुष्य के मुलम्मे — 111
अद्वैत ही सत्य है — 47 शरीर और संसार सच नहीं है — 113
भगवान् बुद्ध का स्मरण — 48 बच्चे को विचार और विकास की आजादी — 113
शिशु की सरलता — 49 सबके अपने अपने संसार — 114
आनंद के पाँच दिन — 49 क्षण में समग्र दर्शन — 115
देह धरे करू यह फल भाई — 50 उलटी-पुलटी यादों में पाठक, रामशंकर और बंशीधर — 116
नाम की महिमा — 51 एक रात की कहानी — 118
मुझे भगवान् मिले — 53 ठहरे सूरज के नाम प्रकाश में विलुप्त धरती का सपना — 118
सत्संग की शति और सीख — 54 माँ का घर — 119
सेतु के संबंध में — 54 जीवन की भाषा — 120
समय की सरहदों के पार — 58 पल में प्रलय — 120
नारी लोक में पुरुष अधिनायकतंत्र — 58 चेतना सारी क्रियाओं की जननी है — 121
मेरा चरित्र अमिट है — 61 जीवन का सार — 123
निर्भयता के प्रहर में मेरा प्रहार — 61 मेरे जीवन-ग्रंथ का सर्वम अध्याय — 124
साधुन संग बैठि-बैठि — 63 मठ मायके जैसा — 125
कलसी की कहानी — 63 श्रीमती अनीता दा एवं श्रीमती गीता चटर्जी का योगदान — 125
सहो, सहो, सहो — 64 श्रीमती श्यामा मेहता — 126
तराजू की तुला पर जीवन और जल्दबाजी — 65 सबसे बड़ी चुनौती — 126
स्वामी मुतिनाथानंदजी — 66 माँ स्वयं लक्ष्मी हैं — 127
स्वामी सुजयानंदजी — 67 शरीर का सर्वम उपयोग-सेवा — 128
मेरी मूर्खता — 67 जिंदगी के चार दिन — 128
मन के महल में माँ का चमत्कार — 69 धन्य हैं वे, जो माँ के काम आए — 129
विश्वरूप दर्शन — 70 घनश्याम महाराज की रसोई — 131
रामकृष्ण मठ के संन्यासी और ब्रह्मचारी — 71 मेरी कल्पना साकार हुई — 131
मोहन महाराज — 72 जब हमारे पावँ थिरके — 133
मैं अमृत हूँ — 73 मैं कृतार्थ हुई — 133
मेरा सौभाग्य — 74 साधु संग — 135
कमलेश महाराज और श्रेयस — 75 एक आदर्श साधु — 136
पति-पत्नी में परस्पर विरोधी धर्म के दो रूप — 76 ‘श्री रामकृष्ण धाम’ नाम सार्थक हुआ — 138
बाबा-बेटी का संबंध, एक झलक — 79 घर — 139
मेरी मंजिल — 80 सुंकी और सेतु — 141
सारदा संघ की मेरी बहनें — 81 सेतु और सना — 143
विषयानंद से परहेज — 81 बातों की डोर में बँधी माँ और मैं — 144
श्री रामकृष्ण धाम में प्रवेश — 82 मेरे चिंताकुल प्रश्नों का मौन उार — 145
मुरादाबाद का उपहार — 83 सुख-दु:ख की साथिन — 147
गहनों की पोटली — 84 जिंदगी एक निरंतरता है — 148
भगवान् का घर — 85 इति नहीं दस्तावेज़ अमर जीवन का — 151

The Author

Sukhad Ram Pandey

सुखद राम पाण्डेय
लेखक वर्तमान में ‘उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड रामकृष्ण-विवेकानंद भाव प्रचार परिषद्’ के संयोजक हैं। सन् 1980 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद सन् 1981 में उनका चयन प्रांतीय सिविल सेवा (पी.सी.एस.) में हुआ। विशेष सचिव, वित्त विभाग, उ.प्र. शासन के पद पर लखनऊ में कार्यरत रहते हुए 30 नवंबर, 2016 को वे सेवानिवृत्त हो गए। प्रशासनिक पदों पर कार्य की व्यस्तता के बीच अध्ययन, चिंतन एवं लेखन उनकी रुचि के क्षेत्र रहे हैं।
श्रीरामकृष्ण परमहंस, माँ श्री सारदा देवी एवं स्वामी विवेकानंद के आदर्शाभिमुख वे जिन प्रमुख व्यक्तियों एवं श्रेष्ठजनों के संपर्क में आए हैं, उनमें से प्रस्तुत पुस्तक की केंद्रबिंदु साध्वी भी एक हैं। जिए गए जीवन के सत्य को शब्दों में व्यक्त करना यद्यपि असंभव है, तथापि साध्वी के जीवन को पुस्तकीकृत करके लेखक ने यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि साधारण लोग भी असाधारण गुणों को आत्मसात् करके एक बड़े वर्ग की प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं।

 

 

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