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Bolti Anubhootiyan   

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Author Mahesh Bhagchandka
Features
  • ISBN : 9789352665501
  • Language : Hindi
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More Information

  • Mahesh Bhagchandka
  • 9789352665501
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 136
  • Hard Cover

Description

बोलती अनुभूतियाँ की कविताओं के संदर्भ में साध्य का प्रश्न है, तो यहाँ यह साध्य कभी स्वयं कवि ही प्रतीत होता है, जो अपनी कविता के माध्यम से स्वयं तक पहुँचना चाहता है; इस स्थिति में ये कविताएँ आत्मसाक्षात्कार, आत्मचिंतन और आत्माभिव्यक्ति का ही दूसरा रूप लगती हैं। इस संग्रह की कुछ कविताओं में कवि का साध्य समाज और समाज का हित-चिंतन भी दिखाई देता है, यहाँ ये कविताएँ समाज-सुधारिका का बाना पहनकर लोगों के हृदय तक जाती हैं और उनके हृदय को निर्मल बनाती चलती हैं और कहीं-कहीं इस संग्रह की कविताएँ ऐसी भी हैं, जहाँ कवि का साध्य उसका वह आराध्य है, जिसे परमात्मा कहते हैं।
कविता में इतनी सादगी, इतना औदात्य, इतनी स्पष्टता, इतनी स्वच्छता, इतना आकर्षण सामान्यतः नहीं मिलता, किंतु इस संग्रह की हर कविता ने हृदय को छुआ है और केवल छुआ ही नहीं, आलोकित भी किया है। यह काम शायद तब ही हो पाता है, जब साधक बनावट से दूर किसी ऐसे वट के नीचे बैठकर तपस्या करे, जिसे आत्मचिंतन का वटवृक्ष कहते हैं, जिसे निश्छल प्रेम के वंशी-वट की संज्ञा दी जाती है, जो समाज-हित की वाट में आनेवाले किसी भी वटमार के फंदे में नहीं फँसा है और जिसे अध्यात्म की संजीवनी वटी मिल गई है। प्रभु इस संग्रह के कवि के इस रूप को ऐसा ही बना रहने दें, यही प्रार्थना है। इस संग्रह में कविताओं के साथ जो रेखांकन हैं, वे भी इतने बोलते हुए हैं, जितनी कि इस संग्रह में कवि की बोलती हुई अनुभूतियों वाली कविताएँ बोल रही हैं।—डॉ. कुँअर बेचैन

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अनुक्रम

भव्यता और दिव्यता का समन्वय है ‘बोलती अनुभूतियाँ’—9

स्वकथ्य—13

काव्य-वीथिका—19-125

1. सूनापन—21

2. इनसान—25

3. ‘यह बता’ : एक प्रश्न—27

4. मैं गिनना चाहता हूँ—29

5. मौत—31

6. खेल साँसों का—35

7. एक चाह—37

8. चलता पहिया—41

9. बीमार—43

10. ग़लती—47

11. नहीं—49

12. परछाईं-सी—51

13. लाचार—53

14. उत्तरार्द्ध—55

15. क़ुदरत—59

16. मैं और मेरा जीवन—61

17. ज़िंदगी के रंग—63

18. अलग-अलग पलों में—67

19. यादें—69

20. जीने का अंदाज़—71

21. आशियाना—73

22. आखिर क्यों—75

23. कशमकश—77

24. एक छोटी-सी हक़ीक़त—79

25. तुम्हारा ज़िक्र—81

26. लिखना—83

27. ग़म—87

28. ग़म कैसा—89

29. चाँदनी की सीढ़ियों मे—91

30. घटना—93

31. ख़याल—95

32. दोस्ती—97

33. समाज—99

34. कलयुग—101

35. गुड़िया—103

36. दादाजी—105

37. अपने—107

38. दूर जाओगे, ये ख़याल न था—111

39. कौन—113

40. दोस्ती के नाम पर?—115

41. जीवन-खेल—119

42. धरती—123

विचार-वीथिका127-135

The Author

Mahesh Bhagchandka

जन्म-तिथि : 1 अगस्त, 1958
जन्म-स्थान : कोलकत्ता
शिक्षा : बी.कॉम., कलकत्ता विश्वविद्यालय
संस्थापक : भागचन्दका चैरीटेबल ट्रस्ट, नई दिल्ली एवं अनेक सामाजिक संस्थानों से सम्बद्ध
अभिरूचि : कविता, अभिनय, भ्रमण तथा मानव-कल्याण कार्य
E-mail : mahesh@m2kindia.com
दूरभाष : +91 11 48486013

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