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Author Dr. Kislay Panday
Features
  • ISBN : 9789355210944
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • Dr. Kislay Panday
  • 9789355210944
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 160
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

रणविजय ने अपने आपको प्रीलिम्स परीक्षा की तैयारी में पूरी तरह से झोंक दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि प्रीलिम्स की परीक्षा में वह अव्वल रहा। इस नतीजे ने उसका मनोबल और बढ़ा दिया। वह और भी उत्साह के साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गया। अपनी पहली उपलब्धि जब उसने अपने पिता जागीर सिंह को बताई तो वे खुशी के मारे फूले नहीं समाए, और जब यही खबर जागीर सिंह ने रणविजय की माँ को बताई तो उनकी आँखें खुशी से छलछला आईं।
तभी वह वार्ड बॉय हाथ में कुछ सामान लेकर हमारे पास आया। उसने रणविजय का नाम लिया तो मैंने हामी भर दी। जिसके बाद उसने वे चीजें हमारे बगल में रख दीं, जिसमें लकड़ी का एक डंडा था, जिसे रणविजय अपने आखिरी दिनों में सहारे के लिए इस्तेमाल करता था। एक पॉलिथिन में उसके कुछ कपड़े थे। एक डायरी थी, जिसमें शायद उसने कुछ नोट्स लिखे थे और एक पोटली जैसी कोई चीज थी, जिस पर रणविजय की माँ की निगाहें जाकर टिक गई थीं। उन्होंने उसी पल उस पोटली को उठा लिया और उसे सीने से लगाकर रोने लगीं। मैं समझ गया, शायद यह वही पोटली थी, जिसमें वे हर बार खाने के रूप में अपना प्यार बाँधकर अपने बेटे को देती थीं। बेटा खुद तो चला गया, मगर वह खाली पोटली माँ के लिए छोड़ गया, जिसे वे शायद दोबारा कभी नहीं भर पाएँगी।
—इसी पुस्तक से
अत्यंत भावपूर्ण उपन्यास, जिसके मुख्य पात्र के जीवन को लेखक ने खुद नए सिरे से जिया है। यह एक पुस्तक न होकर जीवन-दर्शन साबित होगी।

The Author

Dr. Kislay Panday

डॉ. किसलय पांडेय भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। इसके साथ ही अनेक सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रियता रहती है, जिनका उद्देश्य भारत में विद्यमान सामाजिक समस्याओं को जड़ से मिटाना है। वह विशेष रूप से जानवरों की दुर्दशा को दूर करने के कार्य से जुड़े हैं। मूल रूप से वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हैं। अपनी कानून की पढ़ाई के उपरांत उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम की जी.डी. गोयनका यूनिवर्सिटी से कॉरपोरेट लॉ में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। डॉ. पांडेय ने वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर कर ‘आचार्य’ की उपाधि प्राप्त की, जिसके बाद राजस्थान की ओ.पी.जे.एस. यूनिवर्सिटी से  पराचेतना (परब्रह्म-प्राप्ति) में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की और धर्मशास्त्री (थियोलॉजिस्ट) के रूप में भी अपनी सेवा समाज को दी। डॉ. पांडेय अनेक सर्वाधिक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय परिषदों की अध्यक्षता भी कर चुके हैं

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