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Author Abhimanyu Unnuth , Abhimanyu Anat
Features
  • ISBN : 8188266124
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Abhimanyu Unnuth , Abhimanyu Anat
  • 8188266124
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 192
  • Hard Cover

Description

“तुम्हें हमारी मदद जारी रखनी होगी, करन!”
“नहीं, हमजा! हम सिर्फ दोस्त बने रहेंगे। यह घटिया काम अब मुझसे नहीं होगा। वैसे मैं अपने मंत्री से भी झगड़ चुका हूँ।”
“परमेश्वर को छोड़ो, उससे तो मैं खुद निबट लूँगा। उस हरामी के बहुत सारे कारनामे मुझे मालूम हैं।”
“हमजा! मैंने आज तक अपनी पत्नी से छिपाकर कुछ भी नहीं किया। पर अब तो ये बातें मेरी बेटी और बेटों को भी मालूम हो गई हैं। मैं अब कोई गैर-कानूनी काम नहीं कर सकता। मैंने तय कर लिया है कि...”
“क्या तय कर लिया है तुमने? यही कि अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य से महरूम कर बैठो? तुमने फोन पर कहा था कि इस देश के व्यापारी बेईमान और चोर हैं। पर कभी अपने से यह पूछा तुमने कि ये बेईमान क्यों बने?”
“तुमसे सुनकर जानना चाहता हूँ।”
“तो सुनो, यहाँ के मुझ जैसे व्यापारी साड़ी, सलवार-कमीज, कुरता-पाजामा, शेरवानी, जोधपुरी इत्यादि कपड़े भारत से मँगवाते और बेचते रहे हैं तो धन कमाने के लिए। पर मैं अपनी बता रहा हूँ तुम्हें। मैं भी यह काम धन कमाने के लिए करता हूँ; पर साथ-ही-साथ मेरा हमेशा से एक और मकसद रहा है।” हमजा के चुप हो जाने पर करन को पूछना ही पड़ा, “क्या है वह दूसरा मकसद?”
—इसी उपन्यास से
समुद्र-मंथन से अमृत भी निकलता है और विष भी। मॉरिशस के गिरमिटिया मजदूरों ने न केवल समुद्र-मंथन ही किया अपितु भू-मंथन कर उजाड़ और वीरान टापू को स्वर्ग भी बना दिया। किंतु मॉरिशस की वर्तमान युवा पीढ़ी की दशा-दिशा और वहाँ का सामाजिक-राजनीतिक जीवन किस प्रकार ह्रासोन्मुख है, इसका बहुत ही सूक्ष्मता से वर्णन किया है अभिमन्यु अनत ने अपने इस उपन्यास में।

The Author

Abhimanyu Unnuth

जन्म : 9 अगस्त, 1937 को।
अठारह वर्ष हिंदी का अध्यापन, तीन वर्ष तक युवा मंत्रालय में नाट्य कला विभाग में नाट्य प्रशिक्षक। इसके उपरांत दो वर्ष के लिए महात्मा गांधी संस्थान में हिंदी अध्यक्ष और अनेक वर्षों तक संस्थान की हिंदी पत्रिका ‘वसंत’ के संपादक रहे।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘लहरों की बेटी’, ‘मार्क ट्वेन का स्वर्ग’, ‘फैसला आपका’, ‘मुडि़या पहाड़ बोल उठा’, ‘और नदी बहती रही’, ‘आंदोलन’, ‘एक बीघा प्यार’, ‘जम गया सूरज’, ‘तीसरे किनारे पर’, ‘चौथा प्राणी’, ‘लाल पसीना’, ‘तपती दोपहरी’, ‘कुहासे का दायरा’, ‘शेफाली’, ‘हड़ताल कब होगी’, ‘चुन-चुन चुनाव’, ‘अपनी ही तलाश’, ‘पर पगडंडी मरती नहीं’, ‘अपनी-अपनी सीमा’, ‘गांधीजी बोले थे’, ‘शब्द भंग’, ‘पसीना बहता रहा’, ‘आसमान अपना आँगन’, ‘अस्ति-अस्तु’ (उपन्यास); ‘एक थाली समंदर’, ‘खामोशी के चीत्कार’, ‘इनसान और मशीन’, ‘वह बीच का आदमी’, ‘अब कल आएगा यमराज’ (कहानी-संग्रह); ‘विरोध’, ‘तीन दृश्य’, ‘गूँगा इतिहास’, ‘रोक दो कान्हा’ (नाटक); ‘गुलमोहर खौल उठा’, ‘नागफनी में उलझी साँसें’, ‘कैक्टस के दाँत’, ‘एक डायरी बयान’ (काव्य)।
इसके अतिरिक्‍त एक प्रतिनिधि संकलन, एक अनुवादित पुस्तक तथा दो संपादित ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।
संप्रति : मॉरिशस स्थित रवींद्रनाथ टैगोर संस्थान के निदेशक।

Abhimanyu Anat

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