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Anubhootiyon Ka Ghanatva   

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Author Yogendra Mohan
Features
  • ISBN : 9789394534209
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Yogendra Mohan
  • 9789394534209
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 304
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

"जंगल-जंगल ढूँढ़ रहा है मृग अपनी कस्तूरी
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी।

भीतर शून्य बाहर शून्य शून्य चारों ओर
है मैं नहीं हूँ मुझमें फिर भी मैं-मैं का शोर है।

मौत का बेरहम इतिहास बदल सकते हो पाप का पुण्य में विश्वास बदल सकते हो अपनी बाँहों पे भरोसा अगर हो जाए तो धरा तो धरा है, आकाश बदल सकते हो।


अब डूबने का भी क्या डर प्रभु! जब नाव भी तेरी
नदी भी तेरी लहरें भी तेरी और मैं भी तेरा।

समय को शान पर चढ़ बुद्धि कुंदन की भाँति चमक उठती है विवेक जाग्रतू होने लगता है विवेक-बुद्धि का संयोग और प्रयोग ही सफल जीवन का रहस्य है।

सब भूल सहज भाव अपनाएँ साक्षी भाव में खो जाएँ प्रतिज्ञा करना छोड़ें आडंबरों से ऊपर उठ मन को कर्म से जोड़ें। जीवन स्वयं उत्सव बन जाएगा स्वर्ग बन जाएगा। --इसी संग्रह से

The Author

Yogendra Mohan

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