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हाँ, गोपी मूर्ति तुम्हारी अज्जी ठीक कहती हैं, तुम सचमुच बहुत हैंडसम हो किसी के भी सपनों के राजकुमार बन जाओ। गोपी को हृश्वयार हो गया!
पिछले अंक कमिंग होम में एक छोटा सा पहृश्वपी घर आया और ग्रोइंग अप, इस तीसरे अंक में, विशालकाय, शक्तशाली और शरारती गोपी के प्यार की तलाश पूरी हुई, साथ ही इसमें और भी बहुत से ने रोमांच, नई रुचि और उसके जीवन में एक नई डॉगी सुंदरी सी नोवा के आने और एक नए परिवार को दुनिया में लाने की कहानी है। छोटा सा गोपी अब बहुत समझदार भी हो गया। मैंने जीवन में बहुत बड़ा सबक सीखा, जिसे मैं अपने बच्चों को भी सिखाना चाहता हूँ। हम जिन इनसानों के साथ रहते हैं, उनके प्रति वफादार बने रहने से हमारे जीवन में खुशियाँ और शांति आती है।
यह तीसरा संस्करण प्यारी और दिल को छू लेने वाली गोपी डायरीज शृंखला के आपको नजदीक ले जाएगा। यह एक ऐसी शृृंखला है, जो सभी वर्गों के लोगों के बीच अपने प्रशंसकों की बहुत बड़ी संख्या तैयार की है। लेखिका सुधा मूर्ति की अनोखी लेखन शैली में लिखी गई इस पुस्तक में साधारण और सहज कहानियों को एक डॉगी के दृष्टकोण से लिखा गया है, इन कहानियों को इस शैली में कहने का उद्देश्य हमें यह बताना है कि हमारे लिए हमारे पालतू जानवर, उनका हृश्वयार, समर्पण और अथाह स्नेह कितना महत्वपूर्ण है।
गोपी डायरीज बच्चों के लिए लिखी गई तीन पुस्तकों की शृंखला है, जिसमें ‘कमिंग होम’ पहली, ‘फाइडिंग लव’ दूसरी और ‘ग्रोइंग अप’ तीसरी पुस्तक है।
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।