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Viraat Purush Samajshastri Nanaji   

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Author Nana Deshmukh
Features
  • ISBN : 9789351860778
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Nana Deshmukh
  • 9789351860778
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 240
  • Hard Cover

Description

एक समरस, संस्कारित, सुदृढ़, सबल, सशक्तीकृत समाज, नानाजी के विचारों व कर्तृत्व के केंद्र में था। सामाजिक जीवन में परस्पर पूरकता व सहजीवन नानाजी के लिए सामाजिक पुनर्रचना के मूलमंत्र थे। देशज मूल्यों के प्रति नानाजी का आग्रह, वर्तमान युग को समझने की उनकी ललक और दोनों में तालमेल बिठाने का जज्बा, नानाजी को अन्य महापुरुषों से अलग करते हैं।
सामाजिक कार्यों में उन्होंने समाज की पहल और भागीदारी से विकास का जो मॉडल प्रस्तुत किया, उसकी सराहना देश भर में होती रही है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्वयं इस मॉडल को देखने के बाद कहा था कि विभिन्न राज्य सरकारों को इस मॉडल को अपनाना चाहिए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चित्रकूट के विकास को चमत्कार बताते हुए कहा था कि ‘नानाजी से सीखें कि कैसे बदला जा सकता है देश।’
वे अपनी बातों में, अपने भाषणों में, लेखों में, पत्रों में सामाजिक पुनर्रचना के विविध आयामों पर बार-बार चर्चा किया करते थे, उन्हें रेखांकित किया करते थे। नानाजी द्वारा स्थापित सभी प्रकल्पों में इस विचार को हम आकार लेते हुए देख सकते हैं। इन सभी प्रकल्पों की कल्पना व रूपरेखा जो नानाजी स्वयं लिखा करते थे, इस खंड में मूल रूप में ही दी जा रही है।

 

The Author

Nana Deshmukh

भारत के सार्वजनिक जीवन के तपस्वी कर्मयोगी नानाजी देशमुख राजनीति में रहकर भी जल में कमलपत्रवत् पवित्र रहने वाले एक निष्‍ठावान स्वयंसेवक थे। उनका जीवन समूचे देश की नई पीढ़ी को सतत देशभक्‍त‌ि, समर्पण व सेवा की प्रेरणा देता रहेगा।
उनका जीवन कृतार्थ जीवन था, इसलिए उनके पार्थिव का दृष्‍ट‌ि से ओझल होना मात्र शोक की बात नहीं है, बल्कि हम सभी के लिए स्वयं कृतसंकल्पित होने की बात है। उनके जीवन का अनुकरण अपने जीवन में करना, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मोहनराव भागवत
सरसंघचालक, राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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