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Jammu Kashmir Ke Jannayak Maharaja Hari Singh   

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Author Kuldeep Chand Agnihotri
Features
  • ISBN : 9789386231611
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • Kuldeep Chand Agnihotri
  • 9789386231611
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 320
  • Hard Cover

Description

जमू-कश्मीर के अंतिम शासक और उत्तर भारत की प्राकृतिक सीमाओं को पुनः स्थापित करने का सफल प्रयास करनेवाले महाराजा गुलाब सिंह के वंशज महाराजा हरि सिंह पर शायद यह अपनी प्रकार की पहली पुस्तक है, जिसमें उनका समग्र मूल्यांकन किया गया है। महाराजा हरि सिंह पर कुछ पक्ष यह आरोप लगाते हैं कि वे अपनी रियासत को आजाद रखना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने 15 अगस्त, 1947 से पहले रियासत को भारत की प्रस्तावित संघीय सांविधानिक व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनने दिया; जबकि जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। इस पुस्तक में पर्याप्त प्रमाण एकत्रित किए गए हैं कि महाराजा हरि सिंह काफी पहले से ही रियासत को भारत की सांविधानिक व्यवस्था का हिस्सा बनाने का प्रयास करते रहे। पुस्तक में उन सभी उपलब्ध तथ्यों की नए सिरे से व्याख्या की गई है, ताकि महाराजा हरि सिंह की भूमिका को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके। महाराजा हरि सिंह पर पूर्व धारणाओं से हटकर लिखी गई यह पहली पुस्तक है, जो जम्मू-कश्मीर के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

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अनुक्रम

प्रस्तावना — Pgs. 7

भूमिका — Pgs. 17

1. डोगरा राजवंश की जय यात्रा — Pgs. 25

2. महाराजा हरि सिंह प्रारंभिक जीवन — Pgs. 38

3. हरि सिंह का ब्रिटिश सत्ता से संघर्ष/राजतिलक से 1935 तक — Pgs. 52

4. महाराजा हरि सिंह और ब्रिटिश सरकार :
  आमने-सामने (1935 से 1947) — Pgs. 86

5. महाराजा हरि सिंह का संघर्ष और अधिमिलन का प्रश्न — Pgs. 95

6. सुरक्षा परिषद् में जम्मू-कश्मीर और
  महाराजा हरि सिंह की अवहेलना — Pgs. 153

7. महाराजा हरि सिंह का निष्कासन — Pgs. 166

8. महाराजा हरि सिंह निष्कासन से पदमुक्ति तक — Pgs. 187

9. राज्य प्रबंध और विकास कार्य — Pgs. 206

10. अंतिम यात्रा — Pgs. 235

11. व्यक्तित्व और मूल्यांकन — Pgs. 245

12. उपसंहार — Pgs. 263

तिथि-क्रम — Pgs. 273

Appendix–I — Pgs. 277

Appendix–II — Pgs. 279

Appendix–III — Pgs. 282

Appendix–IV — Pgs. 286

Appendix–V — Pgs. 290

Appendix–VI — Pgs. 292

Appendix–VII — Pgs. 303

संदर्भ ग्रंथ सूची — Pgs. 314

The Author

Kuldeep Chand Agnihotri

जन्म : 26 मई, 1951
शिक्षा : बी.एस-सी., हिंदी साहित्य और राजनीति विज्ञान में एम.ए.; गांधी अध्ययन, अनुवाद, तमिल, संस्कृत में डिप्लोमा; पंजाब विश्‍वविद्यालय
से आदिग्रंथ आचार्य की उपाधि एवं पी-एच.डी.।
कृतित्व : अनेक वर्षों तक अध्यापन कार्य, पंद्रह वर्षों तक बाबा बालकनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय (हि.प्र.) में प्रधानाचार्य रहे। उसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय के धर्मशाला क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक रहे। हिमाचल प्रदेश में दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय की स्थापना की। आपातकाल में जेलयात्रा, पंजाब में जनसंघ के विभाग संगठन मंत्री तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के सचिव रहे। लगभग दो दर्जन से अधिक देशों की यात्रा; पंद्रह से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित। पत्रकारिता में कुछ समय ‘जनसत्ता’ से भी जुड़े रहे।
संप्रति : भारत-तिब्बत सहयोग मंच के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष और दिल्ली में ‘हिंदुस्तान’ समाचार से संबद्ध।

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