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Author E.R. Braithwaite
Features
  • ISBN : 9789352660827
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • E.R. Braithwaite
  • 9789352660827
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 208
  • Hard Cover

Description

विश्वप्रसिद्ध कृति ‘टु सर, विद लव’ में लेखक ब्रेथवेट ने लिखा है कि अन्य कैरिबियन लोगों की तरह उनमें भी देश के लिए कुछ करने की इच्छा थी और इसी भावना से ओत-प्रोत होकर वे ब्रिटिश सशस्त्र बल में शामिल हुए और युद्ध के दिनों में देश के लिए मर-मिटने को तैयार हुए।
ब्रेथवेट शिक्षक के तौर पर गहरी अभिरुचि का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि ऐसे कई सबक हैं, जो शिक्षकों को सीखने की जरूरत है, खासकर विनम्रता और धैर्य के संदर्भ में। यह बात कोई हैरानी पैदा नहीं करती कि असभ्य छात्र ही उन्हें सबक सिखाना शुरू करते हैं। इस बात का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है, जब ऐसे ही एक बच्चे की माँ मर जाती है। वह बच्चा पूरी कक्षा में अकेला ही था, जो मिश्रित नस्ल का था। 
‘टु सर, विद लव’ इस बारे में पाठकों के मन में कोई संशय नहीं छोड़ती कि सदियों से ब्रिटेन का समाज कैसा रहा है, किस तरह से पूर्वग्रहों से घिरा रहा है। ‘टु सर, विद लव’ हमें पचास के दशक के शुरुआत की याद दिलाती है, जब द्वितीय विश्वयुद्ध की तबाही के बाद ब्रिटेन के पुनर्निर्माण के लिए आने वाले हजारों अन्य लोगों की आसानी से पहचान की जा सकती थी और यहाँ सड़कों पर, कार्यस्थलों में और स्कूल-कॉलेजों में निर्विवाद आनुवंशिक पूर्वग्रह की गहराई से जमी समस्या उनका इंतजार कर रही थी।
नस्लीय भेदभाव को दूर करने और समरसता का भाव जगानेवाली अत्यंत लोकप्रिय, भावुक एवं पठनीय पुस्तक।

 

The Author

E.R. Braithwaite

विश्वविख्यात कहानीकार, उपन्यासकार, शिक्षक तथा राजनयिक ई.आर. ब्रेथवेट का जन्म 1922 में ब्रिटिश-गुयाना में हुआ। उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से अमरीका तथा अन्य देशों में अश्वेत लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार एवं अन्य सामाजिक परिस्थितियों के प्रति जन-जागरूकता का कार्य किया। ब्रिटिश-गुयाना तथा युनाइटेड स्टेट्स से शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय रॉयल एयरफोर्स में भी कार्य किया। उनकी विशेष कृतियाँ हैं—‘टु सर, विद लव’ (1959), ‘पेड सर्वेंट :  ए रिपोर्ट अबाउट वेलफेयर वर्क इन लंदन’ (1962), ‘ए काइंड ऑफ होम-कमिंग :  ए विजिट टू अफ्रीका’ (1963), ‘ए चॉइस ऑफ स्ट्रॉज’ (1965)।
अनेक वैश्विक सम्मानों से अलंकृत।

 

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