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Thakkar Bapa   

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Author Sweta Parmar
Features
  • ISBN : 9789389471045
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sweta Parmar
  • 9789389471045
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 168
  • Hard Cover

Description

‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा ने हर दीन-दुःखी और गरीब को सम्मान दिया और उन्हें सबका बापा बना दिया। राष्ट्रपिता बापू भी उन्हें बापा ही कहा करते थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जिस अपूर्व निष्ठा, अनन्य भक्ति व अथक परिश्रम से उन्होंने अपना सेवा-व्रत निभाया, वह निस्संदेह बेजोड़ कहा जा सकता है। बापा विनम्रता और सरलता की मूरत थे; जब काका कालेलकर ने उनसे लेखन के लिए कहा तो वे बोले, ‘‘मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जो लिखने लायक हो।’’ उन्हें भाषण देना नहीं आता था और न ही वे साहित्यिक भाषा में लेख लिखते थे, बस उन्हें डायरी लिखने का शौक था।
मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर शोषित-उपेक्षितों के कल्याण और सुख के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करनेवाले सेवाव्रती कर्मयोगी ठक्कर बापा की प्रेरक-पठनीय जीवनी है यह पुस्तक।
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अनुक्रम

आधुनिक भारत के विधाता—Pgs. 5

बापा की डायरी से कुछ पन्नों की झाँकी

1. जन्म-स्थल और बाल्यावस्था—Pgs. 13

2. शिक्षा—Pgs. 17

3. कौटुंबिक जीवन—Pgs. 21

4. नौकरी—Pgs. 26

5. समर्पण—Pgs. 40

6. लोक सेवा—Pgs. 46

7. अकाल सहायता कार्य—Pgs. 50

8. आदिवासियों की सेवा और भील-सेवा-मंडल—Pgs. 59

9. हरिजन-सेवा और हरिजन सेवक संघ—Pgs. 70

10. देशी राज्यों की सेवा—Pgs. 85

11. अन्य सेवा-कार्य—Pgs. 89

12. वे दो मंगलोत्सव—Pgs. 96

13. नोआखाली के गाँवों में —Pgs. 105

14. महाप्रयाण—Pgs. 108

 

The Author

Sweta Parmar

स्वेता परमार ‘निक्की’ का जन्म अप्रैल 1976 में राजस्थान के ‘गुलाबी शहर’ जयपुर में हुआ। स्कूली शिक्षा यहीं से हुई। राजस्थान विश्वविद्यालय से इंग्लिश ऑनर्स किया, तदुपरांत हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से बी.एड. पूरी की। विवाह के बाद पहले दिल्ली में और अब उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ रहती हैं। 
पेशे से बिजनेस वुमेन होने के बावजूद मन लेखनी में रमा रहा। अपनी पहली ही किताब ‘द जेस्टफुल हाइव’ (अंग्रेजी) में जिंदगी के तमाम एहसासों-भावनाओं को बड़ी सहजता से पेश करके चर्चा में आईं और उसे पाठकों ने खूब पसंद किया। मन से निकले विचारों को सहज रूप से कागज पर उकेरने की उनकी खूबी पाठकों को अपनी ओर खींचती है।

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