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Author Anand Prakash Jain
Features
  • ISBN : 8188267015
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Anand Prakash Jain
  • 8188267015
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 318
  • Hard Cover

Description

ऐतिहासिक उपन्यास व्यक्‍त‌ि-संवेदना के घात-प्रतिघातों का चित्रण मात्र नहीं है । ऐसा चित्रण उसका साधन हो सकता हें, साध्य नहीं । कौन चरित्र कितना दुर्बल था, कितना सबल था, कितना अच्छा था, कितना बुरा था-ये प्रश्‍‍न बहुत पीछे छूट जाते हैं । रह जाता है केवल एक प्रश्‍न- कि अतीत के कंपनों में कहीं कोई कंपन क्या ऐसा भी था, जिसकी लहरें आज भी धरती की किसी परत में छिपी पड़ी हों? क्या हम उन पात्रों को अपने उद‍्भाव के अनुरूप जीवित करके, उनके पारस्परिक व्यवहार के बीच से गुजरकर उन्हें छू सकते हैं और प्रभावहीन बना सकते हैं? ऐसा करने के लिए व्यक्‍त‌ि-संवेदना का अध्येता होने के साथ-साथ ऐतिहासिक उपन्यासकार को समूह संवेदनाओं का अध्येता होने की भी आवश्यकता है । ' ताँबे के पैसे ' एक ऐसा ही प्रयत्‍न है । उपमान के रूप में ' ताँबे के पैसे '-जो भौतिक दृष्‍ट‌ि से विजयनगर के विनाश के उत्तरदायी थे-कितने ही वर्तमान उपमेयों की सृष्‍ट‌ि करते हैं । उपन्यासकार की दृष्‍ट‌ि से, एक बार चार सौ वर्ष पहले के उन ' ताँबे के पैसों ' की घातक चोट को फिर से कल्पना में सहा जा सकता है, और इतने प्यारे-प्यारे पात्रों के दुःखद अंत में उत्पन्न जल की उस हलकी सी परत से पलकें नम की जा सकती हैं, जो आँखों की कौड़ियों पर बरबस ही उभर आती है ।

The Author

Anand Prakash Jain

जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के कस्बा शाहपुर में 15 अगस्त, 1927 को हुआ था। उनकी पहली कहानी ‘जीवन नैया’ सरसावा से प्रकाशित मासिक ‘अनेकांत’ में सन् 1941 में प्रकाशित हुई थी। श्री जैन ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया। वे सन् 1959 से 1974 तक उस समय की प्रसिद्ध बाल पत्रिका ‘पराग’ के संपादक रहे। उन्होंने ‘चंदर’ उपनाम से अस्सी से अधिक रोमांचकारी उपन्यासों का लेखन किया।

उन्होंने अनेक ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यास लिखे जिनमें प्रमुख हैं—‘कठपुतली के धागे’, ‘तीसरा नेत्र’, ‘कुणाल की आँखें’, ‘पलकों की ढाल’, ‘आठवीं भाँवर’, ‘तन से लिपटी बेल’, ‘अंतर्मुखी’, ‘ताँबे के पैसे’ तथा ‘आग और फूस’। उन्हें अपने इस सामाजिक उपन्यास ‘आग और फूस’ पर उत्तर प्रदेश सरकार का श्‍लाघनीय पुरस्कार प्राप्‍त हुआ।

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