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Author Sanjay Sinha
Features
  • ISBN : 9789386300133
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Sanjay Sinha
  • 9789386300133
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 312
  • Hard Cover

Description

संजय सिन्हा की पुस्तक बहुत से लोगों की ज़िंदगी में उजाला भर सकती है। छोटे-छोटे प्रसंगों से बड़ी गहरी बातें संजय ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट की हैं। आज व्यक्ति संवेदना शून्य हो चुका है क्योंकि वो रिश्ते भूल गया है। रिश्ते नहीं हैं तो ज़िंदगी कैसे जी पाएँगे? इसलिए समय की कीमत पहचानिए और दिलों में उम्मीद का दीपक जलाइए।
—इंडिया टुडे

ये दास्तानें हैं हमारी-आपकी ज़िंदगी की, कुछ खट्टी, कुछ मीठी, तो कुछ हैरान-परेशान कर देने वाली। पर हैं सच। ऐसे ही सच से आपको रूबरू कराया है लेखक ने। आपसी रिश्तों और सामाजिक ताने-बाने को उजागर करती ये दास्तानें काफी दिलचस्प अंदाज़ में लिखी गई हैं और इनमें पाठकों को हद दर्जे का अपनापन नज़र आता है। 
—नवभारत टाइम्स

अपनी पुस्तक में संजय सिन्हा ने तमाम अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने रिश्तों की कई कहानयों को अपनी किताब में बहुत बारीक निगाहों से तराशा है। संजय ने अपने अनुभव की कहानियों को बहुत ही दिलचस्प अंदाज़ में लिखा है। कई मायनों में इनकी पुस्तक एक प्रयोग की तरह है।
—जनसत्ता

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अनुक्रम  
शुक्रिया—5 49. रिश्तों के तार पहचानिए—154
1. रिश्तों की स्टेपनी—13 50. पापा को पाती—157
2. ज़िंदगी का जश्न—17 51. कायर देवदास—160
3. नश्तर का सिपाही—19 52. नफरत की दुनिया छोड़ो—163
4. अव्वल—22 53. कैसी हो डार्लिंग?—166
5. चौदह का चकर—24 54. टोल टैस—169
6. ज़िंदगी का डॉटर—27 55. आँगन की धूल—172
7. अनमोल उपहार—30 56. बेटे की जिद—175
8. हमें तुमसे प्यार कितना—33 57. तक-तक, धुम-धुम—179
9. प्यार की चीनी—36 58. रिश्तों की कमाई—182
10. दु:ख की हिस्सेदारी—39 59. शुभस्य शीघ्रम्—185
11. जो वादा किया है —42 60. एक कटोरी खीर—189
12. चंद्रवती—45 61. मंगल और शुक्र—194
13. विद्या कसम—51 62. माँ बनना—197
14. दिल की सुनो—54 63. सड़क के लुटेरे—199
15. अधूरा सपना—58 64. दिन का उजाला—203
16. भीम की हँसी—61 65. कोयला पर छापा—207
17. मेरा प्यार—64 66. गुरु और चेला—210
18. दिल में तनहाई बसती है—66 67. माँ-बाप को मत मारो—214
19. धरा हुआ ठाठ—69 68. दुआओं का असर—218
20. कैसी हो हैलो?—71 69. अच्छी बहू—222
21. दो बहनें—73 70. तोहफा कबूल है—225
22. रिसते रिश्ते—75 71. एक सेकंड की कीमत—229
23. उड़नेवाला गुबारा—77 72. एक दिल महिला का—232
24. उसका इंतज़ार—79 73. विश्वास सबसे बड़ा—235
25. गमले का पौधा—82 74. ज़िंदगी का सिनेमा—238
26. सुनो सावित्री—85 75. सबसे बड़ी तपस्या—241
27. भरोसे के पंख—89 76. जवान बेटा—243
28. छोटी सी आशा—92 77. राज धर्म—246
29. हमारा दाम—95 78. शहंशाह का खत—249
30. चमत्कारी पत्थर—97 79. बेटे के नाम माँ की पाती—252
31. मधुमखी का छा—100 80. चिया रानी—255
32. यही है सही जवाब—103 81. मेरा घमंड—258
33. आदमी का निर्माण—105 82. यह तो मेरी आदत है—262
34. उड़ते लोग—108 83. कहानी सिकंदर की—265
35. एक ही भूल—112 84. बदले में दिल दे—269
36. आपकी इज्जत—115 85. बनना उल्लू का—272
37. टाइगर डॉटर—117 86. मॉल में मिली कहानी—276
38. मेरी शर्मिंदगी—120 87. फाइनल इलाज—279
39. मैं आजाद नहीं हूँ—124 88. रिशे पर पाव भाजी—282
40. मरद का खून—127 89. सबसे बड़ा बोझ—285
41. दिल से रे—131 90. हम सब चोर हैं—289
42. प्रेम या है?—134 91. मेरी माँ, आपकी माँ—293
43. चिड़िया और पानी—137 92. असली ज्ञान—296
44. किसकी संतान?—140 93. जी लो ज़िंदगी—299
45. इसको तो फर्क पड़ेगा—142 94. भाग्यशाली कार—301
46. सास, बहू और साजिश—144 95. मुझे चाँद चाहिए—304
47. यह कहानी मत पढ़िए—147 96. बुरा मत सोचो—307
48. अनुगीता—150  

The Author

Sanjay Sinha

आजतक में बतौर संपादक कार्यरत संजय सिन्हा ने जनसत्ता से पत्रकारिता की शुरुआत की। दस वर्षों तक कलम-स्याही की पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। कारगिल युद्ध में सैनिकों के साथ तोपों की धमक के बीच कैमरा उठाए हुए उन्हीं के साथ कदमताल। बिल क्लिंटन के पीछे-पीछे भारत और बँगलादेश की यात्रा। उड़ीसा में आए चक्रवाती तूफान में हजारों शवों के बीच जिंदगी ढूँढ़ने की कोशिश। सफर का सिलसिला कभी यूरोप के रंगों में रँगा तो कभी एशियाई देशों के। सबसे आहत करनेवाला सफर रहा गुजरात का, जहाँ धरती के कंपन ने जिंदगी की परिभाषा ही बदल दी। सफर था तो बतौर रिपोर्टर, लेकिन वापसी हुई एक खालीपन, एक उदासी और एक इंतजार के साथ। यह इंतजार बाद में एक उपन्यास के रूप में सामने आया—‘6.9 रिक्टर स्केल’। सन् 2001 में अमेरिका प्रवास।

11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में ट्विन टावर को ध्वस्त होते और 10 हजार जिंदगियों को शव में बदलते देखने का दुर्भाग्य। टेक्सास के आसमान से कोलंबिया स्पेस शटल को मलबा बनते देखना भी इन्हीं बदनसीब आँखों के हिस्से आया।

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