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Rashtra Gaurav Samrat Hemchandra 'Vikramaditya'   

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Author Parshuram Gupt
Features
  • ISBN : 9789386870438
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
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More Information

  • Parshuram Gupt
  • 9789386870438
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 120
  • Hard Cover

Description

हिंदू सम्राट् हेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू) को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। वैश्य परिवार में जनमे हेमू ने 22 लड़ाइयाँ लड़ीं व जीतीं। दिल्ली पर अधिकार करने के बाद हेमू ने अपनी बहादुरी और दूरदर्शिता से राजा विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त की।
इस पुस्तक में हेमू के व्यक्तित्व के यथार्थपरक चित्रण हेतु बिहार के सासाराम क्षेत्र में प्रचलित लोकगीतों व भगवत मुदित द्वारा रचित रसिक अनन्यमाल व राजस्थान से मिले कुछ तथ्यों को भी आधार बनाया गया है, जिससे प्रतीत होता है कि हेमू एक कुशल संगठक, जनप्रिय नेता, श्रेष्ठ घुड़सवार, तलवारबाज तथा तुलगमा सैनिकों की भाँति घोड़े की पीठ पर बैठे-बैठे ही धनुष से बाणों का संधान करनेवाले एक महान् योद्धा व सेनानायक थे।
उन्होंने लगभग 350 वर्षों की दासता के बाद दिल्ली में पुनः हिंदू साम्राज्य की स्थापना की, लेकिन भारत के भाग्य को यह स्वीकार न था। अतः पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू की आँख में लगे तीर ने जीती बाजी को पराजय में परिवर्तित कर दिया। फिर भी हेमू का स्वाभिमान, देशभक्ति, अपूर्व साहस और बलिदान हम सभी राष्ट्रप्रेमियों के लिए सदैव प्रेरणा का अथाह स्रोत बना रहेगा।
भारत के गौरव सम्राट् हेमचंद्र विक्रमादित्य की प्रेरणाप्रद जीवनी, जो नई पीढ़ी को उनके पराक्रम और शूरवीरता से परिचित करवाएगी।

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अनुक्रम

संदेश —Pgs. 5

दो शब्द —Pgs. 7

1. सम्राट् हेमचंद्र्र विक्रमादित्य —Pgs. 13

2. भारत में हिंदू लहर (640 ई. से 1556 तक) —Pgs. 17

3. हेमू कालीन राजनीतिक स्थिति —Pgs. 32

4. प्रधानमंत्री तक की यात्रा —Pgs. 40

5. मध्यकालीन भारत का नेपोलियन —Pgs. 44

6. पानीपत का द्वितीय संग्राम —Pgs. 66

7. हेमू की युद्ध नीति —Pgs. 80

8. प्रतिकार —Pgs. 99

9. हेमू के वंशज —Pgs. 105

परिशिष्ट-1 सेनानायक रमैया (रामचंद्र) (1512-1558) —Pgs. 109

परिशिष्ट-2 राष्ट्ररक्षक : महाराजा सुहेल देव —Pgs. 112

संदर्भ ग्रंथ सूची —Pgs. 118

The Author

Parshuram Gupt

मेजर डॉ. परशुराम गुप्त
जन्म : 30 अगस्त, 1953 को सलोन, रायबरेली (उ.प्र.) में।
शिक्षा : 1975 में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से स्नातकोत्तर उपाधि। 1982 
में गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से 
पी-एच.डी.।
डॉ. परशुराम गुप्त 1975 से 2015 तक जवाहरलाल नेहरू स्मारक पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज, महराजगंज (उ.प्र.) में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे तथा जुलाई 2015 से जुलाई 2018 तक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत  अवेद्यनाथ  महाविद्यालय  चौक, महाराजगंज में प्राचार्य पद पर कार्यरत रहे।
अब तक कुल 18 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें से प्रमुख हैं—गुरिल्ला युद्ध कर्म, परमाणु निरस्त्रीकरण, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भारतीय विदेश नीति, महान स्त्रातेजिक चिंतक : समर्थ रामदास, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सांस्कृतिक एकता, राष्ट्र रक्षक : महाराजा सुहेलदेव, नक्सल विद्रोह : समस्या एवं समाधान, आदमी की तलाश, War & Environmental Security, Devdah Ramgram आदि। 
कबीर सम्मान एवं अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

 

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