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Krantikari Kishore   

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Author Asha Rani Vohra
Features
  • ISBN : 9788177213201
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Asha Rani Vohra
  • 9788177213201
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 196
  • Hard Cover

Description

क्रांति का अर्थ और उद‍्देश्य केवल जुल्म के खिलाफ लड़ना मात्र नहीं होता, उसके बाद तत्कालीन शासन और समाज में अपेक्षित परिवर्तन व सुधार लाना भी होता है; जिसकी बहुत स्पष्‍ट रूपरेखा क्रांति नेतृत्व के पास होती है ।'.. आज के वातावरण को देखते हुए नई पीढ़ी के सामने ' आतंकवाद ' और ' क्रांति ' के भेद को स्पष्‍ट करना बेहद जरूरी है । '
- भूमिका का एक अंश
' अंग्रेजों ने डी.एस.पी. अहसानउल्ला खाँ को एक हिंदू किशोर क्रांतिकारी हरिपद भट्टाचार्य द्वारा मार दिए जाने की घटना को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देकर उस दिन सारी फौज तथा पुलिस को हटा लिया और शहर को गुंडों के हवाले कर दिया । इसमें अनेक निर्दोष जानें गईं और धर-पकड़ में जनता को बेवजह परेशान करने का बहाना भी अंग्रेज सरकार को मिल गया । '
—चटगाँव शस्त्रागार कांड के बाद दमन व बदले की द्विपक्षीय कार्यवाहियाँ, 1930 - 31
' मजिस्ट्रेट आर्थर विधानसभा के फाटक के सामने फौज की टुकड़ी के साथ तैनात था । उसने पुलिस के घेरे में प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने दिया कि जब वे एकदम तंग घेरे में आ जाएगे तब न आगे जा सकेंगे, न पीछे लौट सकेंगे ।' '' ' वंदे मातरम् ' के नारों से आकाश गूँज उठा । झंडा लिये आगे बढ़ते हुए एक के बाद एक साथी गोली खाकर गिरते गए । कुल ग्यारह लड़कों को गोली लगी, जिनमें से सात नौजवान शहीद हो गए । नेतृत्व करनेवाला जगपति कुमार सबसे कम उम्र का था । '
—पटना सचिवालय पर झंडारोहण, 1942
' माँ मुसकराई । उन्होंने मेरी टोपी ठीक की, फिर बोलीं, ' हाँ अब तुम वास्तव में हमारी बेटी लग रही हो । मुझे तुमपर गर्व है ।'' ' फिर भी उन्होंने मेरी परीक्षा ली, ' भारती, तुम्हें कॉलेज छोड़ने का दुःख तो नहीं होगा? अच्छी तरह सोच लो । तुमने भारत को अभी देखा भी कहां है! क्‍या तुम उस देश के लिए पूरे मन से लड़ सकोगी जहाँ तुम जनमीं, पलीं, बढ़ीं नहीं?' मैं तुनक गई। ‘ मेरी परीक्षा न लें, मां. वक्‍त आने पर दिखा दूँगी कि मैं भारत की आजादी के लिए कैसे लड़ती हूँ!
—इसी पुस्तक से

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अनुक्रम

भूमिका : क्रांतिकारी आंदोलन : पृष्ठभूमि और किशोर — Pgs. 11

भाग-1 (क्रांति के प्रथम दौर में किशोर)

1. आदिवासी देशभक्त : तिलका माँझी — Pgs. 21

2. चिता पर जीवित जलाई गई : कुमारी मैना — Pgs. 23

3. कूका विद्रोह में हाथ कटानेवाला बालक : गुरुमुख सिंह — Pgs. 26

4. छोटे भाई का कमाल : वासुदेव चाफेकर — Pgs. 29

5. जैक्सन पर गोली दागनेवाला : अनंत लक्ष्मण कान्हरे और उसके साथी — Pgs. 33

भाग-2 (क्रांति का द्वितीय दौर)

6. अलीपुर बम केस : वारींद्र घोष व उनके नवयुवक साथी — Pgs. 39

7. अद्भुत कारनामा, अद्भुत शहादत : सुशीलकुमार सेन — Pgs. 43

8. पचास तक गिनती ऐसे पूरी की गई : जितेन मुखर्जी — Pgs. 46

9. कुछ कर गुजरने की तमन्ना में शहीद : खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी — Pgs. 49

10. जेल-अस्पताल में घुसकर मुखबिर का काम तमाम : कन्हाई और सत्येंद्र — Pgs. 53

11. प्रथम लाहौर षड्यंत्र केस : रासबिहारी बोस के किशोर-नवयुवक साथी — Pgs. 56

12. ‘गदर’ के किशोर संपादक : करतारसिंह सराभा — Pgs. 61

13. जर्मन षड्यंत्र केस : बाघा जतीन के नवयुवक साथी — Pgs. 66

14. क्रांति की मशाल को बंगाल से असम ले जानेवाले : नलिनीकांत बागची — Pgs. 70

15. मैनपुरी षड्यंत्र केस : गेंदालाल दीक्षित के किशोर साथी — Pgs. 74

16. मैनपुरी केस में फरार : रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ — Pgs. 78

17. काकोरी कांड : रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके किशोर-नवयुवक साथी — Pgs. 81

18. जो हमेशा आजाद रहा : वीर चंद्रशेखर — Pgs. 85

19. काकोरी कांड में चौदह साल की जेल : मन्मथनाथ गुप्त — Pgs. 88

भाग-3 (क्रांति का तृतीय दौर)

20. द्वितीय लाहौर षड्यंत्र केस : भगतसिंह के किशोर-नवयुवक साथी — Pgs. 93

21. भगतसिंह दल की सहायक : सुशीला — Pgs. 101

22. यशपाल की साथिन : प्रकाशो — Pgs. 105

23. पंजाब की आंदोलनकारी छात्रा : मनमोहिनी जुत्शी — Pgs. 108

24. चटगाँव शस्त्रागार कांड : सूर्यसेन व उनके किशोर-नवयुवक साथी — Pgs. 111

25. प्रथम क्रांतिकारी शहीद किशोरी : प्रीतिलता वादेदार — Pgs. 120

26. बार-बार बहादुरी के कारनामे : कल्पना दत्त — Pgs. 124

27. छोटी लड़कियाँ, बड़ा कारनामा : शांति घोष और सुनीति चौधरी — Pgs. 128

28. दीक्षांत समारोह में गवर्नर पर गोली चलानेवाली : वीणा दास — Pgs. 131

29. रेसकोर्स एंडरसन गोलीकांड : उज्ज्वला मजूमदार, भवानी भट्टाचार्य, रवि बनर्जी, मनोरंजन बनर्जी — Pgs. 134

30. टीटागढ़ षड्यंत्र केस में गिरफ्तार : पारुल मुखर्जी और उषा मुखर्जी — Pgs. 136

31. ‘युगांतर दल’ की सदस्या : फूल रेणु — Pgs. 137

32. बारह साल की उम्र में चार साल की जेल : रामास्वामी — Pgs. 139

33. भारत की जोन ऑफ आर्क : रानी गिडालू — Pgs. 141

भाग-4 (1942 का उग्र आंदोलन)

34. 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन और छात्र-छात्राओं की भूमिका — Pgs. 147

35. हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूमनेवाला : हेमू कलानी — Pgs. 157

36. सत्याग्रही शहीद : कनकलता — Pgs. 160

37. बलिया का शहीद : कौशल कुमार — Pgs. 163

38. जितने साल की उम्र, उतने साल की सजा : शारदा और सरस्वती — Pgs. 166

39. बालिका वधू की करुण कहानी : तारा रानी श्रीवास्तव — Pgs. 168

40. पटना सचिवालय पर गोली के शिकार : जगपति कुमार — Pgs. 170

41. देशभक्त इक्केवान और नन्हा विद्यार्थी : झगरू और बच्चन प्रसाद — Pgs. 172

42. झंडा फहराकर ऊपर से कूद पड़ा : शंभुनाथ — Pgs. 175

43. पर्वत-पुत्र : त्रिलोकसिंह पांगती — Pgs. 177

44. देवरिया का शहीद किशोर : रामचंद्र — Pgs. 179

45. अदालत में घुसकर जज को इस्तीफा देने के लिए ललकारनेवाली : हेमलता और गुणवती — Pgs. 181

46. थानेदार को सबक सिखानेवाले : कामताप्रसाद विद्यार्थी और साथी — Pgs. 183

47. जेल से परीक्षा देनेवाला : दीपनारायण सिंह — Pgs. 185

48. छोटी उम्र, बड़ी सूझ : रानी — Pgs. 187

49. अंधाधुंध लाठी चार्ज देखकर धधकी आग : तारकेश्वरी — Pgs. 190

50. आजाद हिंद फौज की सैनिक : भारती सहाय — Pgs. 192

The Author

Asha Rani Vohra

श्रीमती आशारानी व्होरा ( जन्म : 7 अप्रैल, 1921) हिंदी की सुपरिचित लेखिका हैं । समाजशास्त्र में एम.ए. एवं हिंदी प्रभाकर श्रीमती व्होरा ने 1946 से 1964 तक महिला प्रशिक्षण तथा समाजसेवा के क्षेत्रों में सक्रिय रहने के बाद स्वतंत्र लेखन को ही पूर्णकालिक व्यवसाय बना लिया । हिंदी की लगभग! सभी लब्धप्रतिष्‍ठ पत्र-पत्रिकाओं में अर्धशती से उनकी रचनाएँ छपती रही है । अब तक चार हजार से ऊपर रचनाएँ और नब्बे पुस्तकें प्रकाशित । प्रस्तुत पुस्तक उनके पंद्रह वर्षों के लंबे अध्ययन के बाद स्वतंत्रता-संग्राम संबंधी पुस्तक-माला का चौथा श्रद्धा-सुमन है, जो स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती पर किशोर जीवन-बलिदानियों और शहीदों को अर्पित तथा वर्तमान नई पीढ़ी को समर्पित है ।
अनेक संस्थागत पुरस्कारों के अलावा ' रचना पुरस्कार ' कलकत्ता, ' अबिकाप्रसाद दिव्य पुरस्कार ' भोपाल, ' कृति पुरस्कार ' हिंदी अकादमी, दिल्ली, ' साहित्य भूषण सम्मान ' उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, ' गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार ' केंद्रीय हिंदी संस्थान ( मानव संसाधन विकास मंत्रालय) से सम्मानित । और हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की सर्वोच्च उपाधि ' साहित्य वाचस्पति ' से विभूषित श्रीमती व्होरा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एवं हिंदी अकादमी, । दिल्ली की सदस्य भी रह चुकी हैं ।

स्मृतिशेष : 21 दिसंबर, 2008

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