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Hindu Dharma Ke Mool Tattva   

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Author Sister Nivedita
Features
  • ISBN : 9789386054883
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Sister Nivedita
  • 9789386054883
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 184
  • Hard Cover

Description

प्रारंभिक शताब्दी धार्मिक अध्ययनों की शताब्दी रही है, जिसमें हिंदुत्व ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें स्वामी विवेकानंद का प्रमुख योगदान है, जिनकी 1893 में शिकागो की धर्म-संसद् में उपस्थिति ने वेदांत के समर्थन में वास्तविक आंदोलन और इस पर आधारित संभावित विश्व धर्म का सृजन किया। उनकी कई पाश्चात्य महिला शिष्याएँ, जैसे मार्गेट ई. नोबल या सिस्टर निवेदिता उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने अपने जीवन को धर्म के हेतु और इससे संबंधित लोगों के उत्कर्ष के लिए समर्पित कर दिया तथा इतिहास के पृष्ठों पर अपने चिह्न छोड़े।
हिंदू धर्म और संस्कृति का महत्त्वपूर्ण लक्षण सर्वाधिक परिपूर्ण विचार, जो संसार ने कभी उत्पन्न किया। सन् 1893 में शिकागो धर्म-संसद् में अग्रणी संत विवेकानंद के विचारों से प्रेरित सिस्टर निवेदिता ने हिंदू धर्म और संस्कृति का जिस तरह से विश्लेषण किया, उसे समझा और निरूपित किया, उसे यहाँ इस पुस्तक में रोचक शैली में इतने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है, कि सदी गुजर जाने के बाद भी इससे प्रेरणा मिलती है, यह जनमानस को झकझोर देती है। आज भी कोई दूसरा इन ऊँचाइयों को नहीं छू पाया है। उनके अवलोकनों की मौलिकता, जैसे हिंदू धर्म की जाति-व्यवस्था के अत्यधिक उपहासपूर्ण मामले, हिंदू महिला, त्रिमूर्ति संश्लेषण, बौद्ध धर्म और शिव की संकल्पना अपनी अत्यावश्यकताओं में मस्तिष्क को हिला देनेवाले हैं। उनका विचार था— ‘भारत की गुम हो चुकी राष्ट्रीय क्षमता को पुनः प्राप्त करने के लिए संशोधित रूप में जाति-व्यवस्था को पुनर्जीवित करना है।’

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अनुक्रम

निवेदिता से मिले गांधी—5

पर्याप्त रूप से मान्यताप्राप्त नहीं—7

हिंदू संस्कृति—13

उदारमना पाश्चात्य महिला—15

1. हिंदू जीवन में मेरा प्रवेश—21

2. भारत का इतिहास और इसका अध्ययन—35

3. भारतीय विचार : एक समागम—40

4. जीवन और मृत्यु का चक्र—53

5. धार्मिक अवधारणाओं के नियम—62

6. बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म—75

7. बनारस : अतीत का गीत—85

8. एलीफेंटा—हिंदू धर्म में समावेश—95

9. कृष्ण और गीता—100

10. शिव की कथा—111

11. बौद्ध धर्म के नगर—123

12. राजगीर : एक प्राचीन बेबीलोन—129

13. चीन सीखने आया—136

14. आनंदमय आयानों की धरती—142

15. हिंदू महिला माँ के रूप में—151

16. एक बार पत्नी, हमेशा एक पत्नी—160

17. जाति का मेरा विश्लेषण—173

The Author

Sister Nivedita

भगिनी निवेदिता का मूल नाम ‘मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल’ था। उनका जन्म 28 अक्तूबर, 1867 को आयरलैंड में हुआ। वे स्वामी विवेकानंद की शिष्या बनी।
भारत में आज भी जिन विदेशियों पर गर्व किया जाता है, उनमें भगिनी निवेदिता का नाम पहली पंक्ति में आता है, जिन्होंने न केवल भारत की आजादी की लड़ाई लड़नेवाले देशभक्तों की खुलेआम मदद की, बल्कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भगिनी निवेदिता का भारत से परिचय स्वामी विवेकानंद के जरिए हुआ। स्वामी विवेकानंद के आकर्षण व्यक्तित्व, निरहंकारी स्वभाव और भाषण-शैली से वे इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने ने केवल रामकृष्ण परमहंस के इस महान् शिष्य को अपना आध्यात्मिक गुरु बना लिया, बल्कि भारत को अपनी कर्मभूमि भी बनाया। अपने गुरु की प्रेरणा से कलकत्ता में लड़कियों के लिए स्कूल खोला, जिसका उद्घाटन शारदा माँ ने किया। माँ शारदा उन्हें अपनी बेटी की तरह स्नेह दिया करती थीं।
भारत प्रेमी भगिनी निवेदिता दुर्गापूजा की छुट्टियों में भ्रमण के लिए दार्जिलिंग गई थीं, लेकिन वहाँ उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और अंत में 13 अक्तूबर, 1911 को 44 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

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