Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bin Poonji Ka Dhandha   

₹300

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Ashwini Kumar Dube
Features
  • ISBN : 9788194024644
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ashwini Kumar Dube
  • 9788194024644
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 168
  • Hard Cover

Description

अश्विनीकुमार दुबे हिंदी व्यंग्य के एक चिर-परिचित हस्ताक्षर हैं। उनके पास व्यंग्य का मुहावरा एवं व्यंग्यकार की प्रखर दृष्टि है, जिसके प्रयोग द्वारा वे सार्थक व्यंग्य की रचना करते हैं। उनका दृष्टिकोण सकारात्मक है। उनकी व्यंग्यात्मक रचनाओं के विषय व्यापक हैं। वे सामयिक विषयों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी मात्र कर संतुष्ट नहीं होते, अपितु एक चिंतनशील रचनाकार के रूप में उसका विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। जहाँ एक ओर अधिकांश रचनाकार राजनीतिक विसंगतियों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी को रचना-कर्म मान रहे हैं, वहीं अश्विनीकुमार दुबे जैसे कुछ रचनाकार हैं, जो एक दृष्टि के साथ सामयिक विसंगतियों का विश्लेषण कर उनके दूरगामी प्रभावों की ओर लक्षित कर रहे हैं। उनकी चिंता वर्तमान की वे विसंगतियाँ हैं, जो मानव-जीवन के भविष्य को अपनी अँधेरी छाया से ग्रसित करना चाहती हैं। 
अश्विनीकुमार  दुबे  की  व्यंग्य रचनाओं में कहानी जिंदा है। वे विद्रूपताओं को कथा के माध्यम से अभिव्यक्त करने में यकीन रखते हैं। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में जहाँ एक ओर व्यंग्य अपनी अभिव्यक्ति के साथ रोचकता उत्पन्न करता है वहीं कथा भी उत्प्रेरक का काम करती है, और संभवतः इसी कारण उनकी व्यंग्य रचनाएँ व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के संकलन मात्र होने से बच पाई हैं।
—प्रेम जनमेजय
संपादक‘व्यंग्य यात्रा’

____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

पुस्तक-परिचय —Pgs. 7

ये रचनाएँ —Pgs. 9

1. बिन पूँजी का धंधा —Pgs. 13

2. हम कोई चेहरा उजला नहीं रहने देंगे —Pgs. 18

3. पाँव लागूँ कर जोरी —Pgs. 23

4. आरक्षण और पंचायती राज —Pgs. 28

5. भ्रष्टाचार मिटाने के सरल उपाय —Pgs. 33

6. फंड आया रे, आया —Pgs. 37

7. भैयाजी का षष्ठिपूर्ति महोत्सव —Pgs. 42

8. तैयारी शोकसभा की —Pgs. 46

9. गृह जिले में अफसर होने की पीड़ा —Pgs. 51

10. सर, मुझे बाबा बनना है —Pgs. 56

11. परीक्षाओं के दिन —Pgs. 61

12. बरात और मंत्रीजी —Pgs. 65

13. अहा! ग्राम्य जीवन —Pgs. 70

14. गलत व्यवस्था में फँसा सही आदमी —Pgs. 75

15. नेता सुतहिं सिखावहीं, आन धर्म जिनि लेऊ —Pgs. 80

16. हाथ मिलाते रहिए —Pgs. 85

17. मुझे भी सुरक्षाकर्मी चाहिए —Pgs. 90

18. राजधानी के बाबू —Pgs. 95

19. इधर जाएँ कि उधर? —Pgs. 101

20. ये गरमी के दिन —Pgs. 106

21. अतिक्रमण —Pgs. 111

22. एक तालाब की व्यथा-कथा —Pgs. 116

23. आप किसके आदमी हैं? —Pgs. 121

24. बड़े साहब का दौरा —Pgs. 126

25. कुछ मत देखो —Pgs. 131

26. हमारे गुरुजी —Pgs. 135

27. भाषा का असर —Pgs. 140

28. नेपथ्य में —Pgs. 145

29. शहर में साहित्य —Pgs. 150

30. दास्तान-ए-दफ्तर —Pgs. 155

31. सफलता —Pgs. 160

32. ओलों की बरसात : एक चिंतन —Pgs. 165

The Author

Ashwini Kumar Dube

अश्विनी कुमार दुबे
जन्म : 24 जुलाई, 1956, पन्ना (म.प्र.) इंजीनियरिंग कार्यों से सेवानिवृत्त।
लेखन : 1970 से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, उपन्यास, व्यंग्य, निबंध, नाटक, पटकथा, रेडिया रूपक, डायरी, रिपोर्ताज, संस्मरण आदि प्रकाशित।
रचना-संसार : ‘घूँघट के पट खोल’, ‘शहर बंद है’, ‘अटैची संस्कृति’, ‘अपने-अपने लोकतंत्र’, ‘फ्रेम से बड़ी तसवीर’, ‘कदंब का पेड़’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘शेष अंत में’, ‘जाने-अनजाने दुःख’, ‘स्वप्नदर्शी’, ‘हमारे हिस्से की छत’ (उपन्यास); ‘एक और प्रेमकथा’, ‘चुनी हुई व्यंग्य रचनाएँ’ (कहानी-संग्रह)।
सम्मान-पुरस्कार : भारतेंदु पुरस्कार, अंबिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार, स्पेनिन सम्मान।
संपर्क : 376-बी/आर, महालक्ष्मी नगर, इंदौर-452010 (म.प्र.)
दूरभाष : 09425167003
इ-मेल : 
ashwinikudubey@gmail.com

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW