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Author Mahesh Chandra Kaushik
Features
  • ISBN : 9789352668366
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mahesh Chandra Kaushik
  • 9789352668366
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2021
  • 120
  • Soft Cover
  • 150 Grams

Description

यह पुस्तक प्रसिद्ध वित्तीय सलाहकार महेश चंद्र कौशिक का एक उत्कृष्ट कार्य है, जो खुदरा निवेशकों पर केंद्रित है और उन्हें निवेश के बारे में कारगार सुझाव देती है। लेखक ने इसमें बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया है और तकनीकी शब्दों के प्रयोग से बचते हुए इसे समझने में सुगम और पढ़ने में दिलचस्प बना दिया है। 
यह पुस्तक पढ़ने के बाद आप समझ जाएँगे कि क्यों कुछ लोग हमेशा शेयर बाजार से पैसे बनाते हैं और कुछ लोग हमेशा शेयरों में पैसे गँवाते हैं। यदि आप इस पुस्तक को कदम-दर-कदम पढ़ेंगे और इसमें दिए सुझावों का पालन करेंगे तो आप शेयर बाजार में कभी नुकसान नहीं उठाएँगे।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप जानेंगे कि कैसे शेयर बाजार में 100 डॉलर का एक आरंभिक निवेश बीस वर्षों में 7,18,03,722 डॉलर हो सकता है।
शेयर बाजार की टिप्स के लिए पैसे देना बंद करें। बस इस पुस्तक को पढ़ें तो आप स्वयं ही शेयर बाजार में जीत हासिल करने के सिद्धांत जान जाएँगे और अधिक पैसे कमाना शुरू कर देंगे।

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अनुक्रम

प्रस्तावना —5

भूमिका—7

मेरा विशेष आभार—9

1. अपने शेयर बाजार निवेश को
किसी खुदरा व्यापार के रूप में देखें—13

2. शेयर बाजार में 100 डॉलर के शुरुआती निवेश से
  7,18,03,722 डॉलर कैसे बनाएँ?—20

3. बेस प्राइस (आधार मूल्य) सिस्टम का नवाचार—25

4. एक शेयर के मौलिक लक्ष्य मूल्य के लिए
  प्रति शेयर शुद्ध मूल्य की अवधारणा—31

5. किसी स्टॉक के लक्ष्य मूल्य की
  भविष्यवाणी के लिए मौलिक गणना—35

6. एक स्टॉक में अटकलों की पहचान कैसे करें?—38

7. क्या अंकित मूल्य के नीचे स्टॉक खरीदना अच्छा होता है?—41

8. निवेश के लिए शेयर का चुनाव कैसे करें?—43

9. बोनस और स्टॉक विभाजन सिर्फ निवेशकों पर
  मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं —47

10. रिवर्स ट्रेडिंग सिस्टम—49

11. लंबी अवधि की इक्विटी एस.आई.पी. में
  लाभ बुक करने की मेरी सेना विधि—54

12. शेयर बाजार में जीत के स्वर्णिम नियम—57

13. शेयर बाजार में अपना निवेश कैसे बढ़ाएँ?—60

14. स्टॉक की बदलती कीमतों के मूल कारण क्या हैं?—64

15. शेयर बाजार का सबसे बड़ा झूठ—68

16. विकल्प कारोबार क्या है?—71

17. टी.वी. विश्लेषक हमें भ्रमित कैसे करते हैं?—75

18. व्यापारियों के लिए आध्यात्मिक सुझाव—77

19. छोटे निवेशकों के लिए आसान तकनीकी विश्लेषण—79

20. पैनी स्टॉक्स में निवेश करने के लिए मेरे मूल सिद्धांत?—82

21. शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए फॉर्मूला—85

22. म्यूचुअल फंड्स निवेश—90

23. ई.एल.एस.एस. (ELSS) में लाभांश विकल्प का चुनाव करें —93

24. म्यूचुअल फंड्स एस.आई.पी. में लाभ कैसे बुक करें?—94

25. स्टॉक होल्ड करने के मानदंड—97

26. शेयर बाजार में अपने नुकसान की पुनःप्राप्ति कैसे करें?—99

सारांश—101

परिशिष्ट—109

The Author

Mahesh Chandra Kaushik

भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।

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