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Vivekanand Aur Rashtravad

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Author Parshuram Gupt
Features
  • ISBN : 9789383111343
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Parshuram Gupt
  • 9789383111343
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 152
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

स्वामी विवेकानंद के जन्म को डेढ़ सदी बीत चुकी है। लेकिन आज भी उनके संदेश युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। संपूर्ण राष्‍ट्र के भविष्य की दिशा तय करने में भी उनके विचार निर्णायक भूमिका का निर्वहण करने की क्षमता रखते हैं। आज वेदांत-दर्शन को विज्ञान की मान्यता मिलने लगी है, जिससे स्वामीजी के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं।
स्वामीजी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय, आलस्य तथा ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने के लिए स्पष्‍ट संदेश दिया और कहा कि तुम सदैव सत्य का पालन करो, विजय तुम्हारी होगी। आनेवाली शताब्दियाँ तुम्हारी बाट जोह रही हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कुछ ऐसे युवा चाहिए, जो देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हों। ऐसे युवाओं के माध्यम से वे देश ही नहीं, विश्‍व को भी संस्कारित करना चाह रहे थे।
स्वामीजी प्रखर राष्‍ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि राष्‍ट्र के प्रति गौरवबोध से ही राष्‍ट्र का कल्याण होगा। हिंदू संस्कृति, समाजसेवा, चरित्र-निर्माण, देशभक्‍ति, शिक्षा, व्यक्‍तित्व तथा नेतृत्व इत्यादि के विषय में स्वामीजी के विचार आज अधिक प्रासंगिक हैं।
स्वामीजी के संपूर्ण मानवता और राष्‍ट्र को समर्पित प्रेरणाप्रद जीवन का अनुपम वर्णन है—राष्‍ट्ररक्षा, राष्‍ट्रगौरव एवं राष्‍ट्राभिमान का पाठ पढ़ानेवाली, राष्‍ट्रवाद का अलख जगानेवाली इस अत्यंत जानकारीपरक पुस्तक में।

The Author

Parshuram Gupt

मेजर डॉ. परशुराम गुप्त
जन्म : 30 अगस्त, 1953 को सलोन, रायबरेली (उ.प्र.) में।
शिक्षा : 1975 में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से स्नातकोत्तर उपाधि। 1982 
में गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से 
पी-एच.डी.।
डॉ. परशुराम गुप्त 1975 से 2015 तक जवाहरलाल नेहरू स्मारक पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज, महराजगंज (उ.प्र.) में रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे तथा जुलाई 2015 से जुलाई 2018 तक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत  अवेद्यनाथ  महाविद्यालय  चौक, महाराजगंज में प्राचार्य पद पर कार्यरत रहे।
अब तक कुल 18 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें से प्रमुख हैं—गुरिल्ला युद्ध कर्म, परमाणु निरस्त्रीकरण, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भारतीय विदेश नीति, महान स्त्रातेजिक चिंतक : समर्थ रामदास, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सांस्कृतिक एकता, राष्ट्र रक्षक : महाराजा सुहेलदेव, नक्सल विद्रोह : समस्या एवं समाधान, आदमी की तलाश, War & Environmental Security, Devdah Ramgram आदि। 
कबीर सम्मान एवं अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

 

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