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Srijan Ke Beej   

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Author Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
Features
  • ISBN : 9789390101467
  • Language : Hindi
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More Information

  • Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
  • 9789390101467
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2020
  • 136
  • Hard Cover

Description

यशस्वी शब्दसाधक डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के चिरंतन-चिंतक व्यक्तित्व की अक्षय प्रतीक 'सृजन के बीज' की ये कविताएँ निश्चय ही 'सृजन की चेतना' से अनुप्राणित हैं। यह कविता-संग्रह वस्तुतः कवि डॉ. निशंक के इंद्रधनुषी जीवनानुभवों का प्यारा-सा गुलदस्ता है, जिसमें हर्ष-विषाद, आशा-निराशा और सत्य-असत्य के शाश्वत झूले से झूलते हृदय की सजीव और सृजनात्मक झाँकियाँ पाठकों को अनायास मोहित कर लेंगी। 'सृजन के बीज' कविता-संग्रह की कविताएँ साहित्य की सभी कसौटी पर पूर्णतः खरी उतरती हैं। डॉ. 'निशंक' उदात्त-चिंतन और मानवीय संवेदनाओं के प्रति पूर्णतः समर्पित रचनाकार तथा समाज के उच्चतर जीवन-मूल्यों के पक्षधर हैं। इस कविता-संग्रह में भी उनका यही उदात्त-चिंतन यत्र-तत्र मुखर हुआ है। प्रकृति, मानवीय संबंधों, जीवन-मूल्यों को भावप्रवण रूप में उद्घाटित करती लोकप्रिय कविताओं का पठनीय संकलन।

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अनुक्रम  
डॉ. ‘निशंक’ का चिरंतन-चिंतन 49. मायूस न हो — Pg. 75
1.मैं ऐसा होऊँ — Pg. 13 50. लकीरें — Pg. 76
2.दीन-हीन — Pg. 14 51. बेजुबान — Pg. 78
3.तुम ही हो — Pg. 16 52. वे सदा सफल — Pg. 80
4.आभूषण — Pg. 17 53. फलदार पेड़ झुकता है — Pg. 81
5.कुछ रिश्ते — Pg. 19 54. पूँजी — Pg. 82
6.कसौटी — Pg. 20 55. खामोशी — Pg. 84
7.अनुभव — Pg. 21 56. कब तक — Pg. 85
8.आह से उपजा — Pg. 22 57. ऐ जिंदगी — Pg. 87
9.अपने तो अपने ही हैं — Pg. 23 58. जब तक — Pg. 88
10.वत — Pg. 25 59. हौसला — Pg. 89
11.पानी के बुलबुले-सी है  जिंदगी — Pg. 26 60. ऐसा यों हुआ? — Pg. 90
12.एक विराट् दुनिया — Pg. 28 61. बाँसुरी — Pg. 91
13.तुम सिर्फ कर्म करो — Pg. 29 62. अपनी जमीन — Pg. 92
14.तुम्हारा सौंदर्य — Pg. 31 63. ये झूठ — Pg. 94
15.कितने सारे लोग — Pg. 32 64. बाँसुरी की सीख — Pg. 95
16.इच्छाओं के कारण — Pg. 33 65. मेरी जिद है — Pg. 96
17.अंत:करण — Pg. 34 66. सब कर डालो — Pg. 97
18.ऐसी क्रांति — Pg. 35 67. एहसास — Pg. 98
19.परख — Pg. 36 68. मेरे लिए — Pg. 99
20.भीगा हुआ आदमी — Pg. 37 69. मुट्ठी में बँधे हैं, जो प्रश्न — Pg. 100
21.बिना बात — Pg. 38 70. अहिंसा — Pg. 101
22.पीड़ा का मरहम — Pg. 39 71. संसार-यात्रा — Pg. 102
23.एक दिन पेड़ बनकर — Pg. 40 72. कोई ऐसा साथ — Pg. 103
24.दीप का संघर्ष — Pg. 41 73. मेरी शिकायत उससे — Pg. 104
25.चींटी — Pg. 43 74. अभाव — Pg. 105
26.सुख और दु:ख — Pg. 45 75. अनुशासन — Pg. 106
27.सृजन के बीज — Pg. 46 76. रसयुत बनो — Pg. 107
28.इनसान — Pg. 47 77. बूँद मचाएगी हाहाकार — Pg. 108
29.सबको साथ लेकर — Pg. 48 78. जड़ — Pg. 110
30.लोकतंत्र बचाना पड़ेगा — Pg. 49 79. मन — Pg. 112
31.न जाने ऐसा यों होता है — Pg. 50 80. मन और वत मेरी पूँजी है — Pg. 114
32. तुम्हीं को करना है — Pg. 51 81. खट्टे-मीठे अनुभव — Pg. 115
33. तैयारी करो — Pg. 52 82. कठोर बना दिया — Pg. 116
34. सुखद नशा है — Pg. 53 83. काश! तुम सुन सकते — Pg. 117
35. आओ मंथन करें — Pg. 54 84. मन और वत है मेरे पास — Pg. 119
36. सर्वेक्षण लसर — Pg. 55 85. गलतियाँ — Pg. 120
37. तुम भूल जाते हो — Pg. 58 86. मुकाबला — Pg. 121
38. एक रेखा — Pg. 60 87. सब ठीक चाहिए — Pg. 122
39. दुनिया को बदल दिया — Pg. 61 88. ये दर्द भी — Pg. 124
40. फिर न पाएगा — Pg. 62 89. दर्द का दरिया — Pg. 125
41. वह कल — Pg. 63 90. परेशानी — Pg. 126
42. ये दिल — Pg. 64 91. प्यार का आकार — Pg. 128
43. गिरगिट की तरह — Pg. 65 92. निंदिया — Pg. 129
44. भोला पहाड़ — Pg. 66 93. सेतु का काम कर — Pg. 131
45. आज नहीं तो कल — Pg. 68 94. मैं हूँ तुम्हारा मन — Pg. 132
46. हथेली की लकीरें — Pg. 70 95. मुकाम — Pg. 134
47. लकीरों में — Pg. 72 96. घमंडी व्यति — Pg. 135
48. विचार-तरंग — Pg. 73  

The Author

Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।

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