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Reteele Teele Ka Rajhans   

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Author Harish Naval
Features
  • ISBN : 9789351868408
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Harish Naval
  • 9789351868408
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 192
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

जैन धर्म के अंतर्गत ‘तेरापंथ’ के उन्नायक आचार्य तुलसी भारत के एक ऐसे संत-शिरोमणि हैं, जिनका देश में अपने समय के धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक आदि सभी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे इसीलिए ‘युग-प्रधान’ कहलाते हैं। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को लक्षित करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार हरीश नवल ने प्रस्तुत उपन्यास पर्याप्त शोध, चिंतन और मनन के बाद कागज पर उतारा है।
आचार्य तुलसी का दर्शन, उनके जीवन-सूत्र, सामाजिक चेतना, युग-बोध, साहित्यिक अवदान और मार्मिक तथा प्रेरक प्रसंगों को लेखक ने बखूबी उकेरा है, जो जनमानस को प्रभावित कर सकने में सक्षम है। पाठक ‘रेतीले टीले के राजहंस’ के माध्यम से अनेक ऐसे तत्त्वों, सूत्रों आदि को सुगमता से जान पाएँगे, जो सैद्धांतिक रूप में दुरूह हैं।
सुधी पाठक पृष्ठ-दर-पृष्ठ पढ़ते जाएँगे और आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व और अवदान से परिचित होते जाएँगे। यह एक ऐसी कृति है, जिसे पढ़कर पाठक निस्संदेह अपनी वर्तमान स्थिति से अपने को ऊँचा उठा पाएँगे।

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अनुक्रम

भूमिका —Pgs 5

उदय —Pgs 15

दायित्व —Pgs 57

विस्तार —Pgs 69

परिव्रजन —Pgs 93

संघर्ष —Pgs 109

शिखर  —Pgs 131

वैश्विक युगबोध —Pgs 165

प्रयाण —Pgs 177

संप्रति —Pgs 189

 

The Author

Harish Naval

जन्म : 8 जनवरी, 1947 को उनकी ननिहाल नकोदर, जिला जालंधर, पंजाब॒ में।
शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.लिट., पी-एच.डी.।
प्रकाशन : ‘बागपत के खरबूजे’, ‘मादक पदार्थ और पुलिस’, ‘पुलिस मैथड’ आदि के अलावा सात व्यंग्य पुस्तकें, अन्य विधाओं की सात पुस्तकें, 65 पुस्तकों में सहयोगी लेखन और छह संपादित पुस्तकें एवं देश-विदेश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अब तक 1500 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान-पुरस्कार : युवा ज्ञानपीठ पुरस्कार, पं. गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार, साहित्य कला परिषद् पुरस्कार सहित अब तक राष्ट्रीय स्तर के 21 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त।
‘इंडिया टुडे’ के साहित्य सलाहकार और एन.डी.टी.वी. के हिंदी कार्यक्रम के परामर्शदाता रहे; दिल्ली वि.वि. के वोकेशनल कॉलेज के कार्यकारी प्रधानाचार्य और ‘हिंद वार्त्ता’ के मुख्य संपादक सलाहकार भी रहे। बल्गारिया के सोफिया वि.वि. में ‘विजिटिंग व्याख्याता’ और मॉरीशस वि.वि. में ‘मुख्य परीक्षक’ भी रहे। 30 देशों की यात्रा।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन।

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