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Author N. Raghuraman
Features
  • ISBN : 9789353229085
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • N. Raghuraman
  • 9789353229085
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 160
  • Soft Cover

Description

पुस्तक सार
माँ के लिए सिर्फ ‘मदर्स डे’ ही काफी नहीं है, क्योंकि साल का हर दिन किसी-न-किसी रूप में माँ की ही शक्ति से चलता है।
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विफल होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, लेकिन सफल होने के लिए एक ही वजह काफी है—जीवन से संघर्ष करने की क्षमता। पुरानी उक्ति याद कीजिए, ‘ईश्वर उनकी मदद करता है, जो अपनी मदद करते हैं।’
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बच्चों को शिक्षा के साथ इनसानियत से जोडि़ए और उन्हें यह अहसास होने दीजिए कि हीरो भी फेल होते हैं। यह आज के अवसाद के दौर को हैंडल करने का अच्छा तरीका होगा।
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बच्चों के लालन-पालन यानी पेरेंटिंग का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह हम पर है कि हम कैसे बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली इस परंपरा को नाकाम न होने दें।
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यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ें तो उन्हें किसी-न-किसी रूप में दुनियाभर के साहित्य से परिचित कराइए। इस तरह के पठन-पाठन से उन्हें अपना दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।
—इसी पुस्तक से

प्रसिद्ध लाइफ कोच और मोटिवेशन गुरु एन. रघुरामन के ये विचार बच्चों के लालन-पालन और परवरिश के बारे में व्यावहारिक जानकारी देते हैं। ये सूत्र बच्चों के चहुँमुखी विकास में सहायक सिद्ध होंगे और आपको एक अच्छा और सफल अभिभावक होने का गौरवबोध भी करवाएँगे।

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अनुक्रम

इस पुस्तक की पृष्ठभूमि —Pgs. 7

1. ‘आज तुमने क्या खाया’ ये सांसारिक शब्द नहीं, संगीत है —Pgs. 13

2. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का फर्क बेहतर जानती है नई पीढ़ी —Pgs. 15

3. माँ में होती है समुदाय बनाने की शक्ति —Pgs. 17

4. शहरी गरीबी से बचा सकते हैं किफायत के सबक —Pgs. 19

5. संघर्ष करनेवाले योद्धाओं से प्यार करती है जिंदगी —Pgs. 22

6. बदलती दुनिया के लिए नई पीढ़ी को तैयार करें —Pgs. 24

7. जीवन में सुकून चाहते हैं तो बनाएँ अपनी रूल-बुक —Pgs. 26

8. डिप्रेशन से सिर्फ इनसानियत ही निकाल सकती है —Pgs. 28

9. समय आ गया है कि बच्चों की कहानियाँ बदली जाएँ —Pgs. 30

10. जिंदगी के हर चरण पर गीत है, जिसका पूरा लुत्फ उठाएँ —Pgs. 32

11. चैरिटी के काम करें तो अपने बच्चों को जरूर बताएँ —Pgs. 34

12. हर पिता को ‘उड़ा बच्चा’ की चाहत नहीं होती —Pgs. 36

13. नई पीढ़ी को दिशा दे सकती है स्मार्ट स्टोरी —Pgs. 38

14. अगर आपके बनाए नियम टूटें तो परेशान मत होइए —Pgs. 40

15. हमसे अलग है जिंदगी के प्रति नई पीढ़ी का नजरिया —Pgs. 42

16. जो माहौल हम देते हैं, उससे बनता है नई पीढ़ी का चरित्र —Pgs. 44

17. रोज के घरेलू काम भी लाइफ स्किल और मूल्यों की ट्रेनिंग से कम नहीं —Pgs. 46

18. हमारे दौर से बेहतर हैं आज के उपहार —Pgs. 48

19. भावी पीढ़ी की खुशी को प्राथमिकता देकर उस दिशा में प्रयोग करते रहें —Pgs. 50

20. सेब की तुलना सेब से की जाए, संतरे से नहीं —Pgs. 52

21. साक्षी सिंधु के चेहरे के भावों में पेरेंटिंग के सबक! —Pgs. 54

22. शै​क्ष​िणक कॅरियर में भी ‘लीप फ्रॉग’ संभव —Pgs. 56

23. सभी में होता है क्रूसेडर, इसे बढ़ावा देने की जरूरत है —Pgs. 58

24. पेरेंटिंग का कोई शॉर्टकट नहीं होता —Pgs. 60

25. बच्चों को थॉट लीडर बनने का अवसर उपलब्ध कराएँ —Pgs. 63

26. हर पल आपको देता है एक छोटा सबक —Pgs. 65

27. बच्चों को स्टाइलिश बनाना है तो उन्हें साहित्य से जोड़ें —Pgs. 67

28. हमेशा कमजोर लोग ही क्यों हमें चुनौती लेना सिखाते हैं? —Pgs. 69

29. पिछली जीत के कारण भावी लड़ाई की अनदेखी न करें —Pgs. 71

30. माँ, ​शिक्षक और रोल मॉडल लौटा सकते हैं नैतिक मूल्य —Pgs. 73

31. जीवन के संघर्षों का सामना करने के लिए बच्चों को मजबूत बनाएँ —Pgs. 75

32. नैतिक मूल्यों की ​​शिक्षा को खुद भी कड़ाई से अपनाएँ —Pgs. 77

33. तो आप जानते हैं पिता कैसे अलग भूमिका निभाते हैं? —Pgs. 79

34. गर्व की अनुभूति के लिए नई पीढ़ी को फिर बताएँ इतिहास —Pgs. 81

35. हम जिसे गर्व समझते हैं, वह बच्चों के लिए शर्म की बात भी हो सकती है! —Pgs. 83

36. लाउड होकर जश्न मनाना कोई स्टाइल तो नहीं है —Pgs. 85

37. अच्छी कहानी कभी पुरानी नहीं होती —Pgs. 87

38. कॉलेज प्रोजेक्ट के प्रति क्यों होना चाहिए गंभीर? —Pgs. 89

39. ‘नहीं’ और ‘यह मत करो’ जिंदगी की यात्रा में सबसे खराब शब्द हैं —Pgs. 91

40. अपने बच्चे के हर प्रश्न का जवाब दीजिए, इसका फायदा मिलेगा —Pgs. 93

41. अपग्रेड नहीं होंगे तो जॉब स्थायी रूप से अस्थायी ही रहेगा —Pgs. 95

42. रीअरेंजमेंट भविष्य में बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र हो जाएगा —Pgs. 97

43. हर पीढ़ी के लिए परिवार का सम्मान ही सर्वोच्च होता है —Pgs. 99

44. कमजोर रिजल्ट के बाद पेरेंट्स अपनाएँ ​‘मिला-जुला’ रवैया —Pgs. 101

45. अपने बच्चों को गिरकर सँभलने का मौका दें —Pgs. 103

46. आपके बच्चे को घर पर ​‘बेकार’ की चीजों के लिए जगह चाहिए —Pgs. 105

47. बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें जिंदगी भर याद रहनेवाले अनुभव से गुजारें —Pgs. 108

48. खुदा से कम नहीं हैं पेरेंट्स और टीचर —Pgs. 111

49. बच्चे आपके रास्ते पर नहीं चलें तो आप उनके रास्ते पर चलिए! —Pgs. 113

50. पेरेंट्स का हिदायतें देते रहना जॉब इंटरव्यू के लिए अच्छा —Pgs. 115

51. अगली पीढ़ी को नई संस्कृति देना भी दान उत्सव है —Pgs. 117

52. जब पिता असली हीरो बनते हैं तो पूरे समाज को फायदा होता है —Pgs. 119

53. बच्चों की परवरिश और विवाह मंदिर की तरह पवित्रतम हैं —Pgs. 121

54. हमदर्दी स्कूली बच्चों से वह करवा सकती है, जो सरकार भी न कर सकी हो —Pgs. 123

55. पढ़ाई में ड्रॉप आउट होने का मतलब कामयाबी में ड्रॉप आउट नहीं होता —Pgs. 125

56. आपके बच्चे दिखावा नहीं, अपनी ब्रैंडिंग कर रहे हैं —Pgs. 127

57. विज्ञान और मान्यताएँ एक ही पक्षी के दो पंखों की तरह हैं —Pgs. 129

58. पुरानी जानकारियाँ कभी पुरानी नहीं होतीं! —Pgs. 131

59. यांत्रिक जीवनशैली से बाहर आइए —Pgs. 133

60. हमेशा उन चीजों पर काम करें, जो मानव प्रजाति को व्यापक स्तर पर प्रभावित करें —Pgs. 135

61. अनेक थे टाइगर : नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए गौरवपूर्ण इतिहास याद दिलाते रहें —Pgs. 137

62. भविष्य का स्टेटमेंट है—‘मेरे पास फॉरेस्ट है’ —Pgs. 139

63. हमें अगली पीढ़ी में आक्रामकता कम करने के लिए कुछ करना होगा —Pgs. 141

64. बच्चे का स्कूल बैग जादू का सबसे बड़ा बक्सा होता है! —Pgs. 143

65. अच्छे पालक खतरे के संकेत जल्दी देख लेते हैं —Pgs. 145

66. बच्चे के बारे में कोई दृष्टिकोण कायम करना जल्दबाजी होगी —Pgs. 147

67. हमारे बच्चे कैसे जीवन का आनंद ले रहे हैं, कलरफुल या ब्लैक ऐंड व्हाइट? —Pgs. 150

68. ​शिक्षा का मामला हो तो पेरेंटिंग डिसिप्लीन अमल में लाएँ —Pgs. 152

69. बच्चे झूठ बोलते हैं, क्योंकि वे आपको दुःखी देखना नहीं चाहते —Pgs. 154

70. क्या आपका बच्चा जिज्ञासा से ​खिड़की के बाहर देख रहा है? —Pgs. 156

71. अड़ियलपन और संकल्प में महीन फर्क होता है —Pgs. 158

The Author

N. Raghuraman

एन. रघुरामन
मुंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) मुंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा, अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीनों भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी—में प्रतिदिन करीब तीन करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का कारण इसमें असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण किया जाता है।
श्री रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता भी हैं; बहुत सी परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। मानसिक शक्ति का पूरा इस्तेमाल करने तथा व्यक्ति को अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीके की बहुत सराहना होती है।
इ-मेल : nraghuraman13@gmail.com

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