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Milate-Julate Shabdon ke Manak Prayog   

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Author Ravindra Kumar
Features
  • ISBN : 9789384344672
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Ravindra Kumar
  • 9789384344672
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 152
  • Hard Cover

Description

दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपने में समाहित कर आवश्यकतानुसार नए शब्दों का निर्माण करते रहने की अपनी अद्भुत क्षमता के बल पर हिन्दी दुनिया में तेजी से फैल रही है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों में भारत, पाकिस्तान, मॉरीशस, फिजी, गवाटेमाला, संयुक्त अरब अमीरात और गुयाना में 50 प्रतिशत से अधिक तथा सूरीनाम, ट्रिनिडाड, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और इक्वाडोर में 25 प्रतिशत से अधिक आबादी हिन्दी बोलती है। इसके अतिरिक्त सौ से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी के उच्च शिक्षण की व्यवस्था है और प्रायः सभी देशों में इसे बोलने और समझने वाले लोग मौजूद हैं। इसमें संदेह नहीं कि अपनी सहजता-सरलता के चलते हिंदी का प्रभाव क्षेत्र निरंतर विस्तृत होता जा रहा है, लेकिन यह भी कटु सत्य है कि इस विकास और विस्तार के बावजूद गर्व के साथ व्यवहार में लाकर इसे तराशने, सजाने और सँवारने की वह चिंता कमजोर हुई लगती है, जिसके परिणाम स्वरूप हिन्दी आज इस मुकाम तक पहुँची है। यह चिंतन का विषय इसलिए है क्योंकि हिन्दी की अपने ही देश में चिंताजनक स्थिति बन रही है। अतः असली जरूरत इसे व्यवहार में लाकर इसकी विश्वव्यापी उपलब्धियों पर नाज करने की है।
पत्रकारिता और अध्यापन के अपने लंबे अनुभव के आधार पर लेखक ने इस पुस्तक में ऐसी अनेक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया है, जिनके चलते शबदों के अमानक प्रयोग हो रहे हैं। भाषा सरल-सुबोध और शैली बोधगम्य होने से इसमें भाषा विज्ञान का शास्त्रीय पक्ष भी बड़े सहज ढंग से अभिव्यक्त हुआ है।

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अनुक्रम  
लेखकीय — 7 61. प्राप्ति और उपलधि — 79
1. टाँग और पाँव (पैर) — 13 62. प्राय: और बहुधा — 80
2. कोश और कोष — 15 63. प्रज्ञा और प्रतिभा — 81
3. अर्थी और अरथी — 15 64. बुद्धि और समझ — 82
4. बधाई और धन्यवाद — 16 65. भाव और भावना — 84
5. अस्त्र और शस्त्र — 16 66. अधिकांश और अधिकतर — 85
6. क्षति और हानि — 18 67. मात्रा और संया — 86
7. अहम् और अहम — 18 68. आशंका और संभावना — 87
8. करनी और करतूत — 19 69. बेफिक्र और लापरवाह — 89
9. द्रव्य और द्रव — 20 70. पीड़ा और यंत्रणा — 90
10. उपयोग और प्रयोग — 20 71. भेद और अंतर — 91
11. टाँगना और लटकाना — 22 72. लेख और आलेख — 92
12. जाग्रत् और जागृत — 23 73. व्यंग्य और व्यंग — 94
13. बरामद और जत — 24 74. अद्भुत और विचित्र — 95
14. भाषण और व्यायान — 24 75. ज्ञापन और अधिसूचना — 96
15. निर्देशक और निदेशक — 26 76. विश्वास और भरोसा — 97
16. नमस्ते और प्रणाम — 26 77. निवेदन और प्रार्थना — 99
17. अर्घ और अर्घ्य — 27 78. साधारण और सामान्य — 100
18. निलंबन और बरखास्तगी — 28 79. हरण और अपहरण — 101
19. सम्मान और पुरस्कार — 29 80. शंका और संदेह — 102
20. नहीं और न — 29 81. शासन और प्रशासन — 104
21. मिलीभगत और साँठगाँठ — 30 82. हत्या और वध — 105
22. लोकार्पण और विमोचन — 31 83. स्वाधीनता और स्वतंत्रता — 106
23. भोगना और सहना — 32 84. दौड़ना और भागना — 107
24. आरोपी और आरोपित — 33 85. भागदौड़ और भगदड़ — 108
25. अपराध और पाप — 35 86. हठ और जिद — 109
26. अनुरोध और प्रार्थना — 36 87. नाम और उपनाम — 111
27. अनशन और उपवास — 37 88. नाम और संज्ञा — 112
28. अनुकरण और अनुसरण — 38 89. चिपकना और सटना — 113
29. अंकुश और नियंत्रण — 40 90. ताकना और घूरना — 114
30. आज्ञा और आदेश — 41 91. अधिक और बहुत — 116
31. गुरु और गुरू — 42 92. मिलना और लगना — 117
32. व्यापार और व्यवसाय — 43 93. जुड़ना और लगना — 118
33. अध्यादेश और समादेश — 45 94. टिकना और रुकना — 119
34. अत्युति और अतिशयोति — 46 95. ठहरना और थमना — 120
35. अक्षर और वर्ण — 47 96. फूटना और फटना — 122
36. आदि और आरंभ — 48 97. चेतावनी और धमकी — 123
37. वारिस और बारिश — 49 98. पकड़ना और थामना — 124
38. बहुत और बड़ा — 50 99. उलटना और पलटना — 125
39. अपेक्षा और आवश्यकता — 51 100. गिरना और ढहना — 126
40. अनावरण और उद्घाटन — 52 101. नापना और मापना — 128
41. अनिवार्य और आवश्यक — 53 102. घर और मकान — 129
42. उद्देश्य और ध्येय — 55 103. कार्यवाही और काररवाई — 130
43. संवेदना और सहानुभूति — 56 104. देखना और झाँकना — 131
44. धन और संपत्ति — 57 105. जुटना और जुतना — 133
45. उन्नति और प्रगति — 58 106. शिक्षा और विद्या — 134
46. उपस्थित और विद्यमान — 60 107. समाचार और संवाद — 135
47. प्रस्तुत और वर्तमान — 61 108. संधि और समझौता — 136
48. भूल और चूक — 62 109. हँसी और दिल्लगी — 137
49. यश और कीर्ति — 63 110. ईर्ष्या और द्वेष — 139
50. कल्पना और उपज — 65 111. अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय — 140
51. खोज और शोध — 66 112. आमंत्रण और निमंत्रण — 141
52. प्रयत्न और प्रयास — 67 113. बल और सामर्थ्य — 142
53. ग्रंथ और पुस्तक — 68 114. अवस्था और आयु — 143
54. लोकतंत्र और गणतंत्र — 70 115. संस्था और संस्थान — 145
55. परिणाम और फल — 71 116. संकल्प और प्रतिज्ञा — 146
56. पर्याप्त और यथेष्ट — 72 117. संस्कृति और सभ्यता — 147
57. मजदूरी, पारिश्रमिक और वेतन — 73 118. संबंध और संपर्क — 148
58. प्रकृति और स्वभाव — 75 119. समालोचना और समीक्षा — 150
59. विरुद्ध और विपरीत — 76 सहायक ग्रंथों की सूची — 152
60. उपदेश और प्रवचन — 77  

The Author

Ravindra Kumar

रविन्द्र कुमार—बिहार के जिला बेगुसराय के एक छोटे से गाँव में जनमे रविन्द्र कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की तत्पश्चात् नवोदय विद्यालय, बेगुसराय में प्रवेश लिया। आगे की शिक्षा के लिए राँची गए व आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में चयनित हुए। इन्होंने मर्चेंट नेवी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और शिपिंग क्षेत्र में सेवाएँ दीं। जहाज की नौकरी छोड़ आई.ए.एस. अधिकारी बने।

रविन्द्र कुमार भारत के प्रथम व एकमात्र ऐसे आई.ए.एस. अधिकारी हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की।

रविन्द्र कुमार ने सिक्किम, उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार में सेवाएँ दीं वर्तमान में झाँसी के जिलाधिकारी हैं।

रविन्द्र कुमार एक आशुकवि व लेखक भी हैं। अब तक इनकी सात कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी कृति ‘एवरेस्ट : सपनों की उड़ान—सिफर से शिखर तक’ के लिए वर्ष 2020 में ‘अमृतलाल नागर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इनके जीवन पर एक उपन्यास ‘सपनों का सारथी’ भी लिखा गया है।

इ-मेल : ravindra.everest@gmail.com

वेबसाइट : www.shriravindrakumar.com

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