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Maun Muskaan Ki Maar   

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Author Ashutosh Rana
Features
  • ISBN : 9789352669820
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ashutosh Rana
  • 9789352669820
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 200
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

मैंने और अधिक उत्साह से बोलना शुरू किया, ‘‘भाईसाहब, मैं या मेरे जैसे इस क्षेत्र के पच्चीस-तीस हजार लोग लामचंद से प्रेम करते हैं, उनकी लालबत्ती से नहीं।’’ मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक विवशता भरी मुसकराहट आई, वे बहुत धीमे स्वर में बोले, ‘‘प्लेलना (प्रेरणा) की समाप्ति ही प्लतालना (प्रतारणा) है।’’ मैं आश्चर्यचकित था, लामचंद पुनः ‘र’ को ‘ल’ बोलने लगे थे। इस अप्रत्याशित परिवर्तन को देखकर मैं दंग रह गया। वे अब बूढ़े भी दिखने लगे थे। बोले, ‘‘इनसान की इच्छा पूलती (पूर्ति) होना ही स्वल्ग (स्वर्ग) है, औल उसकी इच्छा का पूला (पूरा) न होना नलक (नरक)। स्वल्ग-नल्क मलने (मरने) के बाद नहीं, जीते जी ही मिलता है।’’
मैंने पूछा, ‘‘फिर देशभक्ति क्या है?’’ अरे भैया! जरा सोशल मीडिया पर आएँ, लाइक-डिस्लाइक (like-dislike) ठोकें, समर्थन, विरोध करें, थोड़ा गालीगुप्तार करें, आंदोलन का हिस्सा बनें, अपने राष्ट्रप्रेम का सबूत दें। तब देशभक्त कहलाएँगे। बदलाव कोई ठेले पर बिकनेवाली मूँगफली नहीं है कि अठन्नी दी और उठा लिया; बदलाव के लिए ऐसी-तैसी करनी पड़ती है और करवानी पड़ती है। वरना कोई मतलब नहीं है आपके इस स्मार्ट फोन का। और भाईसाहब, हम आपको बाहर निकलकर मोरचा निकालने के लिए नहीं कह रहे हैं; वहाँ खतरा है, आप पिट भी सकते हैं। यह काम आप घर बैठे ही कर सकते हैं, अभी हम लोगों ने इतनी बड़ी रैली निकाली कि तंत्र की नींव हिल गई, लाखों-लाख लोग थे, हाईकमान को बयान देना पड़ा। मैंने कहा कि यह सब कहाँ हुआ, बोले कि सोशल मीडिया पर इतनी बड़ी ‘थू-थू रैली’ थी कि उनको बदलना पड़ा। 
प्रसिद्ध सिनेमा अभिनेता आशुतोष राणा के प्रथम व्यंग्य-संग्रह ‘मौन मुस्कान की मार’ के अंश।

The Author

Ashutosh Rana

जब परिचय की बात आती है तो हम ‘तथ्यों’ पर बल देते हैं। सहजता से बता ले जाते हैं कि, जन्म कहाँ हुआ। कब हुआ। माता-पिता कौन हैं; लेकिन क्या ये तथ्य ही हमारा परिचय है?
मेरा मानना है कि जितना अधिक प्रभाव तथ्य का होता है, उतना अधिक प्रभाव सत्य का भी होता है और मेरे विचार से इसी सत्य को जानने के लिए हम संसार में जन्म लेते हैं। 
तथ्यों की जब हम बात करते हैं तो यह ठीक है कि मैं 10 नवंबर को पैदा हुआ, मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में जिसका नाम गाडरवारा है। पिता का नाम श्री रामनारायणजी और माता का नाम श्रीमती सीता देवीजी है। मैंने प्रारंभिक व उच्च शिक्षा विभिन्न स्थानों—गाडरवारा, अहमदाबाद, जबलपुर व सागर विश्वविद्यालय में ग्रहण की और फिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से स्नातक (ड्रामेटिक्स) होने के बाद जीविकोपार्जन के लिए मैं मुंबई आ गया। कई सारी फिल्में की, कई सारे पुरस्कार मिल गए। सत्कार भी हो गया, लेकिन क्या यही मेरा परिचय है?
वास्तव में हम संसार से परिचय ही इसलिए करते हैं, क्योंकि हम स्वयं से परिचय प्राप्त करना चाहते हैं। स्वयं से परिचय प्राप्त करने की प्रक्रिया में हम संसार से परिचित होते चले जाते हैं। लेकिन स्वयं को जानना सृष्टि की जटिलतम रहस्यमयी प्रक्रिया है। इस रहस्य का अनावरण समर्थ सद्गुरु ही कर पाते हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं अपने सद्गुरु परमपूज्य दद्दाजी की शरण में हूँ। स्व से साक्षात्कार का प्रयास निरंतर प्रवाहमान है और इसी प्रवाह में अपने देश-काल और परिस्थितियों से तादात्म्य स्थापित करने का प्रयत्न करता हूँ। इन्हीं प्रयत्नों के सुखद परिणाम के रूप में भी इस पुस्तक को आप देख सकते हैं।
अंततः यदि स्वयं को मैं ब्रह्मांड का एक अणु-अंश मानूँ तो मेरी इस मान्यता के पीछे भी मेरे पूज्य गुरुवर ही हैं, जिन्होंने मेरा परिचय मेरे भीतर स्थित ब्रह्मांड से करवाया। मैं उनका ही हूँ, उनसे ही हूँ।
—आशुतोष राणा
ashutosh.ramnarayan@gmail.com

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