Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Kshama Karne Ki Alaukik Shakti   

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author J.P. Vaswani
Features
  • ISBN : 9789351867562
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • J.P. Vaswani
  • 9789351867562
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 144
  • Hard Cover

Description

क्रोध, विद्वेष और असंतोष विनाशकारी तथा आत्म-पराजयकारी हैं। हम दूसरों के विरुद्ध इन नकारात्मक भावनाओं का वहन करते हैं; लेकिन वास्तव में ये हमारे जीवन को विषाक्त कर देती हैं। जब हम अपनी प्रतिक्रियाओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं, हम यह विश्वास करते हैं कि वे हमारी नकारात्मक भावनाओं के लिए उत्तरदायी हैं, तब वास्तव में हम अपने स्वयं के जीवन पर से ही नियंत्रण त्याग रहे होते हैं। क्षमा अच्छाइयों, प्रेम और करुणा जाग्रत् कर हमारी अपनी क्षमताओं के प्रति हमें जागरूक बनाकर हमारे आत्म-विश्वास को बढ़ाती है। क्षमा हमें अपने स्वयं और दूसरों के साथ शांति से रहने के लिए सक्षम बनाती है और भावनात्मक संघर्ष से स्वतंत्र करती है। क्षमा हमारे जीवन को रूपांतरित कर सकती है, इसे और अधिक शांत, अर्थवान और रचनात्मक बना सकती है। 
पूज्य दादा वासवानी के अमृत वचन और उनके स्वयं के दीर्घ जीवन का अमूल्य खजाना इस पुस्तक में संकलित है, जिसके अध्ययन से हम क्षमा जैसे दैवी गुण को अपने जीवन में उतारकर आत्मविकास कर पाएँगे, सफल हो पाएँगे।

______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम  
संकलनकर्ता की टिप्पणी — 9 35. सार बार सात — 74
प्रस्तावना — 13 36. क्षमा करो और मुत हो जाओ — 75
1. बेंजामिन का हृदय परिवर्तन — 17 37. क्षमा करने का अधिकार — 77
2. शांति का मार्ग — 18 38. वेकर का मार्ग — 78
3. मैं तुम्हें क्षमा कर दूँगा — 19 39. लियो बेक की कथा — 79
4. दो कथाकारों की कथा — 20 40. क्षमाशीलता काम कर गई — 80
5. इसलिए बुद्ध ने उवाच दिया — 21 41. सच्ची क्षमा — 81
6. क्षमा संबंधों को पुन: स्थापित कर देती है — 25 42. बेहतर बनो, कड़वे नहीं — 83
7. कार्लाइल की करुणा — 27 43. बुद्ध का मार्ग — 85
8. प्रतिशोध लेने का सर्वश्रेष्ठ तरीका — 29 44. सशर्त क्षमा — 87
9. सुझाव ने काम किया — 31 45. क्षमा का कोई मूल्य नहीं  — 88
10. क्षमाहीन वृत्ति — 32 46. क्षमा किया लेकिन भूला नहीं — 89
11. एक पिता का द्वंद्व — 35 47. एक दिव्य कर्म — 90
12. प्रतिशोध ले लिया! — 37 48. क्षमा को करुणा से मिला दीजिए — 92
13. एक महवपूर्ण परीक्षा — 39 49. एक शत्रु एक मित्र बन जाता है — 93
14. बच्चे हमें सिखाएँगे — 41 50. पुलों का निर्माण करना — 94
15. क्षमा घाव भरने वाला मरहम — 43 51. एक महान् क्षमाकर्ता — 96
16. हृदय को छू लेने वाली एक कहानी — 44 52. शत्रुओं को क्षमा कर दो — 98
17. यह है क्षमा करना — 49 53. क्षमा में कोई बाधा नहीं होती — 100
18. अतीत हमें बाँधता नहीं है — 51 54. किसी से घृणा मत करो : सभी को क्षमा कर दो — 102
19. महात्मा गांधी की साक्षी — 52 55. क्षमा का प्रतिरूप — 104
20. घृणा प्रेम से शांत होती है — 53 56. क्षमा करो, भूल जाओ और आगे बढ़ो! — 105
21. क्षमा के अपने लाभ हैं — 54 57. बुद्ध की असीम करुणा — 108
22. एकमात्र समाधान — 55 58. असंभव ‘मैं संभव हूँ’ बन जाता है — 111
23. दो लेनवाला राजमार्ग — 56 59. ऋषि अरुणि और तेंदुआ — 114
24. क्षमा की पराकाष्ठा — 58 60. सत्य कल्पना से अधिक शतिशाली होता है — 116
25. महानता का मुकुट — 59 61. स्वर्ग उन्हें मिलता है जो क्षमा कर देते हैं — 120
26. सेंट टेरेसा का रहस्य — 60 62. श्रीकृष्ण और राधा — 121
27. महर्षि की उदारता — 62 63. अथक धैर्य — 125
28. क्षमा की कीमियागिरी — 64 64. प्रेम की रूपांतरण की शति — 127
29. भटके हुए की वापसी — 66 65. क्षमा की उपचारात्मक शति — 128
30. सेंट विंसेंट डी पॉल की साक्षी — 67 66. मित्र बने शत्रु — 130
31. क्रोध के टुकड़े-टुकड़े कर दो — 68 67. समय की उड़ने की प्रवृत्ति होती है — 132
32. कार्य में क्षमाशीलता — 69 68. संतों की राह — 134
33. आत्मग्लानि का बोझ — 71 69. पैगंबर मोहम्मद की क्षमा — 136
34. अचूक उपचार — 73 70. क्षमा की कोई सीमा नहीं  — 139

The Author

J.P. Vaswani

दादा जे.पी. वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। वे प्रसिद्ध साधु वासवानी मिशन के प्रमुख संचालक हैं, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभ-निरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई सक्रिय केंद्र हैं। 
2 अगस्त, 1918 को हैदराबाद-सिंध में जन्मे दादा एक बहुत होनहार छात्र थे, जिन्होंने सुनहरा शैक्षणिक कॅरियर छोड़कर आज के बेहद सम्मानित संत, अपने चाचा और गुरु साधु वासवानी के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया। 
शाकाहार के प्रबल समर्थक दादा ने गुरुदेव साधु वासवानी के रास्ते पर चलते हुए, सभी जीवों के प्रति सम्मान के संदेश को फैलाना ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनके प्रेरक नेतृत्व में साधु वासवानी मिशन ने आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण, ग्रामोत्थान, राहत और बचाव, पशु कल्याण, ग्रामीण विकास तथा समाज के वंचित वर्गों की सेवा के विभिन्न सेवा-कार्यक्रमों के लिए निरंतर गंभीर और प्रबल काम किए हैं। दादा अपने गुरु के इन शब्दों पर दृढ विश्वास करते हैं—‘निर्धनों की सेवा ही ईश्वर सेवा है।’
विनोदप्रिय वक्ता और प्रेरक लेखक दादा ने सौ से ज्यादा पुस्तक-पुस्तिकाएँ लिखी हैं और 98 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं हैं। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षाविद् और दार्शनिक दादा जे.पी. वासवानी भारत के ज्ञान और वैश्विक भावना के सच्चे और आदर्श प्रतिरूप हैं।ष्

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW