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Jalianwala Kand Ka Sach   

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Author Suraj Bhatia
Features
  • ISBN : 9789351867302
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Suraj Bhatia
  • 9789351867302
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 216
  • Hard Cover

Description

जलियाँवाला बाग में हुआ नर-संहार इतिहास का अटूट अंग है। उस दिन हजारों निःशस्त्र भारतीयों का नृशंस रक्तपात हुआ। उसके बाद मार्शल लॉ आरोपित हुआ। यदि जलियाँवाला बाग कांड फाँसी के सदृश था तो उसके बाद का अध्याय कालापानी से कम नहीं था। वह कुकांड भारत के आधुनिक इतिहास का एक ऐसा प्रकरण है, जिसे सरलता से भुलाया नहीं जा सकता, भूलना भी नहीं चाहिए। कालापानी की तरह इसकी याद भी हमारी एक दुखनेवाली नस को निरंतर दबाती है। जलियाँवाला बाग नर-संहार तो एक विरला ही दुःख है।
यद्यपि इस विषय पर अंग्रेजी में थोड़ा-बहुत लिखा गया है; परंतु हिंदी व प्रांतीय भाषाओं के लेखकों का ध्यान इस कांड से संबद्ध प्रकरणों अथवा उनके विवेचन की ओर शायद ही गया हो। किंतु हिंदी में पहली बार यह काम किया गया है। अंग्रेजों ने इस नर-संहार की घटना पर परदा डालने के जी-तोड़ प्रयत्न किए। और इसमें वे पूर्णतया असफल भी नहीं रहे। कालांतर में जो थोड़ा-बहुत लिखा गया, वह अंग्रेजी कलम से था। कई तथ्यों का पता स्वतंत्रता के दशकों पश्चात् लगा।
उन्हीं तथ्यों को इस पुस्तक में समग्रता के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। पाठकगण इसमें दी गई अनेक उत्पीड़क एवं रोमांचकारी घटनाओं तथा विवरणों को चाव से पढ़कर उनमें निहित मर्म को विचारोत्पादक पाएँगे।

 

The Author

Suraj Bhatia

सन् 1954 में ज्वाइंट सर्विसेज विंग, देहरादून में भरती होने के बाद सन् 1957 में कमीशन प्राप्‍‍त। देश के विभिन्न भागों में कार्यरत रहे; साथ ही जूनियर तथा मीनियर कमांड कोर्स तथा वेलिंग्टन मे स्टाफ कॉलेज कोर्स किया। सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में आर्म्स डिवीजन के साथ सियालकोट सेक्टर, पाकिस्तान में सेवारत थे।
सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक अग्रिम ब्रिगेड के स्टाफ में सिंध, पाकिस्तान में युद्ध में भाग लिया। सन् 1978 - 79 में इनसर्जेसी के दिनों मैं मिजोरम में बटालियन कमांड की। स्टेशन कमांडर, जम्मू के रूप में सेनाध्यक्ष से प्रशंसा पाई। नेफा, अरुणाचल में कार्यकाल के दौरान राष्‍ट्रपति द्वारा विशिष्‍ट सेवा पदक से सम्मानित किए गए। मेजर जनरल का रैंक पाने के पश्‍चात् सेना मुख्यालय से सेवानिवृत्त हुए।

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