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Jal Hi Amrit Hai   

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Author Arun Kumar Jain
Features
  • ISBN : 9789351864776
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Arun Kumar Jain
  • 9789351864776
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 224
  • Hard Cover

Description

भूमंडलीय जल संकट के कुछ महत्त्वपूर्ण कारकों में बढ़ती जनसंख्या और खाद्य पदार्थ, नकदी फसल की बढ़ती माँग, शहरों की अपार वृद्धि तथा जीवन स्तर में अनवरत सुधार है। मानव हस्तक्षेप की वजह से मीठा पानी हमेशा मिल पाना संभव नहीं है। प्राकृतिक नियम के विपरीत अत्यधिक दोहन करेंगे तो स्वच्छ जल बनने की प्रक्रिया ध्वस्त हो जाएगी और सूखा-ही-सूखा दिखेगा। कई देशों में जल स्तर काफी नीचे चला गया है, उत्तरी चीन, अमेरिका और भारत इसके उदाहरण हैं। भारत के बहुत सारे हिस्सों में जल स्तर तकरीबन 300 मीटर से अधिक नीचे चला गया है। एक समय ऐसा आएगा कि पानी की कमी के कारण खाद्यान्न की खेती संकट में पड़ जाएगी। धरातल पर पाए जानेवाला पानी प्रदूषित हो रहा है, क्योंकि किसान जहरीले रसायन का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं शहरों के पास उद्योग के अपशिष्ट और घरों के गंदे पानी का बहाव धड़ल्ले से नदियों में छोड़ा जा रहा है।

पर्यावरणविदों का मानना है कि इससे बड़े पैमाने पर वन नष्ट हो जाएँगे। लोगों का विस्थापन होगा। जल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, जलवायु परिवर्तित होगा, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा।

इस भयंकर स्थिति से उबरने का एक ही उपाय है कि हम जल के महत्त्व को समझें और इसे न दूषित करें, न व्यर्थ करें बल्कि इसका संरक्षण करें।

जल के महत्त्व को रेखांकित करती, इसके सरंक्षण के प्रति चेतना जाग्रत् करती विचारपूर्ण कृति।

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अनुक्रम

खंड-1

जल से परिचय

1. जल क्या है? — Pgs. 13

2. धर्म और दर्शन में जल की महत्ता — Pgs. 19

3. जल संसाधन — Pgs. 27

4. जल-चक्र — Pgs. 39

5. जल के विविध प्रकार — Pgs. 43

6. मानव शरीर और जल — Pgs. 47

7. जल की स्वास्थ्य में भूमिका — Pgs. 54

8. जल जनित रोग और सावधानियाँ — Pgs. 57

9. बीमारियों में रामबाण जल चिकित्सा — Pgs. 60

10. जल और यौगिक क्रियाएँ — Pgs. 72

11. जल के चमत्कारिक गुण — Pgs. 83

खंड-2

जल : उपयोग और संरक्षण

12. जल संकट : समाज, सरकार और सरोकार — Pgs. 89

13. जल प्रदूषण : समाज और सरकार की भूमिका — Pgs. 110

14. जल प्रदूषण—कारण, प्रभाव एवं निदान — Pgs. 120

15. औद्योगिक गतिविधियों के कारण जल प्रदूषण — Pgs. 134

16. मानवीय गतिविधियों के कारण जल प्रदूषण — Pgs. 142

17. भू-जल प्रदूषण — Pgs. 148

18. सामुद्रिक प्रदूषण — Pgs. 151

उप खंड-3

जल संरक्षण

19. जल संरक्षण का महत्त्व और स्थिति — Pgs. 157

20. वर्षा जल का संचयन — Pgs. 176

21. कृषि और जल प्रबंधन — Pgs. 191

खंड-3

राजनीति और नीति

22. पानी की राजनीति — Pgs. 205

23. नदी जल विवाद और संवैधानिक प्रावधान — Pgs. 211

The Author

Arun Kumar Jain

इंजीनियर अरुण कुमार जैन का जन्म 17 अक्तूबर, 1951 को दिल्ली में हुआ। बाल्यकाल से ही उन्हें अपने समाजधर्मी पिता स्व. श्री प्रकाशचंद जैन से संस्कार और विचार मिले, जिनसे राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित के भाव जाग्रत् हुए। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियर अरुणजी अपने आस-पास के परिवेश और परिस्थितियों का बहुत गइराई और सूक्ष्मता से अध्ययन कर अपनी अंतर्दृष्टि  विकसित  करते  हैं  और आत्मविकास की ओर प्रवृत्त होते हैं। सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्रों में निस्स्वार्थ सक्रिय भूमिका के लिए उनकी विशिष्ट पहचान, सम्मान और आदर है। उनकी कार्ययोजना में दूरदृष्टि है और सफल कार्यान्यवन की व्यावहारिक कार्यपद्धति भी। उनके स्पष्ट विचारों और सहज प्रवाहमय भाषा में लिखे लेख निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।

आजकल आप ‘रामजन्म भूमि न्यास’ के ट्रस्टी हैं और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में कार्यालय मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।

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