Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Guru Ka Mahattva   

₹350

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Shashikant ‘Sadaiv’
Features
  • ISBN : 9789352666188
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shashikant ‘Sadaiv’
  • 9789352666188
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 184
  • Hard Cover

Description

भारत में गुरु-शिष्य-परंपरा सदियों नहीं, युगों पुरानी है, जो आज तक कायम है। गुरु हमेशा से सफल व्यक्तित्व, परिवार, समाज और राष्ट्र की नींव तथा रीढ़ रहे हैं।
आज भले ही कुछ ढोंगी बाबाओं के चलते गुरु-संतों को शक की दृष्टि से देखा जा रहा है, परंतु इससे जीवन में गुरु के महत्त्व और उनके योगदान को कम नहीं किया जा सकता; पर ऐसे में कई सवाल अवश्य उठते हैं, जैसे—गुरु कौन है? क्यों आवश्यक है गुरु? क्या पहचान है असली गुरु की? क्या हैं असली शिष्य के लक्षण, आदि? 
यह पुस्तक आपको 44 विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरुओं के माध्यम से यह जानने में मदद तो करती ही है, साथ ही जिन्हें आप गुरु रूप में पूजते व मानते हैं, उनकी स्वयं की दृष्टि में गुरु कौन है तथा कैसे थे उनके अपने गुरु के साथ संबंध, इस विषय पर भी प्रकाश डालती है।
जीवन में आध्यात्मिक उत्थान करने का मार्ग प्रशस्त करनेवाली कृति।

__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

क्यों जरूरी है गुरु?—7

1. गुरु गुण लिखा न जाए—कबीर—13

2. गुरु और गुरु तत्त्व—ब्रह्मर्षि श्री देवराहा बाबा—22

3. गुरु की कृपा से प्रभु मिलते हैं—भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी—24

4. सच्चा गुरु मुक्त जीवात्मा है—श्रीरामकृष्ण परमहंस—27

5. गुरु परमात्मा का रूप होता है—रमण महर्षि—32

6. ईश्वर से संपर्क का सूत्र है—गुरु—परमहंस योगानंद—36

7. गुरु परमेश्वर के तुल्य नहीं हो सकता—स्वामी दयानंद सरस्वती—39

8. गुरु चेतना का आलोक पुंज है—श्री अरविंद—43

9. गुरु ज्ञान की धारा है—स्वामी राम—46

10. गुरु प्रसारण केंद्र की तरह होता है—मेहेर बाबा—50

11. असली गुरु को पहचानें—कृपालुजी महाराज—54

12. शब्द और नाम ही हमारा असली गुरु है—चरन सिंहजी महाराज—59

13. शिष्य वही, जो गुरु की इच्छा जाने—स्वामी चिन्मयानंदजी—62

14. क्या गुरु आवश्यक है?—जे. कृष्णमूर्ति—66

15. गुरु दही की भाँति है—ओशो—71

16. गुरु-शिष्य संबंध स्थापित करने के गुर—आचार्य महाप्रज्ञ—76

17. सद्गुरु की पहचान—ब्रह्मज्ञान—बाबा हरदेव सिंहजी महाराज—80

18. ऊर्जा का प्रतिरूप है गुरु—सद्गुरु जग्गी वासुदेव—84

19. गुरु ज्ञान का प्रतीक है—श्री श्री रविशंकर—89

20. बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता—श्री मोरारि बापू—94

21. अनगढ़ को सुगढ़ बनाता है गुरु—डॉ. प्रणव पंड्‍या—98

22. सद्गुरु सदा अंग-संग रहते हैं—संत राजिंदर सिंहजी महाराज—101

23. गुरु व्यक्ति नहीं शक्ति है—सुधांशुजी महाराज—106

24. गुरु ही हैं सच्चे पथ-प्रदर्शक—माता अमृतानंदमयी (अम्मा)—113

25. जीवन में एक गुरु जरूरी, फिर चाहे वह

— मिट्टी का द्रोणाचार्य ही क्यों न हो—मुनि तरुणसागरजी—115

26. सच्चा गुरु शरीरधारी नहीं हो सकता—ब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामीजी—119

27. गुरु ही सर्वस्व हैं—प्रमुख स्वामी महाराज—122

28. गुरु चैतन्यता में रमण करते हैं—दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा—126

29. गुरु और शिष्य संबंध—दादा वासवानी—130

30. गुरु वही, जो हमें हमारा ज्ञान कराए—निर्मला देवी—135

31. जीवन का आधार है—सद्गुरु—आनंदमूर्ति गुरु माँ—138

32. परमात्मा तक ले जाने का द्वार है गुरु—महायोगी पायलट बाबा—141

33. आत्मिक होता है गुरु—हरि चैतन्य महाप्रभु—143

34. दिव्य होता है गुरु—सतपालजी महाराज—146

35. आत्मसाक्षात्कार का मार्ग है गुरु—सरश्री—149

36. गुरु सिद्धि नहीं शुद्धि देगा—अवधूत शिवानंद—152

37. ईश्वर से साक्षात्कार का माध्यम है गुरु—आशुतोष महाराजजी—155

38. गुरु आध्यात्मिक माँग की पूर्ति है—ज्ञानानंदजी महाराज—159

39. गुरु व्यक्ति नहीं तत्त्व है—आचार्य अवधेशानंद गिरीजी महाराज—162

40. गुरु बिन भव निधि तरहिं न कोई—श्री किरीट भाईजी—165

41. सद्गुरु पंथ नहीं पथ दिया करते हैं—श्री ब्रह्मर्षि गुरुदेव (तिरुपति)—169

42. सद्गुरु दीप समान—आचार्य श्री सुदर्शनजी महाराज—174

43. गुरु वासना रहित होता है—महर्षि महेश योगी—180

44. गुरु के सान्निध्य में आग है—टाट बाबा—182

The Author

Shashikant ‘Sadaiv’
शशिकांत ‘सदैव’
विलक्षण एवं विभिन्न प्रतिभाओं के धनी शशिकांत ‘सदैव’ अपने व्यक्तित्व एवं विभिन्न सत्कार्यों के लिए पहचाने जाते हैं। किसी के लिए आप एक आध्यात्मिक संपादक-पत्रकार हैं तो किसी के लिए लेखक-कवि-शायर। कोई आपको आपकी प्रकाशित दो दर्जन पुस्तकों के माध्यम से जानता है तो कोई आपको एफ.एम.-टी.वी. पर मेहमान, विशेषज्ञ के रूप में पहचानता है। आप न केवल कुशल वक्ता हैं, बल्कि एक अच्छे आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक सलाहकार भी हैं। पिछले दस वर्षों से विभिन्न सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं, आश्रमों, स्कूल-कॉलेज एवं मल्टी नेशनल कंपनियों में लोगों को ध्यान एवं व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण दे रहे हैं। वर्तमान में पिछले 15 वर्षों से आध्यात्मिक पत्रिका ‘साधना पथ’ में संपादक के रूप में कार्यरत हैं। विस्तृत परिचय के लिए लॉग इन करें—
http://shashikantsadaiv.blogspot.com

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW