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Rajendra Mohan Bhatnagar

Rajendra Mohan Bhatnagar

प्रकाशन : 13 कहानी संग्रह, 67 उपन्यास, 14 नाटक आदि और उनमें झाँकती सूरतें अपना नाम कुछ इस तरह बताती हैं और कुछ बतियाती हैं—‘गोरांग’, ‘नीले घोड़े का सवार’, ‘देश’, ‘न गोपी, न राधा’, ‘विवेकानंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘रास्ता यह भी है’, ‘स्वराज्य’, ‘सूरश्याम’, ‘सरदार’, ‘कुली बैरिस्टर’, ‘प्रेम दीवानी’, ‘अंतिम सत्याग्रही’, ‘बस्ती का दर्द’, ‘चाणक्य की हार’, ‘रक्‍तध्वज’, ‘कायदेआजम’, ‘परछाइयाँ’, ‘अगस्त क्रांति’, ‘संध्या का भोर’, ‘जोगिन’, ‘महात्मा’, ‘अंतहीन युद्ध’, ‘मसरी मानगढ़’, ‘तामपत्र’, ‘सर्वोदय’, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’, ‘राज राजेश्‍वर’, ‘योगी अरविंद’, ‘शामली’ आदि।
सम्मान-पुरस्कार : ‘मीरा पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी का ‘सर्वोच्च पुरस्कार’, अखिल भारतीय समर स्मृति साहित्य पुरस्कार, महाराजा कुंभा पुरस्कार, विशिष्‍ट साहित्यकार सम्मान, घनश्यामदास सहल सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार, नाहर सफान साहित्य पुरस्कार आदि।अंग्रेजी, फ्रेंच, गुजराती, कन्नड़, मराठी, उडि़या आदि भाषाओं में अनुवाद।