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Ameeri Rekha Ki Khoj Mein   

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Author Vijay Kumar
Features
  • ISBN : 9789386870162
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : First
  • ...more

More Information

  • Vijay Kumar
  • 9789386870162
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • First
  • 2018
  • 168
  • Hard Cover

Description

काफी सिर खपाने के बाद पिछले दिनों मुझे इस बारे में अंतिम सत्य पता लग ही गया। वह यह है कि अमीरी की रेखा मकान, गाड़ी, घड़ी, कपड़े या कलम से नहीं, शौचालय से तय होती है।
हमारे देश के महान् ‘योजना आयोग’ के कार्यालय में दो शौचालयों की मरम्मत में 35 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। जरा सोचिए, मरम्मत में इतने खर्च हुए, तो नए बनने में कितने होते होंगे? जब कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति की, तो योजना आयोग के मुखिया श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इसे बिल्कुल ठीक बताया। 
मैं उनकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ। बहुत से विचारकों का अनुभव है कि यही एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ व्यक्ति बिल्कुल एकांत में कुछ देर बैठकर, शांत भाव से मौलिक चिंतन कर सकता है। कई लेखकों को कालजयी उपन्यासों के विचार यहीं बैठकर आए हैं। श्री अहलूवालिया और उनके परम मित्र मनमोहन सिंह की जिन योजनाओं से रुपया रसातल में जा रहा है, उसके बारे में चिंतन और मनन इतने आलीशान शौचालय में ही हो सकता है। 
—इसी संग्रह से
——1——
समाज की विषमताओं और विद्रूपताओं पर मारक प्रहार करके अंतरावलोकन करने का भाव जाग्रत् करनेवाले व्यंग्य। ये न केवल आपको हँसाएँगे-गुदगुदाएँगे, बल्कि आपके अंतर्मन को उद्वेलित कर मानवीय संवेदना को उभारेंगे।

 

The Author

Vijay Kumar

विजय कुमार 1991 बैच के भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आई.डी.ए.एस.) के अधिकारी हैं, जो वर्तमान में प्रधान वित्तीय सलाहकार, वायुसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में कार्यरत हैं । दिल्‍ली विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल कर सिविल सर्विस में आए। पठन-पाठन जारी रखते हुए एम.बी.ए. (एच.आर.डी. ) की डिग्री भी हासिल की। सरकारी काम-काज की व्यस्तता के बावजूद थोड़ा समय साहित्य सृजन के लिए निकालते रहे | उनकी कविताएँ व कहानियाँ विभिन्‍न विभागीय पत्रिकाओं में स्थान पाती रहीं । 'तीन पैरोंवाला' काव्य-संग्रह उनकी पहली पुस्तक है। एक कहानी-संग्रह भी शीघ्र प्रकाश्य 

 

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