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WO MUJHE HAMESHA YAAD RAHENGE   

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Author Anandi Ben Patel
Features
  • ISBN : 9789389982749
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Anandi Ben Patel
  • 9789389982749
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 162
  • Hard Cover

Description

‘‘गैर-मार्ग पर गए लोगों को वापस लाना तो सरल है, परंतु गैर-समझ के शिकार हुए लोगों को लौटाने में तो नाक में दम आ जाता है।’’

‘‘अच्छी वर्षा किसान की मेहनत को सार्थक बना देती है। अच्छा वातावरण साधक के पुरुषार्थ को सफल कर देता है।’’

‘‘सही हो तो भी किसी बात में या अच्छा समाचार हो, तो भी बिना शंका किए बुद्धि का काम नहीं चलता, जबकि कमजोर बात या कमजोर समाचार को सच मान लेने को मन फौरन तैयार नहीं होता।’’

‘‘पानी भले ही गरम हो, आग को वह बुझा देता
है। पेट्रोल भले ही ठंडा हो, आग को वह भड़का देता है।’’

‘‘घटना भले हमारे हाथ में नहीं, परंतु घटना का अर्थ- घटन कैसे किया जाए, यह तो हमारे हाथ में है।’’

‘‘इच्छाओं को शांत करने की बात बाद में करना, पहले इच्छाओं को निर्मल तो करें। इच्छाओं की निर्मलता मन को स्वस्थ करके ही रहेगी।’’

‘‘दुर्व्यसन मात्र चरित्र का पतन ही नहीं करते, प्रसन्नता का भी हनन करते हैं।’’
‘‘प्रभु, मुझसे यदि भूलें होती ही रहने वाली हों, तो भी पुरानी भूलें मैं एक बार भी न दोहराऊँ, ऐसी ताकत तो मुझे दे ही देना।’’

‘‘हमेशा रोते इनसान किसी को पसंद नहीं, तो हमेशा हँसते इनसान किसी के आड़े नहीं।’’

‘‘ज्यादा रस हमें किस में है? खुलने में, स्वयं को खुला करने में या सामनेवाले को खोलने में?’’

‘‘उत्थान के शिखर की ऊँचाई का निर्णय न हो तो कोई बात नहीं, पतन के तल की गहराई तो निश्चित कर लो।’’

‘‘अच्छी वर्षा कृषक की मेहनत को सार्थक करती है। अच्छा वातावरण साधक के पुरुषार्थ को सफल बना देता है।’’

‘‘जो बोए, वही देने की जवाबदारी धरती की है; परंतु क्या बोना है, उसका चयन करने का अधिकार हमारे हाथ में है।’’

‘‘मंदिर भव्य बने, यह तो अच्छा ही है; परंतु मंदिर में जानेवालों का जीवन भी भव्य बने, यह भी उतना ही जरूरी है।’’

‘‘गैर-मार्ग पर गए लोगों को वापस लाना तो सरल है, परंतु गैर-समझ के शिकार हुए लोगों को लौटाने में तो नाक में दम आ जाता है।’’

‘‘अच्छी वर्षा किसान की मेहनत को सार्थक बना देती है। अच्छा वातावरण साधक के पुरुषार्थ को सफल कर देता है।’’

‘‘सही हो तो भी किसी बात में या अच्छा समाचार हो, तो भी बिना शंका किए बुद्धि का काम नहीं चलता, जबकि कमजोर बात या कमजोर समाचार को सच मान लेने को मन फौरन तैयार नहीं होता।’’

‘‘पानी भले ही गरम हो, आग को वह बुझा देता
है। पेट्रोल भले ही ठंडा हो, आग को वह भड़का देता है।’’

‘‘घटना भले हमारे हाथ में नहीं, परंतु घटना का अर्थ- घटन कैसे किया जाए, यह तो हमारे हाथ में है।’’

‘‘इच्छाओं को शांत करने की बात बाद में करना, पहले इच्छाओं को निर्मल तो करें। इच्छाओं की निर्मलता मन को स्वस्थ करके ही रहेगी।’’

‘‘दुर्व्यसन मात्र चरित्र का पतन ही नहीं करते, प्रसन्नता का भी हनन करते हैं।’’
‘‘प्रभु, मुझसे यदि भूलें होती ही रहने वाली हों, तो भी पुरानी भूलें मैं एक बार भी न दोहराऊँ, ऐसी ताकत तो मुझे दे ही देना।’’

‘‘हमेशा रोते इनसान किसी को पसंद नहीं, तो हमेशा हँसते इनसान किसी के आड़े नहीं।’’

‘‘ज्यादा रस हमें किस में है? खुलने में, स्वयं को खुला करने में या सामनेवाले को खोलने में?’’

‘‘उत्थान के शिखर की ऊँचाई का निर्णय न हो तो कोई बात नहीं, पतन के तल की गहराई तो निश्चित कर लो।’’

‘‘अच्छी वर्षा कृषक की मेहनत को सार्थक करती है। अच्छा वातावरण साधक के पुरुषार्थ को सफल बना देता है।’’

‘‘जो बोए, वही देने की जवाबदारी धरती की है; परंतु क्या बोना है, उसका चयन करने का अधिकार हमारे हाथ में है।’’

‘‘मंदिर भव्य बने, यह तो अच्छा ही है; परंतु मंदिर में जानेवालों का जीवन भी भव्य बने, यह भी उतना ही जरूरी है।’’

The Author

Anandi Ben Patel

आनंदीबेन पटेल एक अनुपम व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं; जहाँ एक ओर वह एक कठोर प्रशासक हैं, वहीं दूसरी ओर जनता के बीच उनकी उपस्थिति स्नेहिल, ममतामयी, वात्सल्यपूर्ण माँ जैसी है।

किसान की बेटी होने के कारण आनंदीबेन के व्यक्तित्व में धरती की धूल सी विनम्रता और मिट्टी की सोंधी-सोंधी सुगंध है। वे लोगों के बीच एक संवेदनशील शिक्षक के रूप में अपनी पहचान रखती हैं। शिक्षक से लेकर शासक तक की उनकी जीवन-यात्रा पर यदि एक दृष्टि डालें तो समता, ममता और करुणामय के साथ सादा और सहज जीवन व्यतीत करती प्रतीत होती हैं।

आज से 70 वर्ष पूर्व कोई अभिभावक गाँवों में लड़की को पढ़ाने की सोच भी नहीं सकता था। तब उनके पिता ने उनको स्कूल शिक्षा दिलवाने की पहल की। कॉलेज के दिनों में पूरे वर्ग में वह अकेली लड़की थीं। लगन और जाग्रत् इतनी कि जहाँ खेतों में जाकर काम किया तो दूसरी ओर शिक्षक बनकर सैकड़ों छात्राओं का जीवन-निर्माण किया। ऐसे ही अनेकानेक जीवन अनुभवों ने उनके जीवन को आदर्शवाद के उच्च शिखर तक गढ़ा है। संघर्षों ने उन्हें सतत आगे बढ़ने की प्रेरणा दी; ऊर्जावान और प्रज्ञावान बनाया। निरंतर नवीन आयामों की ओर बढ़ती हुई आनंदीबेन उच्च सांस्कृतिक और वैचारिक मूल्यों को आत्मसात् करती हुई महिला शक्ति की सशक्त उदाहरण बनने लगीं।

इस यात्रा में जब भी उनको लगा कि अन्याय हो रहा है, कानून की अवहेलना हो रही है तो उन्होंने अपने-पराए का भेद भूलकर न्याय की स्थापना के लिए पुरजोर कोशिशें कीं। उनके जीवन में समय-समय पर ऐसे अनेक उदाहरण दृष्टिगोचर होते हैं जब वे लीक से हटकर समाज-कल्याण के लिए प्रवृत्त हुईं। राजनीति में महिलाओं को काम करना मुश्किल होता है। राजनीति महिलाओं के लिए कभी भी सहज नहीं रही, मगर आनंदीबेन का व्यक्तित्व तेजोमय होने से वे राजनेता के रूप में शिखर पर पहुँचीं। उन्होंने सदा दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत मनोबल और जिजीविषा का परिचय देकर संविधान को अपना राजधर्म माना, जो आज के राजनीतिज्ञों के लिए अनुकरणीय है।

संपूर्ण गुजरात तो उनको ‘बहन’ कहकर सम्मान देता है, मगर उनके पूरे व्यक्तित्व में एक माँ का ममतामयी दुलार की अनुभूति होती है। सत्यनिष्ठा और आदर्शों पर चलकर वे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रहीं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की राज्यपाल हैं।

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