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Author Mahesh Chandra Kaushik
Features
  • ISBN : 9789386054944
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more

More Information

  • Mahesh Chandra Kaushik
  • 9789386054944
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 128
  • Hard Cover

Description

आपके हाथों में जो पुस्तक है, इसमें प्रसिद्ध लेखक महेश चंद्र कौशिक ने हिंदी में आपको एक कहानी के माध्यम से शेयर बाजार को क ख ग से शुरू करके ऑप्शन ट्रेडिंग तक हर ऐंगल से समझाने का प्रयास किया है। 
इस पुस्तक में उनके बारह वर्ष के शेयर बाजार के अनुभव का निचोड़ है। यदि आप इसको मन लगाकर एक-एक पृष्ठ ध्यान से पढ़ेंगे तो आप कितने भी अनाड़ी क्यों न हों, शेयर बाजार आपको बच्चों के खेल जैसा लगने लगेगा।
यह पूरी कहानी आपस में जुड़ी हुई है, इसलिए इसको पहले पृष्ठ से लेकर आखिरी पृष्ठ तक पूरा पढ़ना होगा, बीच में जल्दबाजी करने से या सीधे आगे के अध्यायों पर जाकर पढ़ने से हो सकता है, आप उस ज्ञान के लाभ को उठाने से वंचित रह जाएँ, जो यह आपको इस पुस्तक से मिल सकता है। अतः संयम के साथ आद्योपांत पुस्तक का अध्ययन-मनन करें। फिर निश्चित ही आपको शेयर मार्केट में शिखर पर पहुँचने में समय नहीं लगेगा।
शेयर बाजार के लिए एक उपयोगी प्रैक्टिकल हैंडबुक।

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अनुक्रम

प्रस्तावना—5

1. अब्दुल के आर्थिक हालात—9

2. शेयर बाजार के लिए पहला कदम—13

3. अब्दुल की पहली बचत—20

4. अब्दुल की उधार लेकर निवेश करने की योजना—24

5. अब्दुल का पहला निवेश—32

6. चंदूवाला स्टॉप लॉस या चिंकीवाला स्टॉप लॉस—40

7. किसी शेयर को खरीदने से पहले क्या-क्या चेक करें—46

8. अब्दुल का पहला डिविडेंड—58

9. राव साहब का फ्यूचर एंड ऑप्शन—62

10. एफ.आर.बी. (काल्पनिक नाम) के शुरुआती 5 टिप्स
 एकदम सही कैसे चले गए?—75

11. अब्दुल शेयर बाजार में 5 लाख रुपए की पूँजी तक कैसे पहुँचा?—80

12. इंटराडे व फ्यूचर एंड ऑप्शन में कामयाब कैसे हों?—89

13. अब्दुल की ऑप्शन ट्रेडिंग—115

14. अब्दुल ने शेयर बाजार से राशि निकालना कब शुरू किया?—122

15. उपसंहार—127

 

The Author

Mahesh Chandra Kaushik

भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।

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