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Prakash Manu Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Prakash Manu
Features
  • ISBN : 9789351862765
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Prakash Manu
  • 9789351862765
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 176
  • Hard Cover

Description

प्रकाश मनु की लोकप्रिय कहानियाँ’ वरिष्ठ कवि-कथाकार प्रकाश मनु की सर्वाधिक चर्चित और चुनिंदा कहानियों का संग्रह है। अलग-अलग रंग और अंदाज की ये कहानियाँ अपनी अद्भुत किस्सागोई और अनौपचारिक लहजे के कारण अलग पहचान में आती हैं। ये जीवन की गहरी जद्दोजहद से निकली हैं, इसीलिए दिल में गहरी उतरती हैं। फिर ये कहानियाँ जीवन-रस से छलछलाती ऐसी कहानियाँ हैं, जो बतकही के-से अंदाज में अपनी बात कहती हैं। शायद इसीलिए इनमें लेखक के आत्मकथात्मक पन्ने भी अनायास घुल-मिल से गए हैं। इनमें कविता सरीखी मर्म पुकार है तो आत्मकथा सरीखा निजत्व भी। इसलिए एक बार पढ़ने के बाद में कहानियाँ आसानी से भुलाई नहीं जा सकतीं। पाठकों को ये अपनी, बहुत अपनी सी कहानियाँ लगेंगी, जिसमें लेखक के दुःख-दर्द के साथ-साथ खुद उनके दर्द का रिश्ता बनता चलता है।
बेशक, इन कहानियों के पीछे बहुत सच्चे, मार्मिक और भीतर तक झिंझोड़नेवाले अनुभव हैं। इसीलिए लेखक के साथ-साथ पाठकों के लिए भी ये कहानियाँ ऐसी दोस्तों सरीखी हैं, जो दुःखी-सुखी क्षण में सीझे हुए चुपचाप साथ चले आते हैं और कभी दूर नहीं जाते। आज की दुनिया के नितांत अकेलेपन और विश्वासों के टूटने के हादसों के बीच ये कहानियाँ कंधे पर हाथ धरे, चुपचाप पास बैठकर धीमे-धीमे बतियाती, दुःख हलकाती हैं। यही इनकी जीवंतता और शक्ति भी है।
उम्मीद है, प्रकाश मनु की इन कहानियों की ताजगी पाठकों के दिलों में कभी फीकी न पड़नेवाली एक अलग छाप छोड़ेगी।

The Author

Prakash Manu

जन्म : 12 मई, 1950, शिकोहाबाद ( उप्र.)।
प्रकाशन : ' यह जो दिल्ली है ', ' कथा सर्कस ', ' पापा के जाने के बाद ' ( उपन्यास); ' मेरी श्रेष्‍ठ कहानियाँ ', ' मिसेज मजूमदार ', ' जिंदगीनामा एक जीनियस का ', ' तुम कहाँ हो नवीन भाई ', ' सुकरात मेरे शहर में ', ' अंकल को विश नहीं करोगे? ', ' दिलावर खड़ा है ' ( कहानियाँ); ' एक और प्रार्थना ', ' छूटता हुआ घर ', ' कविता और कविता के बीच ' (कविता); ' मुलाकात ' (साक्षात्कार), ' यादों का कारवाँ ' (संस्मरण), ' हिंदी बाल कविता का इतिहास ', ' बीसवीं शताब्दी के अंत में उपन्यास ' ( आलोचना/इतिहास); ' देवेंद्र सत्यार्थी : प्रतिनिधि रचनाएँ ', ' देवेंद्र सत्यार्थी : तीन पीढ़ियों का सफर ', ' देवेंद्र सत्यार्थी की चुनी हुई कहानियाँ ', ' सुजन सखा हरिपाल ', ' सदी के आखिरी दौर में ' (संपादित) तथा विपुल बाल साहित्य का सृजन ।
पुरस्कार : कविता-संग्रह ' छूटता हुआ घर ' पर प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार, हिंदी अकादमी का ' साहित्यकार सम्मान ' तथा साहित्य अकादेमी के ' बाल साहित्य पुरस्कार ' से सम्मानित । ढाई दशकों तक हिंदुस्तान टाइम्स की बाल पत्रिका ' नंदन ' के संपादकीय विभाग से संबद्ध रहे । इन दिनों बाल साहित्य की कुछ बड़ी योजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं तथा लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ' साहित्य अमृत ' के संयुका संपादक भी हैं । "

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