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Author Dr. Pradeep Kumar Roy/Dr. Padmaja Singh
Features
  • ISBN : 9789355624864
  • Language : Hindi
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More Information

  • Dr. Pradeep Kumar Roy/Dr. Padmaja Singh
  • 9789355624864
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2023
  • 256
  • Hard Cover
  • 285 Grams

Description

महायोगी गोरखनाथ का विराट् व्यक्तित्व बहुआयामी है । उनके व्यक्तित्व के अनेक छोर हैं, जिसका एक सिरा बौद्ध सिद्ध से जुड़ता है, तो दूसरा शिव से; एक सिरा हठयोग से जुड़ता है, तो दूसरा आमजन के सहज जीवन से। एक रूप उन्हें योग पद्धति, शरीर विज्ञान, रस- शास्त्र एवं कायाकल्प आदि के विशेषज्ञ के रूप में स्थापित करता है, तो दूसरा हर प्रकार की अति से बचकर मध्यम मार्गी गृहस्थ-परंपरा से उन्हें जोड़ देता है। गोरख जहाँ एक तरफ हिंदू संस्कृति के योगी दिखते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ किसी भी पंथ-संप्रदाय से ऊपर उठकर मुसलिम समाज को आकर्षित करनेवाले फकीर के रूप में प्रसिद्धि पाते हैं। उनका एक रूप संस्कृत ज्ञाता और दार्शनिक का है तो दूसरा हिंदी - भोजपुरी के आदि कवि का । एक तरफ वे जीवन के गूढ़ विषयों पर चिंतन-मनन- अभ्यास करते दिखाई देते हैं, तो दूसरी तरफ लोक जीवन को दिशा देनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में लोक - व्याप्त हैं । महायोगी गोरखनाथ का व्यक्तित्व एक तरफ अविश्वसनीय चमत्कारों का है, तो दूसरी तरफ सामान्यजन का दुःख-दर्द सुनते-समझते उनको दुःखों से त्राण दिलानेवाले सामान्य योगी का है। ऐसे विराट् व्यक्तित्व के धनी इस महायोगी के स्वाभाविक रूप से बड़ी संख्या में अनुयायी बने । योग के साधक इस महामानव ने योगियों-सिद्धों का संगठन कर नाथपंथ का प्रवर्तन किया । नाथपंथ योग-प्रधान पंथ है। नाथपंथ की साधना पद्धति का मूल रूप औपनिषदिक योगधारा तथा आगमधारा में देखा जा सकता है । यौगिक प्रक्रिया मुनि-परंपरा से श्रमण परंपरा और आगमधारा के रूप में द्विधा विभाजित हुई । वस्तुतः वैदिक- औपनिषदिक योग साधना पद्धति को युगानुकूल बनाते हुए नाथपंथ ने इसे व्यवस्थित स्वरूप दिया तथा इसके क्रियात्मक पक्ष को सिद्ध किया और उसे आमजन तक पहुँचा दिया।

The Author

Dr. Pradeep Kumar Roy/Dr. Padmaja Singh

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