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Author Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
Features
  • ISBN : 9789355210135
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
  • 9789355210135
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 176
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

हिंदी गद्य साहित्य को विधिवत् प्रतिष्ठित करने का श्रेय अनेक लेखकों को है। 19वीं शताब्दी का उत्तरार्ध भारतवर्ष के सांस्कृतिक जागरण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। देश में शिक्षा कम होने पर भी जनता और समृद्ध वर्ग अंग्रेजी भाषा एवं अंग्रेजीयत से प्रभावित हो रहा था। एक ओर समाज अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहा था, वहीं उसे अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक चिंता भी परेशान कर रही थी। हिंदी के लेखक अनेक विधाओं में लेखन कर अपनी पत्रिकाओं के माध्यम से समाज में पुनर्जागरण का उद्घोष कर रहे थे। उनका संपूर्ण लेखन सुप्त समाज को चैतन्य बनाने तथा आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से भारतीय पक्ष को स्थापित करने के लिए था। आधुनिक हिंदी गद्य की पहचान अन्य विधाओं के साथ ही उसकी समृद्ध आलोचना-परंपरा, डायरी, रिपोर्ताज, साक्षात्कार, आत्मकथा तथा साहित्यिक पत्रिकाओं के कारण हुई है। ‘गद्य मंजूषा’ में अनेक ऐसे लेखकों के निबंध संगृहीत हैं, जो अपने राष्ट्रीय चिंतन के कारण विश्वविख्यात हैं। नए और पुराने गद्य लेखकों की एकत्रित उपस्थिति इस संग्रह को संग्रहणीय तथा छात्रोपयोगी बनाती है। हमें पूरा विश्वास है कि यह संग्रह सुधी पाठकों को पसंद आएगा।

The Author

Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
प्रो. नंद किशोर पाण्डेय
भारतीय साहित्य के चर्चित और प्रतिष्ठित विद्वान् हैं। भारतीय मध्यकालीन साहित्य के लेखक और वक्ता के रूप में विशिष्ट पहचान। राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर तथा राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। ‘संत रज्जब’, ‘संत साहित्य की समझ और दादूपंथ के शिखर संत’ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। इन्होंने अनेक देशों की अकादमिक यात्राएँ की हैं। केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक के रूप में इन्होंने अपनी बहुमूल्य सेवाएँ दीं। संप्रति : कला संकाय में राजस्थान विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता और शोध निदेशक।
 
प्रो. दीपेंद्र सिंह जाडेजा
हिंदी और गुजराती साहित्य के चर्चित अध्येता हैं। वर्तमान में कला संकाय में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के डीन तथा  पोस्ट ग्रेजुएशन कॉउंसिल के मेंबर। मध्यकालीन हिंदी साहित्य और गुजराती लोक-साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य। अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित।

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