Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Ekatma Manavvaad Ke Praneta Deendayal Upadhyaya   

₹500

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Amarjeet Singh
Features
  • ISBN : 9789351867999
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more

More Information

  • Amarjeet Singh
  • 9789351867999
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 304
  • Hard Cover

Description

एकात्म  मानववाद’  के  प्रणेता 
 पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 
25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले के छोटे से गाँव नगला चंद्रभान में हुआ था। अत्यंत अल्पायु में माँ-पिता का साया उनके सिर से उठ गया और उनके मामाओं ने उन्हें पाला-पोसा। उपाध्यायजी ने पिलानी, आगरा तथा प्रयाग में शिक्षा प्राप्त की। बी.एससी., बी.टी. करने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गए थे। अतः कॉलेज छोड़ने के तुरंत बाद वे संघ के प्रचारक बन गए। सन् 1951 में अखिल भारतीय जनसंघ का निर्माण होने पर वे उसके संगठन मंत्री तथा 1953 में जनसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए। कालीकट अधिवेशन (दिसंबर 1967) में वे जनसंघ के अध्यक्ष बनाए गए। दीनदयालजी का चिंतन व सोच समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का उन्नयन कर उसे समाज की मुख्यधारा में लाना था। विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अद्भुत गुणों के स्वामी भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारतवर्ष में समतामूलक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए सिर्फ बावन साल की उम्र में अपने प्राण राष्ट्र को समर्पित कर दिए।
तपस्वी राष्ट्रसाधक पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरणाप्रद प्रामाणिक जीवनी।

_______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

प्राक्कथन — Pgs. 5

अपनी बात — Pgs. 9

जीवनकाल

1. बचपन — Pgs. 17

2. शिक्षा-दीक्षा — Pgs. 22

3. आंतरिक गुणों में श्रेष्ठ — Pgs. 27

4. ब्रह्मचर्य-व्रत — Pgs. 31

5. संघ-समर्पण — Pgs. 35

6. जादुई लेखनी — Pgs. 40

7. निस्स्वार्थ राजनीति — Pgs. 47

8. असामयिक अंत — Pgs. 59

9. अंतिम विदाई — Pgs. 63

10. श्रद्धांजलि — Pgs. 70

11. परिणामशून्य जाँच-पड़ताल — Pgs. 86

प्रेरक प्रसंग और संस्मरण

1. कुछ प्रेरक प्रसंग — Pgs. 97

2. हमारे दीनदयालजी—मा.स. गोलवलकर — Pgs. 114

3. पं. दीनदयालजी के सान्निध्य में—अटल बिहारी वाजपेयी — Pgs. 121

4. वे एक समर्पित कार्यकर्ता थे—भाऊराव देवरस — Pgs. 124

5. मौत जिनसे हार गई—विश्वनाथ लिमये — Pgs. 130

6. घट टूटा, अमृत फूटा—हो.वे. शेषाद्रि — Pgs. 133

7. पं. दीनदयाल : व्यक्ति और विचार—डॉ. मुरली मनोहर जोशी — Pgs. 137

8. पं. दीनदयाल उपाध्याय के सान्निध्य में—वचनेश त्रिपाठी — Pgs. 148

9. बलिदान का पुण्य स्मरण—बाबासाहब आप्टे — Pgs. 161

10. यह कैसा दुर्दैव?—भाऊसाहब भुस्कुटे — Pgs. 164

11. उत्तर नहीं मिलता—चिरंजीव शास्त्री — Pgs. 166

12. स्वर्गीय श्री उपाध्यायजी के चरणों में शब्द-सुमन—माधवराव मुले — Pgs. 169

13. मंजिल एक—नाथ पै — Pgs. 171

14. प्रलय की वह रात—निरंजन वर्मा — Pgs. 172

पं. दीनदयाल उपाध्याय का रचना संसार

1. सम्राट् चंद्रगुप्त — Pgs. 177

2. जगद्गुरु शंकराचार्य — Pgs. 187

3. भारतीय अर्थनीति : विकास की एक दिशा — Pgs. 197

4. विश्वासघात — Pgs. 211

5. एकात्म मानववाद — Pgs. 222

6. राष्ट्र-चिंतन — Pgs. 235

7. पॉलिटिकल डॉयरी — Pgs. 254

8. राष्ट्र जीवन की दिशा — Pgs. 266

परिशिष्ट

1. क्या अपना एक बेटा समाज को नहीं दे सकते? — Pgs. 277

2. कालीकट अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण — Pgs. 281

3. डॉ. एस.एन. पटेनकर द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय की — बनाई गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर बयान — Pgs. 295

4. Order — Pgs. 302

 

The Author

Amarjeet Singh

जन्म :5 जून, 1983 ग्राम बघेड़ा, जनपद मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा :मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एवं एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान)।

प्रकाशन :डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी शोध अधिष्ठान द्वारा प्रकाशित लघु पुस्तिकाएँ—‘अमेय मैत्री-रविंद्रनाथ ठाकुर और डॉ.श्यामाप्रसाद मुकर्जी’, ‘अग्नि पथङ्तडॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी और कश्मीर’, ‘उत्तिष्ठ कौंतेय’, ‘भारत 2020 : आगे की चुनौतियाँ’, ‘चुनौतियाँ और रणनीति : भारत की विदेश नीति पर पुनर्विचार’, ‘उभरती राजनीतिक प्रवृत्तियाँ : संभावनाएँ एवं अपेक्षाएँ’, ‘धारा-370’, ‘Thus Spake Syama Prasad’, ‘India-Afghanistan : Cementing the Relationship’, ‘Challenge and Strategy : Rethinking India’s Foreign Policy’, ‘Current Developments in Tibet and China : Implications for India’, ‘The Triangle : China-Tibet-India–New Faces-Old Issues’, ‘Sardar Patel Other Facts’  एवं राज्य सभा सांसद श्री तरुण विजय की पुस्तक ‘मेरी आस्था भारत’ और ‘मन का तुलसी चौरा’ में संपादन सहयोग।

संप्रति :डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी शोध अधिष्ठान, नई दिल्ली में रिसर्च एसोसिएट के रूप में कार्यरत।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW