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Himanshu Shrivastava

Himanshu Shrivastava

हिमांशु श्रीवास्तव हिंदी के उन सौभाग्यशाली लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने साहित्यिक राजनीति के दल से अपने को सर्वथा बचाकर रखा और रचनाधर्मिता के क्षेत्र में अनेकशः कीर्तिमान स्थापित किए। उदाहरण के लिए यह निःसंकोच कहा जा सकता है कि इनके एक उपन्यास ‘लोहे के पंख’ के कथन, वर्णन विशद्ता और अनुभव-संसार को हिंदी का कोई अन्य उपन्यासकार अब तक छू नहीं सका; यों प्राणायाम बहुतों ने किए।हिमांशु श्रीवास्तव बिहार के सारण जिलांतर्गत हराजी ग्राम में सन् 1934 में जनमे और सन् 55-56 तक साहित्यिक छल-कपट नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा के कारण सभी धाराओं के समीक्षकों और लेखकों के लिए अविस्मरणीय कथाकार बन गए।अब तक बीस से अधिक उपन्यास, डेढ़ सौ कहानियाँ और तीन नाटक प्रकाशित हो चुके हैं। प्रथम श्रेणी के रेडियो नाटककार के रूप में स्वीकृत-स्थापित। मूर्धन्य समालोचक और साहित्यकार डॉ. रामकुमार वर्मा के शब्दों में—‘‘हिमांशु श्रीवास्तव के उपन्यासों ने हिंदी उपन्यास को गंगा जैसी उदात्तता प्रदान की है।’’

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