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1971 Bharat-Pak Yuddha   

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Author K.K. Nanda
Features
  • ISBN : 9788173158919
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • K.K. Nanda
  • 9788173158919
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 312
  • Hard Cover

Description

सन् 1971 के अंत तक याह्या खाँ पूरी तरह से विश्वस्त हो चुके थे कि भारत के साथ पूर्व में युद्ध करना अनिवार्य हो चुका है। वे इस बात को लेकर भी विश्वस्त थे कि उनके लिए भारतीय सेनाओं को पराजित करना संभव नहीं है तथा वे पूर्वी पाकिस्तान का बलिदान करने के लिए तैयार थे। वहीं उन्हें यह भी विश्वास था कि वे पश्चिम में एक विशाल क्षेत्र पर कब्जा करके पूर्वी पाकिस्तान की क्षतिपूर्ति कर लेंगे तथा इसके द्वारा ‘वे न केवल भारत को नीचा दिखाने और अपना सम्मान बनाए रखने में सफल रहेंगे, अपितु युद्ध के अंत में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में होंगे।’
परंतु सन् 1971 में भारत के जाँबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के नब्बे हजार सैनिकों को बंदी बनाकर ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जो सारी दुनिया में बेजोड़ था। इस पुस्तक में 1971 की शानदार विजय की गौरव गाथा के साथ-साथ उड़ी क्षेत्र में सन् 1947-48 तथा 1965 के दौरान 161 इन्फैंट्री ब्रिगेड एवं अन्य सैन्य टुकड़ियों के द्वारा उनके नियंत्रण-क्षेत्रों में उनके द्वारा किए गए सैन्य अभियानों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है। लेफ्टिनेंट जनरल के.के. नंदा ने अपनी 161 इन्फैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व करते हुए रक्षात्मक युद्ध लड़ा और अपनी बहादुरी एवं दूरदर्शिता से भारत की एक इंच भूमि भी दुश्मन के कब्जे में नहीं जाने दी।
प्रस्तुत पुस्तक का अपना सामरिक महत्त्व है। भविष्य में युद्धों की योजना बनाते समय विभिन्न स्तरों के कमांडर इसके विवरणों से भरपूर लाभ उठाएँगे तथा भारत की सीमाओं की रक्षा में प्राणपण से सफल होंगे।

The Author

K.K. Nanda

दिसंबर 1949 में ले. जनरल के. के. नंदा को तोपखाना (आर्टिलरी) रेजीमेंट में कमीशन मिली। जून 1958 में आप पंजाब के राज्यपात के ए. डी. सी. नियुक्‍त किए गए। सन् 1960 में डिफेंस सर्विसेस स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में कोर्स करने के लिए गए और स्नातक उत्तीर्ण किया। बाद में उसी कॉलेज में सन् 1969 से 1971 तक प्रशिक्षण दिया। यहीं से ही आप जनरल कैडर में चुने गए और ब्रिगेडियर के रूप में पदोन्नति के साथ कश्मीर में 161 इंफैंट्री डिवीजन के कमांडर नियुक्‍त किए गए। सन् 1974 में नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली से स्नातक की उपाध‌ि लेने के बाद आपने सेना मुख्यालय में कार्य किया। सन् 1978 में आपको मेजर जनरल का ओहदा प्राप्‍‍त हुआ तथा आपने राजस्थान में इंफैंट्री डिवीजन की कमान सँभाली। सन् 1981 में आपकी पोस्टिंग हुई और एक कोर, जो पूर्व में थी, उसके चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्‍त किए गए। सन् 1983 में वहीं से डिप्टी क्‍वार्टर मास्टर जनरल के रूप में सेना मुख्यालय लौटे। सन् 1984 में आपको ले. जनरल के रैंक में पदोन्नति देकर सेंट्रल कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ पद नियुक्‍त किया गया। इसी प्रतिष्‍ठित पद से आप सन् 1987 में सेवानिवृत्त हुए। आप सन् 1994 से 1999 तक श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी महिला कॉलेज, नई दिल्‍‍ली के शासीनिकाय के चेयरमैन रह चुके हैं।

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