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1947 Ke Baad Ka Bharat   

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Author Gopa Sabharwal
Features
  • ISBN : 9789353222253
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Gopa Sabharwal
  • 9789353222253
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 616
  • Hard Cover
  • 900 Grams

Description

स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर  विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।

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अनुक्रम

लेखिका की टिप्पणी —Pgs. 7

प्रस्तावना : आजादी तक उलटी गिनती —Pgs. 9

1947 —Pgs. 17

1948 —Pgs. 25

1949 —Pgs. 35

1950 —Pgs. 40

1951 —Pgs. 47

1952 —Pgs. 51

1953 —Pgs. 57

1954 —Pgs. 62

1955 —Pgs. 68

1956 —Pgs. 75

1957 —Pgs. 81

1958 —Pgs. 85

1959 —Pgs. 91

1960 —Pgs. 96

1961 —Pgs. 101

1962 —Pgs. 107

1963 —Pgs. 115

1964 —Pgs. 120

1965 —Pgs. 125

1966 —Pgs. 130

1967 —Pgs. 135

1968 —Pgs. 143

1969 —Pgs. 147

1970 —Pgs. 155

1971 —Pgs. 161

1972 —Pgs. 169

1973 —Pgs. 176

1974 —Pgs. 181

1975 —Pgs. 188

1976 —Pgs. 194

1977 —Pgs. 198

1978 —Pgs. 205

1979 —Pgs. 210

1980 —Pgs. 216

1981 —Pgs. 222

1982 —Pgs. 227

1983 —Pgs. 234

1984 —Pgs. 239

1985 —Pgs. 247

1986 —Pgs. 253

1987 —Pgs. 260

1988 —Pgs. 266

1989 —Pgs. 272

1990 —Pgs. 279

1991 —Pgs. 285

1992 —Pgs. 291

1993 —Pgs. 298

1994 —Pgs. 303

1995 —Pgs. 309

1996 —Pgs. 314

1997 —Pgs. 320

1998 —Pgs. 327

1999 —Pgs. 332

2000 —Pgs. 340

2001 —Pgs. 353

2002 —Pgs. 362

2003 —Pgs. 377

2004 —Pgs. 389

2005 —Pgs. 402

2006 —Pgs. 414

2007 —Pgs. 426

2008 —Pgs. 438

2009 —Pgs. 455

2010 —Pgs. 469

2011 —Pgs. 482

2012 —Pgs. 494

2013 —Pgs. 509

2014 —Pgs. 529

2015 —Pgs. 547

2016 —Pgs. 564

2017 —Pgs. 584

2018 —Pgs. 599

The Author

Gopa Sabharwal

गोपा सभरवाल का कॅरियर व अभिरुचियाँ नाना प्रकार की हैं। वे भारतीय समाज की बहुआयामी विविधताओं का अध्ययन करती हैं—भारत-केंद्रित टी.वी. शो के सृजन और निर्देशन द्वारा; कर्नाटक के शहरी भागों की जातीय पहचान द्वारा या समाज के इतिहास का खाका खींचकर। 
सन् 1993 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज में समाज-शास्त्र विभाग स्थापित किया। वे सन् 2006 में फुलब्राइट स्कॉलर रहीं। वर्ष 2010 से 2016 तक वे नालंदा विश्वविद्यालय की संस्थापक कुलपति रहीं—उसे 21वीं शताब्दी के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का स्वरूप देने में सक्रिय रहीं।
उन्हें ‘एथनिसिटी एंड क्लास : सोशल डिविजन्स इन एन इंडियन सिटी’; ‘दि इंडियन मिलेनियम : ए.डी. 1000-2000’ तथा खूब बिकनेवाली प्रश्नोत्तरी की कई पुस्तकें लिखने का गौरव प्राप्त है।

 

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