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Author Prabhat Kumar
Features
  • ISBN : 9789394534681
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Prabhat Kumar
  • 9789394534681
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 136
  • Hard Cover
  • 150 Grams

Description

"प्रभात कुमार की कविताओं का यह संकलन अनेक दृष्टियों से उल्लेखनीय है। वन्य निर्झरों की भाँति प्रस्फुटित इन स्वतःस्फूर्त कविताओं में एक अद्भुत जिजीविषा, प्रेरणा तथा गति परिलक्षित होती है; साथ ही आज के बहुआयामी जीवन के अनेकानेक पहलुओं को ये कविताएँ पूरी सच्चाई और बेबाकी से प्रतिबिंबित भी करती हैं। प्रेम और सौंदर्य, प्रकृति और कला, मित्र, परिवार, ग्राम, नगर इत्यादि तो इनमें हैं. ही, कुंठा, अभाव, साधनहीनता, दुःख व इन सबके लिए गहन संवेदना, साथ ही सबके दिलोदिमाग पर बरसों से छाई हुई कोविड की विभीषिका का भयानक संत्रास--सभी कुछ अत्यंत प्रभावी और हृदयस्पर्शी रूप में इनमें परिलक्षित होता है।

गठन, संरचना तथा प्रस्तुति में कविताएँ सामान्य लीक से हटकर बिल्कुल अलग हैं। इनकी अपनी एक विशेष संवेदना तथा संप्रेषणीयता है।

जहाँ एक ओर ये कविताएँ पूरी तरह मौलिक, कवि की स्वतंत्रचेता प्रतिभा की उपज हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने आपमें पूर्ण, निद्वँद्र तथा स्वच्छंद हैं, जो अपने प्रकटीकरण के लिए कवि को भी दुर्लक्षित कर देती हैं। कवि की स्वीकारोक्ति है कि कविताएँ अपने आप को उससे बरबस कहलवा रही हैं, साथ ही वे उसे गढ़ भी रही हैं।

इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में पाठकों के सामने आ रही ये कविताएँ परंपरा से हटकर हैं--इनमें कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो निश्चित रूप से इन्हें शताब्दी की उल्लेखनीय रचनाओं में स्थापित करेंगी ।"

The Author

Prabhat Kumar

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