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Lalak   

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Author Shri Ravindra Kumar
Features
  • ISBN : 9789390366675
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shri Ravindra Kumar
  • 9789390366675
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 136
  • Hard Cover
  • 150 Grams

Description

गंगा के मैदानी इलाके में एक किसान परिवार में जन्मा १५ साल का एक दुबला-पतला व शारीरिक रूप से बेहद कमजोर बच्चा अपने बालमन की कोरी ख्वाहिश को कविता के रूप में कागज पर उतारकर अपने जीवन के संघर्ष में आगे बढ़ जाता है।

शायद उस समय उस मासूम बालक को नहीं पता था कि उसकी मसूरी में घूमने और हिमगिरी की चोटी पर तिरंगा फहराने की ललक भविष्य में कभी कागज के पन्नों से बाहर निकलकर यथार्थ में परिणत हो जाएगी।

आप इसे आश्चर्य कहें, या महज इत्तफाक कहें या अवचेतन मन की दिव्य शक्ति कहें (जिसके बारे में कवि द्वारा एक अन्य किताब एवरेस्ट- सपनों की उड़ान में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है) या आप जो भी सोचें या विश्वास करें, उसके लिए आप स्वतंत्र हैं, परन्तु सच तो यह है कि उस बालक की ललक लगभग डेढ़ दशक बाद पूरी हुई, जब उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के बाद प्रशिक्षण के दौरान मसूरी की सैर भी की और उसके बाद हिमगिरी की चोटी एवरेस्ट चढ़कर भारत का तिरंगा भी फहराया।

असली जीवन में उसकी ललक पूरी होने के बाद भी पुराने कागज पर लिखी उस कविता की ललक असल मायने में तब पूरी हुई, जब लगभग ढाई दशक बाद उसकी नजर उस धूल से लिपटी पुरानी पुस्तिका पर पड़ी जिसमें वह बचपन में कविता लिखा करता था, जिसे अब आपके साथ इस पुस्तक ‘ललक’ के माध्यम से इस आशा के साथ साझा किया जा रहा है कि आप भी जीवन में सपने देखना ना छोड़ें और अपने पर विश्वास रखें कि वो सपना भविष्य में कभी भी वास्तविकता में बदल सकता है । 

एक ऐसा कविता-संग्रह, जो आपको सपने देखने के लिए उत्साहित करने के साथ-साथ उन सपनों को पूरा करने लिए भी आपमें विश्वास भरता है ।

The Author

Shri Ravindra Kumar

राष्ट्रकवि दिनकर की धरती बिहार के बेगूसराय जिले में जन्मे श्री रविंद्र कुमार एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, पर्वतारोही एवं लेखक-कवि हैं, जिन्होंने विश्व की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट को दो अलग-अलग विषम रास्तों से फतह किया है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एक जिलाधिकारी के रूप में अपनी कुशल सेवा दे रहे हैं। उन्होंने हिंदी व अंग्रेजी में दो प्रेरणादायी पुस्तकें (‘एवरेस्ट : सपनों की उड़ान-सिफर से शिखर तक व ‘Many Everests’) एक कॉफी टेबल बुक (Mount Everest: Experience the Journey) एवं ललक सहित पाँच कविता संग्रह (‘आंतरिक अंतरिक्ष और स्वप्न यात्रा’, ‘दूसरी जंग’, ‘इक्कीसवीं सीढ़ी’, ‘नई ऑखें’) भी लिखे हैं। कुशल लेखन के लिए इन्हें ‘अमृतलाल नागरपुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

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