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Samay Ka Sach   

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Author R.K. Sinha
Features
  • ISBN : 9789352666027
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • R.K. Sinha
  • 9789352666027
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 344
  • Hard Cover

Description

रवींद्र किशोर सिन्हा की पत्रकारिता का मूलाधार राष्ट्रीयता का भाव है, जिसकी गूँज आद्योपांत इस संग्रह के संकलित लेखों में सुनाई पड़ती है। उन्होंने भारत को भारत के नजरिए से समझने-समझाने का प्रयास किया है, जो अत्यंत सराहनीय तो है ही, बोधप्रद भी है। इस दृष्टि का अभाव जो मीडिया में दिखता है, उसे ये लेख पूरा करते हैं। इस चिंतन का फलित रूप राजनीति, समाज, संस्कृति, धर्म, व्यवसाय, विदेश नीति, भाषा आदि अन्यान्य विषयों के निरूपण में दिखाई पड़ता है।
इस संग्रह में कुल 66 लेख संकलित हैं। ये कालक्रम की दृष्टि से राजग-दो की अवधि में घटी घटनाओं के विषयों से संबंधित हैं, लेकिन उसी तक सीमित नहीं हैं। हर लेख अपने आप में पूरा है। उस विषय को समग्रता से प्रस्तुत करता है। इसमें रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली पारिभाषिक शब्दावलियों की भरमार है। उन शब्दावलियों की परिभाषा भी बोधगम्य है। 
प्रस्तुत पुस्तक में निहित विचार-संपदा को पढ़कर न केवल पत्रकारिता के अध्येता की शोधवृत्ति पैनी होगी, बल्कि वे एक मँझे हुए पत्रकार की लेखन-शैली से सीधे जुड़ा हुआ अनुभव करेंगे। इतना ही नहीं, हर पाठक पुस्तक को ‘समय का सच’ मानेगा।

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अनुक्रम  
पुरोकथन—7 33. ट्रैक बढ़ाओ, तभी रुकेंगे हादसे—175
अपनी बात—15 34. महिला विरोधी मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड—180
आभार—17 35. तो अपराध है असम में हिंदी गीत गाना—185
1. अंगदान आंदोलन की शक्ल ले तो बने बात—23 36. दलित और मुसलमानों को छलते मायावती-अखिलेश—189
2. कितनी मिले प्रेस को आजादी—28 37. दाऊद-छोटा शकील-नदीम कब जाएँगे जेल—194
3. अब डराते यू.पी. के शहर और सड़कें—33 38. दिल्ली से बाहर भी है भारत—200
4. अब नहीं बचेगा एटमी गुंडा पाकिस्तान—38 39. दीपावली पर मिलावटी मिठाइयाँ—205
5. अब नारों से नहीं काम से मिलता है वोट—43 40. दो शरीफ, दोनों बदमाश—209
6. आई.टी. सेक्टर में छँटनी से निकलेंगे नए अवसर—48 41. नेताजी को क्यों नापसंद करते रहे पंडित नेहरू—213
7. आर्थिक और वैश्विक स्तर पर छाप छोड़ता भारत—54 42. नोटबंदी—कश्मीर में अमन, माया-ममता दुःखी क्यों—219
8. एक हिंदू को मारते पाक में कठमुल्ला—59 43. कैशलेस भारत बढ़ेगा आगे—225
9. ओम पुरी और अदनान सामी का फर्क समझिए—64 44. पाक से निकलता सिंध-बलूचिस्तान—231
10. विश्व पर्व बनी दीपावली—69 45. फारूक साहब, जरा जुबान सँभालकर—235
11. कक्षाएँ पाँच और शिक्षक एक—74 46. बचा लो पाक के गैर-सुन्नियों को—239
12. बिहार कब खेलना सीखेगा—78 47. बचाओ काँवड़ियों को हादसों से—243
13. तीन तलाक : कब तक सहेंगी अत्याचार मुसलिम बहनें?—82 48. बिहार की बदहाली पर क्यों बात नहीं करते लालू—247
14. कश्मीर न बन जाए केरल—86 49. बिहार में मुरझाता ‘बचपन’—252
15. नहीं बचेंगे देश के दुश्मन—91 50. भारतवंशियों के साथ कितना खड़ा है भारत—256
16. केरल को बचाओ लेफ्ट और इसलामी आतंकवाद से—97 51. भीड़ के आगे बौनी पुलिस—261
17. कैसे मिलेगी यू.पी. के नौजवानों को नौकरी—101 52. मुसलिम समाज को मिले और हसीना फारस—266
18. कौन कत्ल कर रहा है बेटे-बेटियों का—105 53. राम भरोसे स्कूली शिक्षा—270
19. कौन कर रहा फतवों के बहाने सियासत—109 54. अब लगेगी बिल्डरों पर लगाम—274
20. कौन शामिल हो रहा है आतंकियों के जनाजों में?—114 55. रियो खेल—बड़ी खेल भावना या पदक जीतना?—279
21. कौन हैं वे, जिनका उठ जाता देश से भरोसा?—119 56. उत्तर प्रदेश : अपराधों की राजधानी—285
22. क्या नदियाँ मैली ही रहेंगी—123 57. रोक लगाओ रैगिंग पर—288
23. क्यों आता है किसी राज्य में निवेश?—128 58. वाजिब नहीं कनाडाई मंत्री का बयान—292
24. क्यों खास होगी मोदी की इजराइल यात्रा?—133 59. हिंदी हो चुकी अब विश्व भाषा—297
25. क्यों न मनाएँ इको फ्रेंडली त्योहार—138 60. सरकारी पैसे पर राहुल-प्रियंका की रईसी—303
26. खतरे में पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता—143 61. क्या अब मोटी तनख्वाहों के बाद काम करेंगे सरकारी बाबू—308
27. गऊ बिना अधूरा भारत—147 62. सर्जिकल स्ट्राइक : भारत की कूटनीतिक सफलता—312
28. गाँव में दारू-ही-दारू, दवा गायब —152 63. सार्क से निकाला जाए पाकिस्तान—317
29. बिहार : गुम होती बेटियों का दर्द—156 64. सीखना होगा राष्ट्रगान का आदर करना—321
30. गोवा-चीन पर नेहरू की अकारण जिद—160 65. पंडितजी से पहली मुलाकात—325
31. कट्टरपंथी इसलाम का रट्टू तोता जाकिर नाईक—165 66. दीनदयालजी का शाश्वत सनातन भारत ही है मोदीजी का ‘न्यू इंडिया’—332
32. सिंधु-साक्षी के बाद जीतीं मुसलमान औरतें—170  

The Author

R.K. Sinha

राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में संवाददाता की भूमिका निभाई। सन् 1974-75 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन पर ‘जन आंदोलन’ पुस्तक लिखी। उन्होंने 1974 में ‘सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया’ की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूरोप और चीन सहित कई देशों का भ्रमण किया और कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। 1999-2004 के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन के शासनकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व तकनीकी एवं समुद्री विकास मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार रहे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने देहरादून में ‘द इंडियन पब्लिक स्कूल’ की स्थापना की। वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं। फरवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए।

 

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