Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Pathik-Dharma : Ek Prerak Geet   

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Sunil Bajpai ‘Saral’
Features
  • ISBN : 9789390366033
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sunil Bajpai ‘Saral’
  • 9789390366033
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2020
  • Hard Cover

Description

श्री सुनील बाजपेयी ‘सरल’ की अभिनव काव्य-कृति ‘पथिक-धर्म : एक प्रेरक गीत’ अबतक का सबसे लंबा छंदोबद्ध गीत है। इसमें संवेदना और वैचारिकता की जुगलबंदी है। इस धरती पर मानव-जीवन संघर्षों की एक कहानी है और इन संघर्षों के बीच कवि का संदेश है—रुको मत, चलते रहो। निरंतर चलते रहने का आह्वान एक ओर ऋषियों के आप्तकथन ‘चरैवेति-चरैवेति’ से जुड़ता है, दूसरी ओर रवींद्रनाथ ठाकुर के ‘एकला चलो रे’ की ध्वनि भी इसमें अंतर्निहित है। जीवन-पथ पर फिसलन, अँधेरा, काँटे, निराशाओं के मेघ, संशय के बादल और ऐसी ही बहुत सी बाधाएँ मिलती हैं। साथ-ही-साथ, संसार में अनेक आकर्षण भी हैं, जो व्यक्ति को कर्म-विमुख कर सकते हैं। इन सभी परिस्थितियों का एक ही उपचार है—चलते रहो, निरंतर चलते रहो।

पाँवों  में  काँटे  चुभते  हैं,

कंधों पर है बोझ अधिक।

किंतु  निरंतर  चलते  जाना,

यही  तुम्हारा  धर्म  पथिक॥

The Author

Sunil Bajpai ‘Saral’

सुनील बाजपेयी ‘सरल’ का जन्म 22 फरवरी, 1968 को कल्लुआ मोती, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) में उनके ननिहाल में हुआ था। बचपन के प्रारंभिक वर्ष अपने नाना स्व. श्री देवीसहाय मिश्र के सान्निध्य में बिताने के बाद वे अपने माता-पिता (श्रीमती विमला बाजपेयी और श्री राम लखन बाजपेयी) के पास लखनऊ आ गए, जहाँ उनकी स्कूली शिक्षा पूरी हुई। फिर सन् 1984 से 1988 तक आई.आई.टी. कानपुर में रहते हुए बी.टेक. की डिग्री अर्जित की। तत्पश्चात् 1990 में आई.आई.टी. दिल्ली से एम.टेक. की पढ़ाई पूरी कर कुछ समय तक भारतीय रेलवे में नौकरी की। सन् 1991 में भारतीय राजस्व सेवा (आई.आर.एस.) ज्वॉइन करने के बाद अब तक आयकर विभाग में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे हैं। नौकरी के दौरान सन् 2008 से 2011 के मध्य आई.आई.एम. लखनऊ से प्रबंधन में परास्नातक डिप्लोमा अर्जित किया। संप्रति आयकर विभाग, अलीगढ़ में आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। 
अपने विभागीय कार्यों के अतिरिक्त साहित्य और अध्यात्म में भी विशेष रुचि रही है। सन् 2014 में श्रीमद्भगवद्गीता के समस्त श्लोकों का काव्यानुवाद करते हुए ‘गीता ज्ञानसागर’ पुस्तक की रचना की और तब से जगह-जगह पर व्याख्यान देकर गीता के ज्ञान का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ‘नई मधुशाला’ इनकी द्वितीय काव्य-रचना है।

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW