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Palbhar ki Pahachan   

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Author Sachchidanand Joshi
Features
  • ISBN : 9789386871978
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sachchidanand Joshi
  • 9789386871978
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 144
  • Hard Cover

Description

डॉ. सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक ‘कुछ अल्प विराम’ को काफी अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिलीं। कुछ ने कहा कि यह अनिवार्यतः पढ़ी जाने लायक किताब है। कुछ ने कहा इसे तो महाविद्यालयों के पाठ््यक्रम में जोड़ दिया जाना चाहिए। कुछ ने तो यहाँ तक कह दिया कि इस पुस्तक के माध्यम से गल्प कहने की एक नई विधा ही जन्म ले रही है। ‘कुछ अल्प विराम’ को नए तरह का रचना-प्रयोग मानने वालों की भी संख्या अच्छी-खासी रही। उसी प्रयास का परिणाम है उसी शृंखला की यह दूसरी पुस्तक ‘पल भर की पहचान’। लेखक ने शब्दचित्रों का जो नया प्रयोग प्रारंभ किया है, उसे आगे बढ़ाने का विचार है। जितना बढ़ेगा और पसंद किया जाएगा, और आगे बढ़ाते रहेंगे। हमारी जिंदगी की आपाधापी में परेशानियाँ और चुनौतियाँ तो रोज ही हमारे सामने हैं। उसी संघर्ष की बेला में हमारे सामने या इर्द-गिर्द यदि कोई छोटी सी भी सकारात्मक घटना घट जाए तो वह बहुत सुकून देती है। या फिर जिंदगी की चुनौतियों से जूझता कोई सकारात्मक व्यक्ति मिल जाता है तो वह हमें भरी गरमी में शीतलता का अहसास देता है। ऐसे क्षणों को या व्यक्तियों को सँजोकर रखना किसी बड़े भारी बैंक बैलेंस से कम नहीं है।
इस संग्रह के बहाने ऐसे कुछ और लोगों को तथा ऐसे कुछ और प्रसंगों को सामने लाने का प्रयास है जिनकी सकारात्मकता हमें नई दृश्टि देती है, नया उत्साह देती है। लेखक ने कोशिश की है कि बिना शब्दों का आडंबर रचे तथा बिना अतिरंजना किए, व्यक्तियों को अथवा घटनाओं को सीधी-सरल भाषा में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। विशेष रूप से हमारे युवा साथियों के सामने जिनके अंदर हिंदी भाषा के प्रति अनुराग और आकर्षण ऐसे प्रयोग के माध्यम से पैदा करना आवश्यक है, और यह पुस्तक ऐसा एक प्रयास भी है।

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अनुक्रम

प्रस्तावना Pgs. 7

1. अट्हासी रुद्र के विषपान की सौगंध ओ माँ Pgs. 13

2. आज बाबा को होना था Pgs. 17

3. अपने नाम को जी गए ‘नामवर’ जी Pgs. 22

4. मेरी दाढ़ी और मेरा मुल्क Pgs. 29

5. निपाह वायरस और हम Pgs. 34

6. जिंदगी मेरे घर आना Pgs. 39

7. लो हैंगिंग फ्रूट्स Pgs. 45

8. असुरक्षा भय या ध्यानाकर्षण की कवायद Pgs. 51

9. संपूर्ण जीवन कैसा हो? Pgs. 57

10. पीला साबुन, काला मंजन Pgs. 63

11. नया साल और सांताक्लाज Pgs. 69

12. बात कुछ अपनी, कुछ हिंदी की Pgs. 73

13. बोनस की जिंदगी Pgs. 81

14. माता खीर भवानी और ठूल Pgs. 86

15. जंगल सफारी और वाई-फाई पासवर्ड Pgs. 92

16. एक जीवन ऐसा भी Pgs. 97

17. मैं भी होता तो... 102

18. रिकॉर्ड्स के रिकॉर्डधारी Pgs. 108

19. आस्था और अनुशासन के बीच Pgs. 114

20. हिंदी का टीचर Pgs. 118

21. हॉलिडे बनाम छुट्ट‍ियाँ Pgs. 123

22. पशु बनता मनुष्य और पंगु बनता समाज Pgs. 128

23. मिलना उस्ताद अमजद अली खान से Pgs. 132

24. जमाना बदल गया है! Pgs. 137

The Author

Sachchidanand Joshi

सच्चिदानंद जोशी

जन्म : 9 नवंबर, 1963

पत्रकारिता एवं जनसंचार शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रदीर्घ अनुभव के साथ विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में कार्य। कलात्मक क्षेत्रों में अभिरुचि के कारण रंगमंच, टेलीविजन तथा साहित्य के क्षेत्र में सक्रियता। पत्रकारिता एवं संचार के साथ-साथ संप्रेषण कौशल, व्यक्तित्व विकास, लैंगिक समानता, सामाजिक सरोकार और समरसता, चिंतन और लेखन के मूल विषय। देश के विभिन्न प्रतिष्ठानों में अलग-अलग विषयों पर व्याख्यान। कविता, कहानी, व्यंग्य, नाटक, टेलीविजन धारावाहिक, यात्रा-वृत्तांत, निबंध, कला समीक्षा इन सभी विधाओं में लेखन। एक कविता-संग्रह ‘मध्यांतर’ बहुत चर्चित हुआ। पत्रकारिता के इतिहास पर दो पुस्तकों का प्रकाशन। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘सच्चिदानंद जोशी की लोकप्रिय कहानियाँ’ को भी अच्छा प्रतिसाद मिला। बत्तीसवें वर्ष में विश्वविद्यालय के कुलसचिव और बयालीसवें वर्ष में विश्वविद्यालय के कुलपति होने का गौरव। देश के दो पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालयों की स्थापना से जुड़े होने का श्रेय। भारतीय शिक्षण मंडल केराष्ट्रीय अध्यक्ष।

संपर्क : sjoshi09@yahoo.com • 9205500164 • 9425507715

 

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