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Mahamanav Mrityunjay   

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Author R.K. Sinha
Features
  • ISBN : 9789350488461
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • R.K. Sinha
  • 9789350488461
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 336
  • Hard Cover

Description

वन की यात्रा वास्तव में कठिन है। एक व्यक्ति अपने कॅरियर के शिखर पर पहुँचने तक कई मील के पत्थर पार कर चुका होता है। रवीन्द्र किशोर सिन्हा के लिए जीवन ‘कर्म ही पूजा है’। नियति को आकार देने के लिए भगवान् सभी के लिए गुरु को भेजते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए गुरु का मार्गदर्शन मिलता है। यह पुस्तक ‘महामानव मृत्युञ्जय—मेरे गुरु’ गुरुदेव मृत्युञ्जय और उनके शिष्य रवीन्द्र किशोर सिन्हा के बीच के अद्वितीय संबंध तथा लेखक के पत्रकार से एक अरबपति बनने की यात्रा को बयान करती है। यह बताती है कि कैसे एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ।
गुरुदेव एक उत्कृष्ट मानव थे, जिनके साथ कई चमत्कार जुड़े हुए थे। गुरुजी नहीं चाहते थे कि श्री सिन्हा उनकी यौगिक उपलब्धियाँ एवं तांत्रिक क्रियाओं की चर्चा, जो वे अपने जीवनकाल में करते रहे, इस पुस्तक में करें। इस दुनिया को छोड़ने के बाद ही गुरुदेव ने लेखक को अपने बारे में लिखने की अनुमति दी थी। अपने गुरुदेव के निर्देशों का पालन करते हुए लेखक ने सचित्र जीवन-प्रगति की व्याख्या की है कि कैसे पृथ्वी पर कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक कि मौत का भी सामना करना पड़ता है। गुरुदेव के अनुसार लेखक अपने जीवनकाल में जो भी कार्य कर रहे हैं, वह नियति ने पहले से ही तय कर रखा था। जीवन के रहस्यों को खोलती हुई, सरल शब्दों में लिखी गई, समर्पण और नियति की घटनाएँ इस पुस्तक को बहुत ही रुचिपूर्ण बनाती हैं।

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अनुक्रम

मृत्यु से साक्षात्कार — Pgs. 9

अपनी बात — Pgs. 17

1. चमत्कारिक मुलाकात — Pgs. 23

2. पत्रकारिता में प्रवेश — Pgs. 35

3. ढोंगी बाबाओं का भंडाफोड़ — Pgs. 42

4. पहली नजर में प्यार  — Pgs. 65

5. चमत्कारी बाबा से भेंट — Pgs. 69

6. चमत्कार को नमस्कार  — Pgs. 75

7. एक साथ दो शहरों में उपस्थिति — Pgs. 88

8. 26 वर्ष आगे की भविष्यवाणी — Pgs. 95

9. पटना प्रवास और भक्तों का उद्धार — Pgs. 110

10. सिद्ध-स्रोत की यात्रा — Pgs. 121

11. आपातकाल और नया व्यवसाय — Pgs. 131

12. चुरू में नवरात्र का अनुष्ठान — Pgs. 143

13. पटना में सुहृद संगम — Pgs. 150

14. आनंदमयी माँ की समाधि — Pgs. 157

15. खोया बैग वापस मिला — Pgs. 164

16. अभी इंतजार करो — Pgs. 169

17. राजरप्पा यात्रा एवं दीक्षा — Pgs. 175

18. गुरुजी की अस्वस्थता — Pgs. 185

19. अनपेक्षित कामाख्या यात्रा — Pgs. 191

20. बाबाजी का दर्शन — Pgs. 215

21. महाप्रयाण — Pgs. 231

22. भविष्यवाणी सच हुई — Pgs. 236

गुरुभाइयों के संस्मरण

1. जन्म के पूर्व ही बिटिया की जन्मपत्री बना दी—डॉ. सुभाष त्यागी, मुजफ्फरनगर — Pgs. 243

2. चमत्कारिक रूप से दर्शन—अमृतलाल वर्मा, लुधियाना — Pgs. 251

3. यशोदा के कृष्ण जैसे रानी माँ के कुमार मृत्युञ्जय—इंदु भाई, दिल्ली — Pgs. 259

4. और सूरज थम गया—अनुराधा चौधरी, गाजियाबाद — Pgs. 263

5. साक्षात् शिव स्वरूप में दर्शन—डॉ. सुरेंद्र मोहन शर्मा, नकोदर (पंजाब)  — Pgs. 269

6. बेईमानों का हृदय परिवर्तन—हंसराज वर्मा, फरीदाबाद (हरियाणा) — Pgs. 271

7. त्रिपुरसुंदरी रूप में दर्शन—गुलशन रानी, लुधियाना — Pgs. 275

8. गुरु मंत्र अभी नहीं—रमेश टाँगड़ी — Pgs. 279

9. गुरुदेव के जीवन का आखिरी दिन—स्वामी आत्मानंदजी (हरिद्वार) — Pgs. 281

10. गुरुजी की शिक्षा जैसी मैंने समझी—पवन सर्राफ, मुंबई — Pgs. 287

11. गुरुजी ने कराया भगवान् शंकर का दर्शन—स्वामी रामानंद सरस्वती — Pgs. 289

12. शराब को गुलाबजल में बदला—अश्विनीजी (भूतपूर्व एम.पी.) — Pgs. 292

13. पग-पग पर मार्गदर्शन—स्वामी आत्मबोधानंद — Pgs. 295

14. पशुवत् जीवन से दिव्य जीवन की ओर—म.म. स्वामी  — Pgs. 297

15. परम पूज्य श्री गुरुदेव के श्रीचरणों में सादर समर्पित—साधनानंद — Pgs. 302

16. मैं हूँ न तुम्हारे पास—सुनील कुमार, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट — Pgs. 307

17. प्रारंभ से ही विलक्षण एवं चमत्कारी थे स्वामी मृत्युञ्जय — श्रीमती अदिति देसाई — Pgs. 311

18. मृत्युञ्जय : एक विलक्षण सखा—मनोज चतुर्वेदी, एटा (उ.प्र.) — Pgs. 316

19. अपनी अमानत सँभाल लो डॉक्टर—डॉ. बीणा पंडित — Pgs. 320

20. और खाली झोली अपने आप भरती गई—सुभाष राय, लखनऊ — Pgs. 323

21. अद्भुत दर्शन कराया गुरुजी ने—रतन लाल शर्मा, हरिद्वार — Pgs. 328

22. स्वयं खड़े होकर मेरे सुहाग की रक्षा की — श्रीमती कृष्णा शर्मा, गाजियाबाद — Pgs. 330

The Author

R.K. Sinha

राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में संवाददाता की भूमिका निभाई। सन् 1974-75 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन पर ‘जन आंदोलन’ पुस्तक लिखी। उन्होंने 1974 में ‘सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया’ की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूरोप और चीन सहित कई देशों का भ्रमण किया और कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। 1999-2004 के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन के शासनकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व तकनीकी एवं समुद्री विकास मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार रहे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने देहरादून में ‘द इंडियन पब्लिक स्कूल’ की स्थापना की। वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं। फरवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए।

 

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