Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

JHARKHAND SAMAGRA   

₹225

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author PROF. (DR.) BIMAL KISHORE MISHRA
Features
  • ISBN : 9789390101160
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • PROF. (DR.) BIMAL KISHORE MISHRA
  • 9789390101160
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 252
  • Soft Cover

Description

झारखंड’ का शाब्दिक अर्थ है—जंगल-झाड़ वाला क्षेत्र, जिसे मुगल काल में ‘कुकरा’ नाम से जाना जाता था; जबकि ब्रिटिश काल में यह ‘झारखंड’ नाम से जाना जाने लगा। झारखंड ऐतिहासिक क्षेत्र के रूप में मध्ययुग में उभरकर सामने आया और झारखंड का पहला उल्लेख बारहवीं शताब्दी के नरसिंह देव यानी गंगराज के राजा के शिलालेख में मिलता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की जनजातियों की अहम भूमिका रही है, क्योंकि 1857 के प्रथम संग्राम के करीब छब्बीस वर्ष पहले ही झारखंड की जनजातियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। भौगोलिक दृष्टिकोण से झारखंड जितना मनोरम है, उतना ही सुख-समृद्धि के संसाधनों से भी परिपूर्ण है। यहाँ के भू-भाग पर नदियाँ, जलप्रपात, झील, खनिज तथा यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य विस्मय से अभिभूत करने वाले हैं। साथ ही यहाँ परिवहन एवं संचार-व्यवस्था भी काफी सुदृढ़ है। इस ग्रंथ में झारखंड के लोक-साहित्य का विस्तार से वर्णन है। यहाँ की विविध लोक-भाषाओं, साहित्य एवं कलाओं का विश्लेषणात्मक तथा परिचयात्मक अध्ययन सहज-सरल भाषा में प्रस्तुत है। झारखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक, भौगोलिक आर्थिक व ऐतिहासिक सरोकारों पर एक संपूर्ण पुस्तक, जो पाठकों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण और रुचिकर होगी।

_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

लेखकीय —Pgs. v

भौगोलिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन —Pgs. 1

अंग्रेजों का आगमन एवं कंपनी शासन के विरुद्ध झारखंडियों का विद्रोह —Pgs. 36

झारखंड का भौगोलिक परिवेश —Pgs. 69

झारखंड की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थिति —Pgs. 96

झारखंड की लोक-भाषा और उसका साहित्य —Pgs. 133

झारखंड की शिक्षा और शिक्षण-संस्‍थान —Pgs. 151

झारखंड में खेल-कूद और खेल विभूति —Pgs. 163

झारखंड के रचनाकार और रचनाएँ —Pgs. 175

झारखंड के वन एवं पर्यावरण —Pgs. 191

आपदा प्रबंधन और झारखंड —Pgs. 213

उपसंहार —Pgs. 230

सहायक-ग्रंथ-सूची —Pgs. 234

 

The Author

PROF. (DR.) BIMAL KISHORE MISHRA

प्रोफेसर. (डॉ.) विमल किशोर मिश्र

(एम. ए. द्वय., पी. एच. डी.)

पटना वि. वि. एवं मगध वि. वि.

सेवानिवृत्त, अध्यक्ष

स्नातकोत्तर इतिहास विभाग

वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा (बिहार)

जन्म स्थान : भरौली, भोजपुर

जन्म तिथि : 23.06.1953

पिता  : स्व. पं. देवकुमार मिश्र

माता  : स्व. सिद्धेश्वरी देवी

पत्नी  : श्रीमती किरण देवी

(1)  योगदान : 20.02.1978 से श्री शंकर महाविद्यालय, सासाराम के अन्तर्गत भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग में करीब 33 वर्षों तक व्याख्याता से लेकर प्रोफेसर एवं प्रिंसिपल के पद पर पदस्थापित।

(2)  प्रकाशित : इतिहास में छः पुस्तकें प्रकाशित तथा राष्ट्र स्तरीय शोध पत्रिकाओं में अनेक शोध एवं समीक्षात्मक रचनाएँ।

(3)  तीन दर्जन से अधिक पी-एच.डी. शोधार्थियों का सफल निर्देशन तथा विश्वविद्यालय के शोध छात्रों को पी-एच.डी. की अनुशंसा।

(4)  आजीवन सदस्य : अखिल भारतीय इतिहास कांग्रेस।

(5)  सम्प्रति : संरक्षण सदस्य-सेवानिवृत्त (इतिहास संसद समिति) विश्वविद्यालय प्रोफेसर एवं अध्यक्ष।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW